उपासना

Last Updated 16 Feb 2018 05:41:46 AM IST

आप अपने जीवन में हीरो बनने के बजाए साइड रोल कीजिए. यह तरीका ‘उपासना’ कहलाता है.




जग्गी वासुदेव

इसका मतलब हुआ कि आप अपने ही जीवन में, एक तरफ किनारे बैठ गए. सारी साधनाएं बुनियादी रूप से किसी-न-किसी रूप में आपको मिटाने के लिए होती. आप अपने व अपने जीवन के बारे में जो कुछ भी कड़वी या मीठी बात जानते हैं, वे सब महज कार्मिंक तत्वों की एक बहुत बड़ी पोटली है, वह आपका मूल अस्तित्व नहीं है.

मूल अस्तित्व न तो मधुर होता है और न ही कटु. यह उस तरह से है ही नहीं, जिस तरह से आप चीजों को लेकर सोचते हैं. जिस तरह से यह शरीर यहां है, एक पेड़ वहां है, एक पत्थर यहां है, उस अर्थ में यह वहां है ही नहीं. यह वहां एक संभावना के तौर पर है, एक द्वार के रूप में है. अगर आपका दिमाग पूरी तरह से खाली हो तो आपके लिए हर चीज एक संभावना बन जाती है.

आपमें कुछ काबिलियत है तो आप किसी दूसरे की तुलना में स्मार्ट कहलाएंगे, लेकिन आप खुद में निरे मूर्ख होंगे. सिर्फ  समाज की वजह से ही आप स्मार्ट नजर आते हैं. तो सामाजिक रूप से तो आप बच जाते हैं, लेकिन अस्तित्व के स्तर पर अगर बात करें तो यह काम नहीं करता. मैं जब भी कोई चीज देखना चाहता हूं तो मैं सिर्फ  एक ही जगह देखता हूं अपने भीतर. चूंकि भीतर कुछ नहीं है तो इस स्थिति में हर चीज आपका हिस्सा बन जाती है. अब समस्या है कि खुद को अपने आप से आजाद कैसे रखा जाए. कुछ लोग खुद से ही पूरी तरह भरे हुए होते हैं, जो साफ तौर पर दिखता है.

खुद को एक तरफ रख देना न तो मुश्किल है और ना ही आसान, बस यह थोड़ा अलग है. अगर आप कोशिश करेंगे तो यह कारगर नहीं होगा, अगर आप कुछ नहीं करेंगे तब भी यह काम नहीं करेगा, क्योंकि यह बिल्कुल अलग है. दुनिया में अगर आप कुछ बनना चाहते हैं, तो आपको कई चीजें करनी होती हैं. चीजों को करते-करते आप बड़े और बड़े होते जाते हैं, तब दुनिया आपको पहचानने लगती है, लोग आपके काम पर तालियां बजाते हैं और आप जिसे आप समझते हैं, वो बड़ा बन जाता है. सामाजिक रूप से तो यह अच्छा है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकलता. अगर आप चुपचाप बैठ जाएं तो आप पाएंगे कि आप खुद से ही परेशान हो गए. दरअसल, इंसान कुछ करने के बजाए तब ज्यादा परेशान होता है, जब उसके पास करने के लिए कुछ नहीं होता.



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