नवरात्र: पंचम शक्ति स्कंदमाता की उपासना

Last Updated 03 Oct 2019 10:37:23 AM IST

मां दुर्गाजी के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है।


सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी..

मां दुर्गाजी के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है. ये भगवान् स्कन्द ‘कुमार कार्त्तिकेय’ की माता है. इन्हीं भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा जी के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है. इनकी उपासना नवरात्र-पूजा के पांचवें दिन की जाती है. इस दिन साधक का मन ‘विशुद्ध’ चक्र में अवस्थित होता है.

स्कन्दमातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं. ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान् स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं और दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है उसमें कमल-पुष्प है.

बायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल-पुष्प ली हुई हैं. इनका वर्ण पूर्णत: शुभ्र है. ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसी कारण से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. सिंह इनका वाहन है. मां स्कन्दमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.

इस मृत्युलोक में ही उसे परम शान्ति और सुख का अनुभव होने लगता है. उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वयमेव सुलभ हो जाता है.

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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