जनधन का खर्च : बर्बादी की इतनी होड़ क्यों
देश को साफ-सुथरी और भ्रष्टाचार-मुक्त सरकार देने के दावे के साथ राजनीति की शुरुआत करने वाले अरविंद केजरीवाल आये दिन किसी न किसी विवाद में घिरे रहते हैं।
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उनकी सरकार ने दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निश्चित रूप से कई अभूतपूर्व कार्य किए हैं, परंतु यह भी सच है कि 2015 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद से अब तक केवल दिल्ली से ही उनकी पार्टी के लगभग एक दर्जन नेताओं को गिरफ्तार भी किया जा चुका है।
इन दिनों भ्रष्टाचार के जिस ताजातरीन आरोप का आम आदमी पार्टी विशेषकर मुख्यमंत्री केजरीवाल सामना कर रहे हैं, वह है दिल्ली के सिविल लाइंस स्थित उनके सरकारी आवास की मरम्मत का मामला। आरोप है कि केजरीवाल ने 45 करोड़ रुपए अपने आवास और कार्यालय की मरम्मत, रखरखाव और सौंदर्यीकरण पर खर्च कर दिए। आरोप यह भी है कि इसमें वियतनाम मार्बल, करोड़ों के पर्दे और कालीन तथा महंगे से महंगे उत्पाद इस्तेमाल में लाए गए। बीजेपी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी भी कथित तौर पर 45 करोड़ रु पए खर्च करने को लेकर केजरीवाल पर हमलावर है। भाजपा, केजरीवाल को ‘शाही राजा’ और ‘महाराजा’ बता रही है, तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी यह कहकर इस खर्च को न्यायसंगत बता रही है कि यह घर 80 वर्ष पुराना, जर्जर और असुरक्षित भवन है, जो पूरी तरह असुरक्षित था। यह मुख्यमंत्री आवास 1942 में बनाया गया था और दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ऑडिट के बाद इसके जीर्णोद्धार की सिफारिश की थी।
पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह नवीनीकरण नहीं, बल्कि पुराने ढांचे के स्थान पर एक नया ढांचा बनाया गया है। वहां मुख्यमंत्री केजरीवाल का शिविर कार्यालय भी है, जिस पर लगभग 44 करोड़ रु पए खर्च हुए हैं। गोया मकान के पुराने ढांचे को नवनिर्माण के साथ बदला गया है, परंतु भाजपा, आप की ओर से दी जा रहीं इन सफाई को खारिज करते हुए केजरीवाल को ‘शाही जीवन बिताने वाला राजा’ कह रही है, और उनके विरुद्ध धरना-प्रदर्शन करते हुए ‘नैतिकता’ के आधार पर उनसे इस्तीफे की मांग कर रही है। भाजपा उन्हें याद दिला रही है कि कहां तो सत्ता में आने से पहले केजरीवाल कहा करते थे कि सत्ता में आने पर वे सरकारी घर, सुरक्षा और सरकारी गाड़ी आदि सुविधाएं नहीं लेंगे लेकिन उन्होंने सारी सुविधाएं तो ली हीं, साथ ही अपने घर को सजाने के लिए 45 करोड़ रुपए का खर्च भी कर दिया। और वह भी उस दौरान केजरीवाल करोड़ों का खर्च कर अपने घर को सजा रहे थे जब दिल्ली कोविड की चपेट में थी? आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने के लिए यह विवाद खड़ा किया गया है। सिंह ने आरोप लगाया कि स्वयं को फकीर कहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 500 करोड़ रुपए खर्च कर अपने लिए नया घर बनवा रहे हैं। और जिस घर में वह इस समय रह रहे हैं, उसके जीर्णोद्धार पर भी 90 करोड़ रु पए खर्च किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी के लिए 8400 करोड़ रुपए का विमान खरीदा गया। वे 12 करोड़ रुपए की कार से चलते हैं। सवा लाख रुपये के पेन से लिखते हैं। और वे 10 लाख का सूट पहनते हैं और 1.6 लाख का चश्मा लगाते हैं।
संजय सिंह के अनुसार दिल्ली के उपराज्यपाल के घर की मरम्मत में भी 15 करोड़ रु पए खर्च हो गए। गुजरात के मुख्यमंत्री का नया विमान 191 करोड़ रुपए में खरीदा गया, परंतु भाजपा सेंट्रल विस्टा को देश की धरोहर बताकर प्रधानमंत्री द्वारा 500 करोड़ रु पए का अपना नया घर बनाने को न्यायसंगत बताती है, और शेष खचरे को भी जरूरी।
जनता के पैसों को निर्दयता से खर्च करना दरअसल, नेताओं की पुरानी आदत है। पूर्व में जयललिता और मायावती जैसे कई नेता भी जनता के पैसों पर ऐश करने और इसे बेदर्दी से खर्च करने के लिए चर्चा में रहे हैं। याद कीजिए, विकीलीक्स ने अपनी रिपोर्ट में दलित उत्थान और सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के बल पर उत्तर प्रदेश की सत्ता तीन बार हासिल कर चुकी बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती पर शाही खर्च का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में मायावती द्वारा घर से कार्यालय तक जाने के लिए विशेष सड़क बनवाने से लेकर उनके पसंदीदा ब्रांड की चप्पलें मंगाने के लिए सरकारी विमान लखनऊ से मुंबई भेजने तक का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, मायावती के करीबी प्रशासनिक अधिकारी और तत्कालीन मुख्य सचिव शशांक शेखर और पार्टी नेता सतीश चंद्र मिश्रा के निर्देश पर अफसरों को मुंबई भेज कर कई बार हवाई जहाज से मायावती की सैंडिल मंगवाई गई थीं। विकीलीक्स की रिपोर्ट के अनुसार मायावती की एक हजार रु पये की सैंडिल विशेष विमान से लाने में 10 लाख से ज्यादा खर्च हो जाते थे। विकीलीक्स के इन आरोपों पर मायावती ने जूलियन असांजे को पागल कह कर इन आरोपों से अपना पल्ला झाड़ लिया था। सवाल यह है कि चाहे केजरीवाल द्वारा भवन निर्माण, जीर्णोद्धार अथवा नवीनीकरण पर खर्च किए गए कथित 45 करोड़ रुपये हों या प्रधानमंत्री के लिए खरीदा गया 8400 करोड़ का बताया जा रहा विमान अथवा प्रधानमंत्री द्वारा कथित तौर पर बनाया गया 500 करोड़ रुपए का अपना नया घर, पैसे तो हर जगह आम जनता की खून पसीने की कमाई से अदा किए गए टैक्स के ही हैं?
लिहाजा, सत्ता में आने के बाद जनधन की मनमानी लूट कर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर जनता को मूर्ख बनाने की कोशिश करने की बजाय क्यों न इस तरह के खर्च की सीमा निर्धारित कर दी जाए। और जब पैसा जनता का है तो आखिर, जनता को अपने पैसों के खर्च के बारे में जानने का हक क्यों नहीं है? लिहाजा, इस तरह के खर्च में पूरी पारदर्शिता बरतते हुए इसे बाकायदा जनता के संज्ञान में लाने की भी जरूरत है। इसलिए बेहतर तो यही होगा कि इस तरह के खर्च को बाकायदा वेबसाइट पर दर्शाया जाए और सत्ताधारियों द्वारा जनधन के खर्च में प्रतिस्पर्धा करने की बजाय इसमें पारदर्शिता लाई जाए।
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