मानसिक तनाव
शारीरिक स्वास्थ्य जितनी अहमियत रखता है, मन का स्वास्थ्य भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है.
जग्गी वासुदेव |
इन दिनों अमेरिका में दो शब्द बहुत ही प्रचलित हैं ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट’ यानी मानसिक तनाव का प्रबंधन. जहां-जहां मैनेजमेंट के बारे में बोलना होता है, उन सभी स्थानों पर ‘तनाव को कैसे संभाला जाए’ इसके बारे में सिखाने के लिए मनोविज्ञान विशेषज्ञों का दल मुस्तैदी के साथ तैयार है.
अपने उद्योग, परिवार या संपत्ति को कैसे मैनेज किया जाए, यदि कोई इस विषय को सीखने की इच्छा करे तो वह बात मायने रखती है. लेकिन मानसिक तनाव तो एक बार में छोड़ देने की चीज है. उसे अपने पास रखते हुए उसे मैनेज करने की कला किस लिए सीखनी चाहिए?
लोग यह विचार क्यों पाल रहे हैं कि आधुनिक जीवन में मानसिक तनाव कोई जरूरी चीज है? कौन बढ़िया मैनेजर बन सकता है? किसी वाहन को किस तरह चलाना है यह कला आपको आती हो, तभी तो आप उसे दूसरों को सिखा सकते हैं? यदि आप दूसरों को अपने वश में रखने की क्षमता पाना चाहते हैं तो पहले खुद को संभालना आपको आना चाहिए. अपने शरीर पर, मन पर और भावनाओं पर काबू पाने की कला सीखने के बाद ही तो आप दूसरों को नियंत्रित करने के बारे में सोच सकते हैं? जब आप आराम से रहते थे, मन में यही तड़प थी कि नौकरी कब मिलेगी?
जब नौकरी मिल जाती है, अपनी सारी खुशियां गंवाकर आप ब्लडप्रेशर जैसी बीमारी को न्योता देते हैं. जब तक पदोन्नति नहीं मिलती उसके लिए संघर्ष जारी रहता है. तरक्की मिल गई तो अब यही शिकायत कर रहे हैं, अरे पल प्रति पल तनाव बढ़ता जा रहा है. और ऊंचे पदों पर पहुंचेंगे तो क्या कहेंगे? यही न कि पहले कितने आराम से रहता था अब जिंदगी का सारा सुख-चैन गायब हो गया है?
जिंदगी को गंवाकर सुख-सुविधाएं बढ़ा लेना मरे हुए तोते के लिए सोने का पिंजड़ा बनवाने के बराबर है. मानसिक तनाव का एक प्रमुख कारण है-क्रोध. प्राय: सभी फिल्मों में अपने हीरो को बात-बात पर चिढ़ते और गुस्सा करते देखकर आपने यही धारणा बना ली है कि क्रोध एक जबर्दस्त ताकत है, महान शक्ति है. कभी आपने सोचा है कि आपको गुस्सा कब आता है? जब भी आपकी इच्छा के अनुरूप काम नहीं होता, तब आपको गुस्सा आता है.
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