चैत्र नवरात्र: आदिशक्ति मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप है मां स्कंदमाता जी

Last Updated 06 Apr 2022 11:42:24 AM IST

मां दुर्गाजी के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। ये भगवान् स्कन्द ‘कुमार कार्तिकेय' की माता है।


चैत्र नवरात्र: पांचवें दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा

इन्हीं भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा जी के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। इनकी उपासना नवरात्र–पूजा के पांचवें दिन की जाती है।

इस दिन साधक का मन ‘विशुद्ध' चक्र में अवस्थित होता है। स्कन्दमातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान् स्कन्द को गोद मेंं पकड़े हुए हैं और दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है उसमेंं कमल–पुष्प है। बायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा मेंं तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमेंं भी कमल–पुष्प ली हुई हैं।

इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है। ॉ

मां स्कन्दमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस मृत्युलोक मेंं ही उसे परम शान्ति और सुख का अनुभव होने लगता है। उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वयमेव सुलभ हो जाता है।

समय लाईव डेस्क
नई दिल्ली


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