पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में हुई थी शुरू: आचार्य गौतम

Last Updated 14 Jan 2020 03:27:37 PM IST

आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में भले ही लोगों में पतंगबाजी का शौक कम हो गया है लेकिन मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में शुरू हुई आजतक बरकारार है।


 आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में भले ही लोगों में पतंगबाजी का शौक कम हो गया है लेकिन मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में शुरू हुई आजतक  बरकारार है।

मकर संक्रांति के दिन उमंग, उत्साह और मस्ती का प्रतीक पतंग उड़ाने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा मौजूदा दौर में काफी बदलाव के बाद भी बरकरार है। इसी परंपरा की वजह से मकर संक्रांति को पतंग पर्व भी कहा जाता है। पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरूआत कब से हुई इसका कोई ठोस आधार तो नहीं है लेकिन मान्यता है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्री राम के समय में शुरू हुई थी।

वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान  कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के आचार्य डां0 आत्माराम गौतम ने बताया कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का वर्णन रामचरित मानस के बालकांड में मिलता है। तुलसीदास ने इसका वर्णन करते हुए लिखा है कि‘राम इक दिन चंग उड़ाई, इंदल्रोक में पहुंची जाई।’मान्यता है कि मकर संक्रांति पर जब भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी, जो इंदल्रोक पहुंच गई थी।

उस समय से लेकर आज तक पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है। सालों पुरानी यह परंपरा वर्तमान समय में भी बरकरार है।

 

वार्ता
प्रयागराज


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