वीपी सिंह ने बदली भारतीय लोकतंत्र की दिशा
पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के शासनकाल में हाशिये पर खड़े लोगों की लोकतंत्र में आस्था मजबूत हुई.
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आज पुण्यतिथि पर विशेष
आज उनकी पुण्यतिथि है.भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री के तौर पर विश्वनाथ प्रताप सिंह का शासनकाल एक ऐसा समय है, जिसने भारतीय लोकतंत्र की दिशा और दशा को काफी हद तक बदल दिया.
उनके शासन काल में लोकतंत्र की व्यापकता में वृद्धि हुयी और हाशिए पर खड़े लोगों की आस्था लोकतंत्र में मजबूत हुई.
‘बोफोर्स कांड’ हंगामे के बीच हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में दो दिसंबर 1989 को सरकार का गठन हुआ.
इस सरकार को जनता दल राष्ट्रीय मोर्चा के अलावा बाहर से भाजपा और वामपंथी पार्टियों का भी समर्थन प्राप्त था.केंद्र में वीपी सिंह के शासन काल के दौरान मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने की घटना भारतीय राजनीति का अहम मोड़ साबित हुई.
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर आनंद कुमार ने बताया उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री या केंद्र में वित्त मंत्री रहते हुए आरक्षण के बारे में उनके विचार नहीं बने थे. रामधन, रामविलास पासवान और शरद यादव जैसे समाजवादी पृष्ठभूमि के नेताओं के साथ मिलकर जब उन्होंने जनमोर्चा बनाया. तब उन्हें मंडल आयोग की सिफारिशों का महत्व मालूम हुआ.
उन्होंने कहा कि जिस समय मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया वह समय उसके हिसाब से सही नहीं था.दरअसल, चौधरी देवी लाल के साथ हुए विवाद के बाद वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों को जल्द लागू कर दिया.लेकिन, इतना जरूर है कि इसके फलस्वरूप आज पिछड़े वर्गों को जो 27 प्रतिशत आरक्षण मिला है उसके लिए देश उन्हें हमेशा याद करेगा.
एक बार वीपी सिंह ने मंडल के मुद्दे पर खुद कहा था ‘गोल करने में मेरा पांव जरूर टूट गया, लेकिन गोल तो हो गया.’
विश्वनाथ प्रताप सिंह पर ‘मंजिल से ज्यादा सफर’ नामक किताब लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने बताया जब वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने तो उनसे दो तरह की उम्मीद की गई थी. पहला यह कि जनता पार्टी ने जो गलतियां की वह गलती यह सरकार नहीं करेगी. और दूसरी यह कि यह सरकार साफ-सुथरी तथा भ्रष्टाचार मुक्त रहेगी.’
उन्होंने बताया कि जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने के कारण लोगों के मन में यह बात घर कर गयी कि कांग्रेस पार्टी ही सरकार चला सकती है.ऐसे में कार्यकाल पूरा करने के लिए इस गठबंधन सरकार ने ज्योति बसु की सलाह पर एक कमेटी बनाई, जिसकी बैठक हर मंगलवार को होती थी.
इस बैठक में भाजपा की तरफ से मुरली मनोहर जोशी और लाल कृष्ण आडवाणी, वामपंथियों के तरफ से ज्योति बसु, हरकिशन सिंह सुरजीत और एबी बर्धन शामिल होते थे.
राम बहादुर राय ने कहा कि अफसोस है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और यह सरकार सिर्फ 11 महीने ही चल पाई.मांडा के राजघराने में विश्वनाथ प्रताप सिंह का जन्म 25 जून 1931 को इलाहाबाद में हुआ था.
वर्ष 1980 में उन्हें इंदिरा गांधी ने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. बाद में उन्होंने राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में केन्द्रीय वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला.बाद के दिनों में वीपी सिंह का समाजवादी शक्तियों के साथ संबंध टूट गया और आखिरी दिनों में उनका जनाधार नष्ट हो चुका था.
लंबी बीमारी के बाद वीपी सिंह ने 27 नवंबर 2008 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में 77 साल की उम्र में अंतिम सांस ली.
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