जागरूकता
चेतना या जागरूकता, आपकी कोशिशों के बल पर कभी नहीं आ सकती क्योंकि यह आपकी कोशिशों के अधिकार क्षेत्र में है ही नहीं.
जग्गी वासुदेव |
लेकिन आप कोशिश करके एक ऐसे हालात जरूर बना सकते हैं, जिसमें आपकी जागरूकता खिल उठे.
यह ठीक ऐसे है जैसे आप अपने बगीचे में किसी पौधे को जबर्दस्ती न तो उगा सकते हैं और न ही उसमें फूल खिला सकते हैं, लेकिन आप एक ऐसी स्थिति जरूर पैदा कर सकते हैं कि पौधे में फूल खिल सकें. इस तरह से देखें तो कोशिशों की जरूरत है, लेकिन कोशिश करके कभी कोई जागरूक नहीं हुआ. यह मुमकिन ही नहीं है. अगर आप अपने भीतर एक खास किस्म की ऊर्जा के स्तर की ओर काम करें तो जागरूकता खिल उठेगी, लेकिन आप इसे नहीं खिला सकते. आप जागरूकता नहीं ला सकते, अगर आपने जरूरी वातावरण तैयार कर दिया तो यह घटित होगी. लेकिन मानसिक सतर्कता आप ला सकते हैं.
देखिए, आप उन्हीं कामों को करने में सक्षम होते हैं, जिन्हें आप अपने भौतिक शरीर से कर सकते हैं, मन से कर सकते हैं. जाहिर तौर पर मानसिक सतर्कता मन का ही एक कार्य है, जो आप कर सकते हैं. आपकी गतिविधियां अभी आपके शरीर, मन और भावनाओं तक ही सीमित हैं. अब आपने इन यौगिक तरीकों को सीख लिया है. इसकी मदद से आपकी गतिविधियों का साम्राज्य ऊर्जा या प्राण के स्तर तक पहुंच सकता है.
गतिविधियों के यही चार स्तर हैं, जो आप जानते हैं. इसके परे कोई गतिविधि नहीं है, लेकिन जागरूकता का संबंध इनमें से किसी के साथ भी नहीं है. यह शरीर, मन, भावना या प्राण किसी से भी जुड़ा नहीं है. यही वजह है कि आप इसे नहीं कर सकते. तो आप उलझन में हैं. उलझन अच्छी बात है. आपको यह पसंद नहीं, क्योंकि आपको इसकी कीमत का अंदाजा नहीं है.
आप निष्कर्ष की आरामदायक स्थिति में रहना पसंद करते हैं. निष्कर्ष का मतलब मौत है, उलझन का मतलब है कि अभी भी संभावना है. उलझन का मतलब है कि आप ढूंढ़ रहे हैं. आप जितने ज्यादा उलझन में होंगे, आप उतना ही ज्यादा ढूंढ़ेंगे. लेकिन दुनिया में ज्यादातर मन को उलझन पसंद नहीं आती, क्योंकि वे इसे संभाल नहीं पाते. उन्हें पता ही नहीं कि इसे संभाला कैसे जाए. चूंकि वे उलझन को संभाल पाने में सक्षम नहीं होते, इसलिए जल्दी से जल्दी किसी नतीजे पर पहुंच जाना चाहते हैं.
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