योग

Last Updated 17 Jun 2017 04:24:55 AM IST

योग में हम मानव शरीर को पांच परतों के रूप में देखते हैं.


जग्गी वासुदेव

योग प्रणाली में मन जैसी कोई चीज नहीं होती. अगर आप भौतिक शरीर, मानसिक शरीर और प्राणिक या ऊर्जा शरीर को उचित तालमेल और संतुलन में ले आते हैं, तो आपको कोई शारीरिक या मानसिक बीमारी नहीं हो सकती. मैं आपको सैकड़ों-हजारों लोग दिखा सकता हूं, जिन्होंने सिर्फ  अपने अंदर एक खास संतुलन बनाकर पुरानी बीमारियों और मनोवैज्ञानिक समस्याओं से निजात पाई है.

शरीर में संतुलन का अभाव तमाम तरह की समस्याएं पैदा करता है. जब शरीर एक खास आराम की अवस्था में आ जाता है, तो कोई रोग पास नहीं फटकता. इसलिए जब आप इन चीजों को संतुलन में ले आते हैं, तभी आनंदमय कोष को छूने की संभावना पैदा होती है, जहां परमानंद एक स्वाभाविक प्रक्रिया बन जाती है.

ऐसा नहीं होता कि आप किसी चीज को लेकर आनंदित हों, आप सिर्फ  इसलिए आनंदित होते हैं क्योंकि यह जीवन की प्रकृति है. सेहतमंद बनने के लिए, आपको तीन बुनियादी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है. भोजन, सक्रियता और आराम. जब भोजन की बात आती है, तो आपको एक अहम चीज का ध्यान रखना चाहिए, किसी दिन जब आप एक खास तरह का भोजन करते हैं, तो आप जो भी खाते हैं, आपको पूरी सजगता के साथ ध्यान देना चाहिए कि वह कितनी जल्दी पचता है और आपका एक हिस्सा बन जाता है.

आप जो भी चीज खाते हैं, अगर वह तीन घंटे से अधिक पेट में रहती है, तो इसका मतलब है कि आपने गलत चीजें खाई हैं और आपको उस खाद्य पदार्थ से परहेज करना चाहिए या उसकी मात्रा कम कर देनी चाहिए. अगर खाना तीन घंटे के अंदर आपके पेट की थैली से निकल जाता है, तो इसका मतलब है कि आपने ऐसी चीज खाई है जिसे आपका शरीर बहुत अच्छी तरह संभाल सकता है. हो सकता है कि वह सबसे अच्छा खाना न हो, मगर आपका शरीर उसे संभाल सकता है.

और दो भोजनों के बीच में कम-से-कम पांच से छह घंटे का अंतर होना चाहिए. शाम के भोजन और सोने के समय में कम-से-कम तीन घंटे का अंतर होना चाहिए. और उस दौरान आपको कुछ हद तक शारीरिक रूप से सक्रिय होना चाहिए. अगर हम भोजन के पेट की थैली में रहते हुए सो जाते हैं, तो शरीर में एक तरह की सुस्ती पैदा होती है. पेट की थैली के भरे होने के कारण पेट के आस-पास के दूसरे अंगों पर दबाव पड़ता है. इससे तमाम तरह की समस्याएं उभरती हैं.

समयलाइव डेस्क


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