पाकिस्तान : सियासी चाल है शरीफ की वापसी

Last Updated 25 Oct 2023 01:46:29 PM IST

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की चार वर्षो बाद आकस्मिक रूप से वापसी वहां की सेना के साथ सांठ-गांठ और राजनीतिक लाभ उठाने की सोची- समझी कूटनीतिक चाल है।


पाकिस्तान : सियासी चाल है शरीफ की वापसी

आर्थिक रूप से कंगाली, बदहाली और तंगी से गुजर रहे पाकिस्तान में नवाज शरीफ का अचानक आना साधारण बात नहीं है, बल्कि इसकी समीक्षा सभी दृष्टिकोण से किए जाने की सामयिक आवश्यकता है, भले ही उनकी वापसी को अधिक समावेशी राजनैतिक परिदृश्य की ओर संभावित बदलाव का धुंधला अथवा स्पष्ट पारदर्शी संकेत कहा जा सकता हो।  

उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष नवाज शरीफ का आत्मनिर्वासन के बाद वापस वतन की ओर लौटना वास्तव में बड़ी सियासी चाल भी है, जो विगत लंबी अवधि से रची जा रही थी। चूंकि नवाज शरीफ को एवेन फील्ड और अल-अजीजिया मामलों में भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया था तथा तोशखाना वाहन मामले में अपराधी करार किया गया था, इसलिए नवाज अपने बिगड़ते स्वास्थ्य के बहाने से चिकित्सा के आधार पर लंदन गए थे।  नवाज का आकस्मिक प्रकटीकरण पाकिस्तान की राजनीति की एक गहरी योजना का हिस्सा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान खान इस समय कारावास में हैं।

हाल में पाकिस्तान की विशेष अदालत द्वारा राजनयिक केबल (सिफर) लीक करने और देश के गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने से जुड़े मामले में इमरान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पर आरोप तय किए गए। पाकिस्तान की सत्ता को हथियाने के हालात पैदा करने के लिए शरीफ की षडयंत्रकारी और दूरदर्शी राजनीतिक लामबंदी का ही परिणाम कहा जा सकता है। दूसरी ओर 19 अक्टूबर, 2023 को एवेन फील्ड और अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामले में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय से 24 अक्टूबर तक सुरक्षात्मक जमानत मिल गई थी। एक पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जमानत मिलना तथा दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर उसी दौरान आरोप तय होना आखिर क्या दर्शाता है? वास्तव में यह सियासी शतरंजी चाल ही है। नवाज शरीफ का पाकिस्तान में प्रकटीकरण सामान्य राजनीतिक स्थिति से नहीं देखा जा सकता क्योंकि उनकी वापसी के समय हवाई अड्डे पर सजायाफ्ता को वीवीआईपी प्रोटोकॉल दिया गया और इस्लामाबाद हवाई अड्डे पर स्पेशल स्टेट रूम बनाया गया।

संभव है कि यह पाकिस्तान की सेना की सियासी चाल हो, या राजनीतिक बदलाव की बहार लाने की उसके द्वारा षंडयंत्रकारी कूटनीतिक पहल की जा रही हो। पाकिस्तान जिस ध्रुवीकरण के दौर से गुजर रहा है, और उसके कड़वे अतीत के मद्देनजर नवाज शरीफ के साथ अनेक विरोधी दलों का साथ आना बहुत दूर की बात कही जा सकती है। एक अनुमान यह भी है कि फौज अब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का बड़ा विकल्प तलाश रही है, ताकि उसका वर्चस्व भी बना रहे और लोकतंत्र की आड़ भी बनी रहे। लाहौर की रैली में उनके संबोधन की शैली भी उनके राजनीतिक दांव-पेच को स्पष्ट रूप से बयान करती है। जब उनका हेलीकॉप्टर लाहौर किले के पास दीवान-ए-खास में बनाए गए विशेष हेलीपैड पर उतरा तब नवाज को वाहनों के कारवां में मीनार-ए-पाकिस्तान ले जाया गया जहां उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा-‘जो प्यार-मोहब्बत मैं आपकी आंखों में देख रहा हूं मुझे उस पर नाज है। मैंने हमेशा पाकिस्तान के मसले हल किए हैं। पाकिस्तान को एटमी ताकत बनाया, देश में बिजली सस्ती करवाई किन्तु मेरे खिलाफ जाली मामले बनाए गए, यही नहीं भाई शहबाज शरीफ और बेटी मरियम के खिलाफ भी साजिश रची गई। आपके प्यार ने मेरे सारे दुख-दर्द भुला दिए हैं, लेकिन कुछ घाव कभी नहीं भरते। मैंने अपने मां-पिता और पत्नी को ‘राजनीति के कारण’ से खो दिया है।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट कहा कि उनकी ‘बदला लेने की इच्छा नहीं है।’ वह सिर्फ  जनता की भलाई चाहते हैं। उन्होंने पाकिस्तान को विकास के रास्ते पर ले जाने की कसम भी खाई। अपने विरोध में आए पनामा फैसले पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इससे पाकिस्तान के विकास में बाधा पड़ी।

वास्तव में शरीफ का भाषण उनकी राजनीतिक और कूटनीतिक चालों को उजागर करने का स्पष्ट संकेत देता है। सर्वविदित है कि पाकिस्तान में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सेना द्वारा ही शासन किया जाता है। सेना में जिस भी राजनीतिक नेता ने हस्तक्षेप करने का प्रयास किया उसको सत्ता छोड़कर जाना पड़ा है, चाहे नवाज शरीफ हों या इमरान खान। चूंकि अभी भी इमरान को जनता का भारी समर्थन प्राप्त है, इसलिए सत्ता में वापसी हेतु अंकुश लगाने के लिए ही पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सत्ता में लाने और स्थापित करने का निर्णय लेकर उनके साथ एक समझौता किया है। यह पाकिस्तान की सेना और नवाज शरीफ को पुन: सत्ता में लाने के लिए चली गई शतरंजी चाल का ही जाल है।

डॉ. सुरेन्द्र कुमार मिश्र


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