वैश्विकी : पाकिस्तान इन, इंडिया आउट
अमेरिका का जो बाइडन प्रशासन भारत के साथ तकरार जारी रखने पर आमादा लगता है। दूसरी ओर, अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते में गर्मजोशी लाकर भारत को संदेश दिया जा रहा है।
वैश्विकी : पाकिस्तान इन, इंडिया आउट |
खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को भारत के हवाले करने की बजाय अमेरिका उसे अभिव्यक्ति की आजादी का प्रतीक साबित करने में लगा है। अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के प्रमुख क्रिस्टोफर की हाल की भारत यात्रा से यह आशा बंधी थी कि पन्नू प्रकरण अब सुलझा लिया गया है, लेकिन इस यात्रा के तुरंत बाद अमेरिकी प्रशासन ने पन्नू प्रकरण पर भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों को जांच की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए एक ब्रीफिंग का आयोजन किया था। ये सांसद ‘समोसा कांग्रेस’ के सदस्य हैं।
इन सांसदों अमी बेरा, रोहित खन्ना, प्रमिला जयपाल, राजा कृष्णमूर्ति और थानेदार ने एक वक्तव्य जारी किया जिसमें अमेरिका के पक्ष को ही उजागर किया गया। इन सांसदों ने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह पन्नू की हत्या की साजिश को गंभीरता से ले तथा इसमें शामिल लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करे।
वास्तव में ये सांसद भारत के प्रति अमेरिका के नये रवैये को ही जाहिर कर रहे थे। विदेश नीति के जानकारों के अनुसार बाइडन प्रशासन भारत को संदेश देना चाहता है कि वह अपने आतंकवादी विरोधी अभियान को अमेरिका और उसके सहयोगी देशों तक नहीं फैलाए। दूसरे शब्दों में उसका कहना है कि भारत एंग्लो-सेक्शन देशों (अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) में भारत विरोधी तत्वों और खालिस्तानी पृथकतावादियों की गतिविधियों के संबंध में आंख मूंद ले। भारत विरोधी आतंकवादियों और पृथकतावादियों को इन देशों में पनाह मिलती है तथा उनकी गतिविधियों पर कोई रोक नहीं है। वास्तव में भारत विरोधी इन गुटों के कई सदस्य अमेरिकी सीआईए सहित अन्य विदेशी खुफिया एजेंसियों के एजेंट हैं।
इस घटनाक्रम में यह आश्चर्य की बात हीं है कि राष्ट्रपति बाइडन ने गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया। इसके साथ ही इंडो-पेसिफिक पर केंद्रित क्वाड की शिखर वार्ता को भी टाल दिया गया। दोनों देशों के बीच यह मन-मुटाव सीमित और तात्कालिक है अथवा आगे जाकर यह बढ़ भी सकता है, यह भविष्य की बात है। फिलहाल, अमेरिका ने पाकिस्तान को नये सिरे से तवज्जो देना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल मुनीर और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख नदीम अंजुम ने हाल में वॉशिंगटन की यात्रा की है। इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। इसका तात्कालिक कारण यह हो सकता है कि लाल सागर और अरब सागर में यमन के हूती विद्रोहियों की गतिविधियों पर काबू पाने के लिए ताजा कार्रवाई की जाए। गाजा में इस्रइल के नरसंहार का विरोध करने के लिए हूती लाल सागर से होकर गुजरने वाले इस्रइली जहाजों को निशाना बना रहे हैं। अब इसकी चपेट में इस्रइल के बंदरगाहों का उपयोग करने वाले अन्य देशों के जहाज भी आ गए हैं।
लाल सागर और स्वेज नहर अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक प्रमुख जरिया है। हूती विद्रोहियों से इस जलमार्ग को सुरक्षित करना कठिन काम है। खतरा इस बात का भी है कि यदि अमेरिका और उसके सहयोगी देश विद्रोहियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करते हैं, तो खाड़ी देशों में स्थित अमेरिकी सैनिक अड्डे ड्रोन और मिसाइलों का निशाना बन सकते हैं। तेल क्षेत्रों और संयंत्रों की सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है। इस क्षेत्र में पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति का रणनीतिक महत्त्व है। बदलते हुए अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम में अमेरिका को इस समय पाकिस्तान की जरूरत है। इसके बदले में पाकिस्तान को क्या मिलेगा, यह बाद में स्पष्ट होगा।
मोदी सरकार के सामने अब यह सवाल है कि गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर किसे आमंत्रित किया जाए। भारत में जनमत तो इसके पक्ष में है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन मुख्य अतिथि बनें और इसी दौरान बरसों से लंबित शिखर वार्ता का आयोजन हो।
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