संकल्प जगाएं

Last Updated 25 Jan 2018 05:27:26 AM IST

सृष्टि का कुछ ऐसा विलक्षण नियम है, कि पतन स्वाभाविक है और उत्थान कष्टसाध्य बनाया गया है. पानी को आप छोड़ दीजिए, नीचे बहता हुआ चला जाएगा.


श्रीराम शर्मा आचार्य

नीचे गिरने में कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती है और कोई प्रयास नहीं करना पड़ता है. ऐसा ही संसार का कुछ विलक्षण नियम है.

पतन के लिए, बुरे कर्मो के लिए आपको ढेरों साधन मिल जाएंगे, सहकारी मिल जाएंगे, किताबें मिल जाएंगी और कोई नहीं मिलेगा तो आपके पिछले जन्म-जन्मांतरों के संग्रह किए हुए कुसंस्कार ही इस मामले में आपकी बहुत मदद करेंगे. वो आपको गिराने के लिए बराबर प्रोत्साहित करते रहेंगे. इसके लिए न किसी अध्यापक की जरूरत है, न किसी और की कोई सहायता की जरूरत है.

ये तो अपनी नेचर जैसी हो गई है, पीछे की तरफ गिराने वाली कोशिश इस संसार में इतनी भरी हुई पड़ी है, जिससे बचाव अगर आप न करें, उसका विरोध आप न करें, उसका मुकाबला आप न करें तो आप विश्वास रखिए, आप निरंतर गिरेंगे, पतन की ओर गिरेंगे.

सारा समाज इसी तरफ चल रहा है. आप निगाह उठा के देखिए. आपको कहां ऐसे आदमी मिलेंगे, जो सिद्धांतों को ग्रहण करते हों और आदशरे को अपनाते हों.

आप जिन्हें भी देखिए. अधिकांश लोगों में से कई बुराई की ओर चलते हुए दिखाई पड़ेंगे आपको. पाप और पतन के रास्ते पर उनका चिंतन और मनन काम कर रहा हुआ होगा. उनका चरित्र भी गिरावट की ओर और उनका चिंतन भी गिरावट की ओर. फिर आपको क्या करना चाहिए? अगर आपको ऊंचा उठना है तो आपको भीतर से हिम्मत इकट्ठी करनी चाहिए.

ये हिम्मत करें कि ऊंचे उठने वाले जिस तरीके से संकल्प बल का सहारा लेते रहे और हिम्मत से काम लेते रहे, व्रतशील बनते रहे, आपको उस तरीके से व्रतशील बनना चाहिए. जब जमीन से ऊपर की तरफ चढ़ना होता है तो सीढ़ी का इंतजाम करते हैं. तब मुश्किल से धीरे-धीरे चढ़ते हैं. गिरने में क्या देर लगेगी? अंतरिक्ष में उल्काएं अपने आप गिरती रहती हैं.

जब जमीन से रॉकेट अंतरिक्ष की ओर फेंकने पड़ते हैं, तब करोड़ों-अरबों रु पया खर्च करते हैं, तब एक रॉकेट का ऊपर अंतरिक्ष में उछालना संभव होता है. तो क्या करना चाहिए? आपको यही करना पड़ेगा कि चौरासी लाख योनियों में भटकते हुए जो कुसंस्कार ढेरों के ढेरों इकट्ठे कर लिये हैं, अब इन कुसंस्कारों के खिलाफ बगावत शुरू कर दीजिए.



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