खेल : भविष्य की आश्वस्ति है ‘अनमोल’
अनमोल खरब सहित भारतीय यंग ब्रिगेड ने बैडमिंटन एशियाई महिला टीम चैंपियनशिप में महिला वर्ग का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है।
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भारत ने थाईलैंड को फतह करके यह उपलब्धि हासिल की। भारतीय टीम ने पहली बार इस चैंपियनशिप में पदक जीता है। पुरुष टीम दो बार कांस्य पदक जीत चुकी है। फाइनल में पीवी सिंधु और त्रिशा जौली व गायत्री गोपीचंद की जोड़ी के जीतने के बाद 17 वर्षीय अनमोल खरब ने निर्णायक मुकाबला जीतकर भारत को विजेता बनाया। इस सफलता से यह तो साफ है कि अब बागड़ोर युवा हाथों में आ गई है।
सायना नेहवाल के चमक से दूर होने और पीवी सिंधु के चार माह तक चोटिल होने और इससे पहले खराब फॉर्म से जूझने की वजह से युवाओं के आगे आकर मोर्चा संभालने की जरूरत महसूस की जा रही थी। पर इस चैंपियनशिप में सिंधु की अगुआई में भारतीय यंग ब्रिगेड तीन सीडेड टीमों चीन, जापान और थाईलैंड को हराकर इस मुकाम तक पहुंची। अनमोल खरब भारतीय दल की सबसे छोटी सदस्य हैं और त्रिशा जौली 20 और गायत्री गोपीचंद 21 साल की हैं और इन युवाआं ने छह मैच जीतकर भारत की इस सफलता में अहम भूमिका निभाई। अनमोल खरब की तो जितनी तारीफ की जाए, वह कम है। वह 478 वीं रैंकिंग की खिलाड़ी हैं और उन्हें तीनों देशों के खिलाफ आखिरी और निर्णायक मैच खेलना पड़ा और वह हर मौके पर सफल साबित हुई।
अश्मिता चालिहा भले ही 24 साल की हैं पर वह भी अपने अंतरराष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत में ही हैं। वह भले ही फाइनल में थाईलैंड की बुसानन से हार गई, लेकिन सेमीफाइनल में जापानी खिलाड़ी नाओमी ओकुहारा पर जीत को हमेशा याद रखा जाएगा। इस पूर्व विश्व चैंपियन के खिलाफ खेलते समय अपना ऐसा दबदबा रखा कि ओकुहारा को अपना स्वाभाविक खेल खेलने की छूट ही नहीं दी। वह बैक कोर्ट से तो अच्छा खेलीं हीं कॉर्नर पर बढ़िया स्मैश भी लगाए। चालिहा के इस प्रदर्शन पर गोपीचंद का कहना था कि मैंने इससे पहले उसे इतना अच्छा खेलते कभी नहीं देखा। उसे अपना खेल अनुशासित रखने की जरूरत है और वह बेहतरीन खिलाड़ी है।
चालिहा के मुकाबलों में मेरे लगातार पीछे बैठकर उसे गाइड करने का भी यह नतीजा है। मुझे उसका यह प्रदर्शन देखकर बहुत खुशी हुई है। इस चैंपियनशिप की सही मायनों में खरब खोज मानी जा सकती है। वह पहली बार चीन के खिलाफ मुकाबले में सुर्खियां पाने में सफल हुई। भारत और चीन के बीच 2-2 की बराबरी के बाद ऐसी खिलाड़ी को निर्णायक मुकाबले में उतारना एक बड़ा जुआ था। पर इस फैसले की वजह रैंकिंग में काफी नीचे होने की वजह से एक तो उनके ऊपर कोई दबाव नहीं था, दूसरे वह तनाव में कभी रहती नहीं हैं और हमेशा ही ठंडे दिमाग के साथ खेलती हैं। अनमोल ने भारतीय कोचों द्वारा उनसे लगाई उम्मीदों पर खरे उतरते हुए चीन की वू लुयो यू को 22-20, 14-21, 21-18 से हराकर भारत को ऐसे मुकाबले में जीत दिला दी, जिसको जीतने की कम ही उम्मीद थी। अनमोल खरब भी सायना नेहवाल की तरह हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं और उनकी तरह पक्के इरादे वाली हैं।
भारतीय कोच पुलेला गोपीचंद ने अनमोल के बिना डरे, दिलेरी के साथ खेलने की तारीफ की। पिता देवेंद्र खरब कहते हैं कि अनमोल में यह दिलेरी अपनी मां राजबाला से आई है। राजबाला हरियाणा राज्य स्तर की धाविका रहीं हैं और वह घड़ों में पानी भरकर सिर पर रखकर लातीं थीं। फरीदाबाद की रहने वाली अनमोल बैडमिंटन की ट्रेनिंग नोएडा में लेती थी, इसलिए मां प्रतिदिन 80 किमी गाड़ी चलाकर लाती थीं। वह बेटी के लिए गाड़ी में लस्सी, छाछ आदि रखा करतीं थीं। अनमोल की यह खूबी भी है कि उसका पूरा फोकस बैडमिंटन खेल पर है। यह कहा जाता है कि दिवाली के दिन भी उसने अपने कोच से कहा था कि पूजा और आतिशबाजी शाम को होते हैं तो सुबह की ट्रेनिंग रखी जा सकती है। इसी तरह रक्षाबंधन के बारे में वह कहती थी कि वह अपनी रक्षा खुद करने में सक्षम है, इसलिए उसे राखी बंधवाने की जरूरत नहीं है।
मां राजबाला ने अनमोल की फिटनेस के लिए उसे बॉक्सर जयभगवान के भाई गोदरा सर की अकादमी में ट्रेनिंग दिलाई है। इसमें खिलाड़ियों को कमांडो ट्रेनिंग कराई जाती है। इसके लिए वह रोज सुबह पांच बजे जागकर जाती थीं। त्रिशा जौली और गायत्री गोपीचंद की जोड़ी पिछले एक दो वर्षो में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पैठ बनाने में सफल रही है। इस जोड़ी ने अपने तीनों मुकाबले जीतकर भारतीय अभियान में अहम भूमिका निभाई। यह जोड़ी जिस तरह से खेल रही है, उससे लगता है कि वह इस साल होने वाले पेरिस ओलंपिक में पदक की दावेदार बन सकती है। वहीं सिंधु के लिए यह अपनी पुरानी लय पाने का मौका था। वह चोट की समस्या के कारण चार माह बाद किसी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेल रही थीं। पर उन्होंने यहां किए सफल प्रदर्शन से अगले माह शुरू होने वाले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में बेहतर प्रदर्शन का भरोसा जरूर बना लिया। पर सिंधु यदि इस बार पेरिस ओलंपिक में अपने तमगे का रंग बदलकर पीला करना चाहती हैं तो उन्हें अभी और कड़ी मेहनत करनी होगी। वैसे इस चैंपियनशिप में किए प्रदर्शन से यह तो साफ है कि वह सही राह पर बढ़ रही हैं।
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