यमुना में प्रदूषण : कब दूर होगा कष्ट

Last Updated 08 May 2025 01:48:55 PM IST

इस वर्ष हुआ दिल्ली विधानसभा चुनाव बहुत कुछ यमुना नदी जल के पीने, उसमें डुबकी लगाने और हरियाणा से मिलते प्रदूषित पानी के मुद्दों पर भी केंद्रित था। हो भी क्यों न।


यमुना में प्रदूषण : कब दूर होगा कष्ट

दिल्ली अपनी एक तिहाई पेयजल आपूर्ति के लिए यमुना पर  निर्भर करती है। प्राथमिक रूप से जल की मात्रा और गुणवत्ता वही होती है, जो हरियाणा से मिलता है। उपभोक्ताओं को कितना पानी दिया जा सकेगा यह भी उसी पर निर्भर करता है। कम पानी आ रहा हो तो वजीराबाद जलाशय का जल स्तर गिर जाएगा। सामान्य दिनों में वजीराबाद से  पानी निकलने के बाद यमुना में केवल कीचड़ और मलबा रह जाता है।

हरियाणा में घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट यमुना में मिलता ही है। सालों से भारी मात्रा में अमोनिया प्रदूषण लिए पानी दिल्ली पहुंचता रहा है। कई बार यह दिल्ली के जलशोधन संयंत्रों की क्षमता से सात-आठ गुणा ज्यादा तक होता है। अमोनिया का स्वीकार्य स्तर केवल 05 पीपीएम है। ऐसे में यमुना में अमोनिया का स्तर नीचे गिरने का इंतजार भी करना पड़ता है किंतु दिल्ली के भीतर हरियाणा से पहुंचे यमुना नदी जल में प्रदूषण भार साठ-सत्तर प्रतिशत बढ़ जाता है। यमुना में उठते गैस के गुब्बारों में भी यमुना का प्रदूषण और उसका दम तोड़ना नंगी आंखों दिख जाता है। ऐसा अमोनिया और फास्फेट के कारण सड़े हुए पेड़-पौधों की सड़न के कारण होता है।

जैवीय मल-मूत्र का प्रदूषण दिल्ली में यमुना में काफी ज्यादा है। कॉलिफॉर्म बहुत ज्यादा होने से यमुना में घुली ऑक्सीजन का स्तर गिरा रहता है। नदी जल में ऑक्सीजन की कमी से जलचरों की मौत का आंकड़ा भी बढ़ जाता है। यमुनोत्री से दिल्ली तक की यात्रा में जगह-जगह यमुना जल में सीवर जल, गंदे नालों का मिलना आज भी जारी है। रास्ते में मिलते घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट की भरमार से भूरी-पीली-धूसर-काली होती यमुना में दिल्ली में भारी मात्रा में अनुपचारित और आंशिक उपचारित सीवर जल पहुंचता है। अगस्त, 2024 को डीजेबी ने एनजीटी को दिए शपथपत्र में बताया था कि दिल्ली में चालीस एसटीपी हैं, जिनमें से सारे काम नहीं कर रहे हैं। यमुनोत्री से दिल्ली की राह में यमुना के पानी का डायवर्जन पहली बार उत्तराखंड में ही डाकपत्थर में बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। फिर हरियाणा में हथिनीकुंड और ताजेवाला-यमुनानगर में नहरों के लिए होता है। सूखे के मौसम में बैराज से पानी नहीं छोड़ा जाता है जिससे ताजेवाला और दिल्ली के बीच के कुछ-कुछ हिस्सों में नदी लगभग जलशून्य हो जाती है।

जल संसाधन मंत्रालय संबंधी संसदीय स्थाई समिति की रिपोर्ट के अनुसार नदी जल में घुले आक्सीजन की मात्रा की अत्यंत कमी के कारण  दिल्ली में यमुना अस्तित्वविहीन सी हो चुकी है। सुझाव दिया गया कि यमुना में ताजा पानी और उसके पानी में घुले ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए काम होने चाहिए। वजीराबाद के परिप्रेक्ष्य में संसदीय समिति का मूल्यांकन था कि वजीराबाद के नीचे यमुना में ताजे पानी की इतनी कमी है कि मानकों के अनुसार सारा सीवेज यदि उपचारित भी होने लगे तब भी यमुना प्रदूषित ही रहेगी। दिल्लीवासियों को जल आपूर्ति एक तरह से यमुना को निचोड़ कर ही हो रही है। हर साल यमुना में कई-कई दिनों तक पानी नहीं केवल कीचड़ ही कीचड़ दिखता है। 

करीब नौ माह तो यमुना में इतना पानी भी नहीं रहता कि वह ठीक से बह सके। एलगी का भी जमाव होता रहता है। एलगी भी नदी की ऑक्सीजन को कम करती हैं खासकर जब वो सड़ती हैं, उनमें विघटन होता है। वे जल में स्वास्थ्य के लिए घातक प्रदूषण भी पैदा कर सकती हैं। बिना पानी, बिना प्रवाह यमुना को दिल्ली में नदी भी कैसे कहा जाए। सुप्रीम कोर्ट भी कुछ साल पहले यमुना को नाला की संज्ञा दे चुका है। आठ नौ माह तो दिल्ली के भीतर यमुना में ताजा पानी बढ़ाने की संभावनाएं नगण्य ही रहती हैं किंतु सालों साल गाद, मलबा से अटी-पटी होने के कारण जल संग्रहित करने की गहराई कम होने से यमुना को बरसात का भी फायदा नहीं मिलता। तेज बरसात में जल्दी से बाढ़ का उभार होने लगता है। अत: यमुना में ज्यादा पानी नहीं रुक पाता। कूड़ा निकासी हो तो दिल्ली में उसके जलसमेट क्षेत्र से मिलने वाले ज्यादा से ज्यादा बरसाती जल संग्रहण में भी मदद मिलेगी।

दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश वर्मा का कहना है कि नई सरकार बनने के दस दिनों में ही यमुना से 13 हजार टन गाद की निकासी हो गई थी। गाद हटाने के काम में यमुना स्वच्छता मिशन बहुत पिछड़ा हुआ था। इसलिए दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने नई राज्य सरकार के गठन से पहले ही अधिकारियों को निर्देश देकर भारी मशीनों से यमुना गाद सफाई का काम प्रारंभ कर दिया था किंतु पूरी निकासी में महीनों लग सकते हैं। किंतु आशा की जानी चाहिए कि आने वाली बरसात में इसका फायदा मिलने लगेगा। यमुना के फ्लड प्लेन में अतिक्रमण के कारण बाढ़ के फैलाव का फायदा भी नहीं मिलता। पांच किमी. यदि फ्लड प्लेन की चौड़ाई हो तो उसमें भी एक किमी. दूरी तक भी पानी नहीं पसर पाता। फ्लड प्लेन खाली रहे तो जलविहीन यमुना और जैवविविधता को कुछ सहारा मिल सकता है। दिल्ली में वजीराबाद से पल्ला तक का यमुना का फ्लड प्लेन बाइस किमी. का है। इसका क्षेत्र 9,700 हेक्टेयर का है। इसमें से 7,362 हेक्टेयर पर लगभग 75 प्रतिशत पर अतिक्रमण है। जुलाई, 2024 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी डीडीए को फ्लड प्लेन के अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे।

आदर्श रूप में एक नदी में उसके सालाना प्रवाह की जल मात्रा का कम से कम आधा पानी हर बना रहना चाहिए। इसलिए आवश्यक है कि दिल्ली के लिए हरियाणा से ज्यादा पानी छोड़ा जाए और उसको निकालने का लालच न हो। अतिरिक्त पानी हरियाणा से आ भी जाए और तुरंत उसे निकाल कर उपभोक्ता को दे दिया जाए तो यमुना के हिस्से क्या रहेगा। दिल्ली सरकार के पहले बजट में यमुना सफाई के उद्देश्य से चालीस नये सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स लगाने और पुरानों को ठीक करने के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है किंतु बजट में यमुना नदी में दिल्ली में ताजे जल को बढ़ाने के कार्यक्रमों पर खच्रे पर भी जोर दिए जाने की जरूरत है क्योंकि पहले तो यमुना को नदी बनाएं। नदी साफ करने का तो दावा बाद में होगा। यमुना में पानी बना रहे तो उसके प्रदूषण को हल्का करने में आसानी होगी।  
(लेख मेंविचार निजी हैं)

वीरेन्द्र कुमार पैन्यूली


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