आदर्श व्यक्ति
योगासन के दौरान आप यह महसूस करते हैं कि शारीरिक स्तर पर आप बहुत जकड़े हुए हैं.
![]() जग्गी वासुदेव |
मन और भावनाओं की जकड़न को जानने के लिए आपको थोड़ी और जागरूकता की जरूरत है. वह व्यक्ति जिसके विचार और भावनाएं बहुत कट्टर हैं, वह हमेशा यह मानता है कि वह आदर्श-व्यक्ति है, क्योंकि वह देखने, सोचने और महसूस करने के किसी अन्य तरीके को अपने पास फटकने नहीं देता. जब आप उस आदमी से मिलते हैं तो आप सोचते हैं कि वह बेहद जिद्दी है, लेकिन वह सोचता है कि वह आदर्श-व्यक्ति है. इसी तरह ऊर्जा-स्तर पर भी जकड़न हो सकती है.
जिस व्यक्ति की ऊर्जा बहुत तरल है, पहले ही दिन साधारण योग क्रिया करने से ही उसकी ऊर्जा जाग्रत और रूपांतरित होने लगती है जबकि दूसरे व्यक्ति के साथ लंबे समय तक अभ्यास करने के बाद भी कुछ नहीं होता. यह मात्र इस पर निर्भर है कि ऊर्जाएं कितनी लचीली हैं. इन सभी आयामों की जकड़न वाकई में अलग-अलग नहीं है, ये सभी एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं. एक आयाम की जकड़न दूसरे आयामों में प्रकट होती है.
पतंजलि मार्ग में, योग एक ऐसी प्रणाली है जहां चाहे आप अत्यन्त मूर्ख ही क्यों न हों, आप अचेतन के चाहे किसी भी स्तर में हों, चाहे आपके कार्मिंक बंधन कैसे भी हों; फिर भी आपके लिए कोई न कोई रास्ता है. अगर आप किसी तरह से अपने शरीर को मोड़ने के लिये तैयार हैं, तो आप पहले ही एक कर्म तोड़ चुके हैं. अगर आपका माथा आपके घुटने को छूता है, तो आप एक शारीरिक कर्म तोड़ चुके हैं.
यह कोई मजाक नहीं है; उस व्यक्ति के लिए जिसने ऐसा पहले कभी नहीं किया, यह एक बड़ी उपलब्धि है. यह मामूली सा बंधन समय के साथ बढ़ सकता था. आज आपके अंदर थोड़ा लचीलापन है, समय के साथ-साथ यह कम होता जाएगा. एक समय आएगा जब आप शारीरिक और मानसिक स्तर पर पूरी तरह से जकड़े होंगे. यह सबके साथ घटित हो रहा है.
अपने जीवन को देखें; दस या बारह वर्ष की अवस्था में आप शारीरिक और मानसिक रूप से कितने लचीले थे. बीस साल की उम्र में लचीलेपन में बहुत कमी हुई और तीस साल की उम्र तक लचीलापन बहुत हद तक जा चुका है. जैसे-जैसे आप मार्ग पर आगे बढ़ते है; सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक जकड़न भी आपको बुरी तरह पकड़ लेता है, यह कोई क्रमिक विकास नहीं है. आप क्रमिक रूप से पीछे की ओर जा रहे हैं. अधिकांश लोगों के लिए जीवन मात्र एक हृास है.
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