देवोत्थानी एकादशी आज, जागेंगे देव, गूंजेंगी शहनाइयां
कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को हरि प्रबोधिनी देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल शुक्रवार को एकादशी है।
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इस दिन श्रीहरि विष्णु को योग निद्रा से जगाया जाएगा और फिर शाम को गोधूलि वेला यानी की सूर्यास्त के बाद भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप का तुलसी माता के साथ विवाह होगा।
एकादशी ब्रत करने वालों को चाहिए कि एक दिन पहले (दशमी के दिन) एकाहार करें। दशमी को तेल की जगह घी का प्रयोग, सेंधा नमक, गेहूं के आटा खा सकते हैं। रात में भोजन के बाद शेषसायी भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सो जाएं।
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद शालिगराम की मूर्ति या भगवान विष्णु की धातु या पत्थर की मूर्ति के समक्ष बैठकर उनका ध्यान करते हुए मंत्र जप करना चाहिए। इसका कारण है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को भगवान विष्णु ने शंखासुर का वध कर के शयन किया था, इसलिए कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागृत हुए थे।
इसके बाद भगवान को जल से स्नान कराकर पञ्चामृत स्नान कराकर पीत चंदन, गंध, अक्षत के जगह सफेद तिल का प्रयोग करें और पुष्प धूप दीप आदि से षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन कर उन्हें वस्त्रादि अलंकार से विभूषित करें। इसके बाद मिष्ठान या तुलसी पत्र युक्त पञ्चामृत का भोग लगावे व अपने भी प्रसाद ग्रहण करें यथा संभव नमो नारायणाय मंत्र का जप भी करें। वहीं शाम को फलाहार करें।
तीसरे दिन किसी ब्राह्मण या विष्णु भक्त को पारण कराने के बाद स्वयं भी पारण करें। पारण सुबह 10 बजे के पूर्व कर लें।
हजारों जोड़े बधेंगे विवाह बंधन में
अनुमान है शुक्रवार को कम से 10 हजार से ज्यादा जोड़े विवाह के विवाह के पवित्र बंधन में बंधेंगे। दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली नगर निगम के पार्क व समुदाय भवनों के अलावा विभिन्न पंचतारा होटल्स, वैक्वेट इस दिन शहनाईयों की गूंज रहेगी। सूरतेहाल यह है कि बैंड बाजों की बुकिं ग कई शिफ्टों में की गई है।
ऐसी मान्यता इस दिन का सैकड़ों अनसुलझे गोत्रीय जोड़ों, मांगलिक जोड़ों को इतंजार रहता है, इस दिन परिणय सूत्र में बंधने से उनका जीवन खुशहाल रहेगा।
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