वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान पर राज्यों का कुल खर्च 10 साल में 2.5 गुना बढ़ा: कैग

Last Updated 21 Sep 2025 04:04:07 PM IST

वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर सभी राज्यों का खर्च वित्त वर्ष 2013-14 के 6,26,849 करोड़ रुपये से 2.49 गुना बढ़कर 2022-23 में 15,63,649 करोड़ रुपये हो गया।


राज्यों के वित्त पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। इसके मुताबिक, राज्यों के राजस्व व्यय का एक बड़ा हिस्सा या तो प्रतिबद्ध व्यय है या पहले से तय है।

वेतन, पेंशन और सार्वजनिक ऋण तथा देनदारियों पर ब्याज भुगतान को ‘प्रतिबद्ध व्यय’ माना जाता है।

वित्त वर्ष 2013-14 से 2022-23 तक 10 साल के दौरान राज्यों का राजस्व व्यय, उनके कुल व्यय का 80-87 प्रतिशत था। संयुक्त जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में यह लगभग 13-15 प्रतिशत था।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने राज्य वित्त 2022-23 पर अपनी तरह के पहले प्रकाशन में कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में राजस्व व्यय, कुल व्यय का 84.73 प्रतिशत और संयुक्त जीएसडीपी का 13.85 प्रतिशत था। 

वित्त वर्ष 2022-23 में, 35,95,736 करोड़ रुपये के कुल राजस्व व्यय में प्रतिबद्ध व्यय 15,63,649 करोड़ रुपये था। इसके अलावा सब्सिडी पर 3,09,625 करोड़ रुपये और अनुदान सहायता पर 11,26,486 करोड़ रुपये खर्च हुए।

रिपोर्ट के मुताबिक, वेतन सबसे बड़ा घटक था, उसके बाद पेंशन व्यय और ब्याज भुगतान का स्थान था।

हालांकि, नौ राज्यों (आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल) में ब्याज भुगतान पेंशन व्यय से अधिक था। 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वित्त वर्ष 2022-23 में 17 राज्यों ने राजस्व अधिशेष, पांच राज्यों ने राजस्व घाटे और छह ने शून्य राजस्व घाटे का लक्ष्य रखा है। 

भाषा
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment