एकाग्रता

Last Updated 04 Oct 2017 03:42:38 AM IST

हो सकता है कि सिर्फ बैठने का गुण अभी आपके अंदर न हो. एकाग्रता और फोकस लाने के लिए कोशिश मत कीजिए. यह कोई सुखद अनुभव नहीं है.


धर्माचार्य जग्गी वासुदेव

बस उस काम से जुड़ जाइए. मसलन, जब आप सिनेमा देखते हैं, तो वह सिर्फ  प्रकाश और ध्वनि का दो आयामी प्रदर्शन होता है. उसमें कोई महत्त्वपूर्ण चीज नहीं होती. लेकिन जब आप उसे देखते हैं, तो वह अनुभव बहुत विशाल हो जाता है. लोग अपने परिवार से अधिक रजनीकांत से प्यार करते हैं. उन्होंने कभी उसे नहीं देखा और वह उस तरह दिखता भी नहीं है, लेकिन सिर्फ  जुड़ाव के कारण उनके लिए वह जीवन से बड़ा हो गया है.

सिर्फ  यह हुआ कि वे उसके सिनेमा से पूरी तरह जुड़ गए. वो कोई तीन आयामों वाला इंसान भी नहीं है, वो सिर्फ  ध्वनि और प्रकाश का एक खेल है. पर लोग अपने जुड़ाव की वजह से उसे किसी भी चीज से ज्यादा प्रेम करने लगे. कोई चीज इसलिए शानदार नहीं बनती क्योंकि वह शानदार होती है. दुनिया में हर चीज शानदार है या कोई चीज शानदार नहीं है. जैसे कोई एक परमाणु को देखता है.

वह एक बेकार से परमाणु को देखते हुए अपना पूरा जीवन गुजार देता है. मगर अपने जुड़ाव के कारण उसके लिए वह एक परमाणु बहुत शानदार हो जाता है. चारों ओर देखने के लिए इतना सारा जीवन है, लेकिन कोई व्यक्ति माइक्रोस्कोप से एक परमाणु या एक बैक्टीरिया को देखता है. उसके जुड़ाव के कारण बैक्टीरिया बहुत शानदार चीज हो जाता है.

तो एकाग्र बनने की कोशिश मत कीजिए. फोकस पैदा करने की कोशिश मत करें. अगर आप अपने अंदर जुड़ाव ले आएं, तो कोई चीज आपके अनुभव में शानदार हो सकती है. फिर मुझे आपको बताना नहीं पड़ेगा ‘इस पर ध्यान केंद्रित कीजिए.’ तब समस्या यह होगी कि आपको उससे बाहर कैसे निकालें. दुर्भाग्यवश दुनिया लक्ष्य पर कुछ ज्यादा ही केंद्रित हो गई है. उन्हें आम चाहिए, मगर पेड़ पसंद नहीं हैं.

यह तरीका काम नहीं करता. अगर आप पेड़ से जुड़ाव रखेंगे और उसे पोषण देंगे तो आम खुद-ब-खुद आपके ऊपर गिरेंगे. इसी तरह ध्यान और एकाग्रता जुड़ाव का नतीजा है. मगर लोग पेड़ के बिना फल पाने की कोशिश कर रहे हैं और इस कोशिश में पागल हो रहे हैं. जिस चीज से उनका जुड़ाव नहीं है, उस पर ध्यान केंद्रित करना उनकी जान ले रहा है.



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