Happiness Index: आखिर क्यों पीछे हैं हम

Last Updated 18 Apr 2023 10:28:24 AM IST

अभी हाल ही में वर्ष 2023 के लिए वैश्विक प्रसन्नता प्रतिवेदन (Global Happiness Report 2023) जारी किया गया है।


हैप्पीनेस इंडेक्स : आखिर क्यों पीछे हैं हम

वैश्विक प्रसन्नता (universal happiness) प्रतिवेदन को,  150 से अधिक देशों का विभिन्न बिंदुओं पर सर्वे करने के बाद संयुक्त राष्ट्र (United Nation) दीर्घकालिक विकास समाधान तंत्र द्वारा प्रकाशित किया जाता है। वैश्विक प्रसन्नता प्रतिवेदन को अंतिम रूप देने के पूर्व, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, सामाजिक सहयोग, भ्रष्टाचार का स्तर, समाज में नागरिकों के बीच आपसी सदाशयता एवं निर्णय लेने की स्वतंत्रता जैसे बिंदुओं पर विभिन्न देशों का आकलन किया जाता है। Finland, Denmark, Iceland, Sweden and Norway जैसे छोटे-छोटे देश जिनकी जनसंख्या तुलनात्मक रूप से बहुत कम रहती है, इस सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं।

उक्त सर्वे के अनुसार सबसे अधिक प्रसन्न देश, फिनलैंड (Finland) में केवल 55 लाख नागरिक निवास करते हैं, डेनमार्क (Denmark) में 58.6 लाख लोग रहते हैं एवं आइसलैंड (Iceland) में तो महज 3.73 लाख नागरिक ही निवास करते हैं। इसके विपरीत भारत (India) के अकेले मुंबई, दिल्ली, कोलकता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद जैसे शहरों की जनसंख्या इन देशों की उक्त वर्णित जनसंख्या (Population) से कई गुना अधिक है।

भारत वैश्विक प्रसन्नता सूची में 126वें स्थान पर

वैसे विश्व के विभिन्न देशों के नागरिकों की प्रसन्नता को एक जैसे 6 अथवा 7 बिंदुओं पर सर्वे करते हुए नहीं आंका जा सकता है। क्योंकि प्रत्येक देश के नागरिकों में खुशी अथवा गम की अवस्था अलग-अलग कारकों एवं कारणों के चलते भिन्न-भिन्न होती है। वैश्विक प्रसन्नता प्रतिवेदन के माध्यम से जारी सूची में भारत को 126वां स्थान दिया गया है परंतु, आश्चर्य तो इस बात पर है कि लगातार आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक समस्याओं से जूझ रहा पाकिस्तान (Pakistan) इस सूची में 103वें स्थान पर है। इस आकलन के अनुसार, क्या पाकिस्तान के नागरिक, भारत के नागरिकों की अपेक्षा अधिक प्रसन्न हैं? इसी प्रकार, इस सूची में चीन को 64वां, नेपाल को 78वां, बांग्लादेश को 118वां एवं श्रीलंका को 112वां स्थान दिया गया है। जबकि, श्रीलंका, बांग्लादेश एवं नेपाल भी लगातार आर्थिक समस्याओं से जूझते हुए दिखाई दे रहे हैं। वैश्विक प्रसन्नता प्रतिवेदन (global happiness report) के माध्यम से जारी सूची में शीर्ष 20 देशों में एशिया (Asia) का कोई भी देश शामिल नहीं है। अर्थात, केवल यूरोपीय देशों के नागरिक ही प्रसन्न रहते हैं, जबकि एशिया से चीन विश्व की दूसरी, जापान विश्व की तीसरी एवं भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

अर्थात, विश्व की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में तीन एशिया के देश हैं, परंतु फिर भी एशिया के नागरिक प्रसन्न नहीं हैं? उक्त वैश्विक प्रसन्नता प्रतिवेदन को अंतिम रूप दिए जाते समय सम्भवत: कुछ बुनियादी गलतियां हुई होंगी, ऐसा आभास होता है। क्योंकि, उक्त सर्वे के साथ ही इसी संदर्भ में तीन अन्य सर्वे भी जारी हुए हैं, जिनके परिणामों में भारतीय नागरिकों को बहुत प्रसन्न बताया गया है। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग द्वारा भी अभी हाल ही में विभिन्न देशों में नागरिकों की प्रसन्नता को आंकने के संदर्भ में एक सर्वे किया गया है।

यह सर्वे मुख्य रूप से वित्तीय क्षेत्र में प्रसन्नता, कार्यस्थल पर पहुंचने एवं उत्पादकता से सम्बंधित प्रसन्नता, मानसिक प्रसन्नता, जीवन एवं कार्य के बीच संतुलन, ऊर्जा की उपलब्धता, आदि जैसे बिंदुओं पर आधारित है। यह सर्वे 61 देशों के संबंध में उक्त वर्णित मानदंडों पर प्राप्त विस्तृत जानकारी के आधार पर सम्पन्न किया गया है। वित्तीय क्षेत्र में प्रसन्नता को आंकते समय देश में सकल बचत, शुद्ध बचत एवं निजी साख ब्यूरो कवरेज का ध्यान रखा गया है। बचत एवं ऋण की आसान उपलब्धता को भी वित्तीय प्रसन्नता को आंकने के मापदंड में शामिल किया गया है। वित्तीय प्रसन्नता के मापदंड पर कतर को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है, ग्रीस को अंतिम स्थान प्राप्त हुआ है एवं भारत को 17वां स्थान प्राप्त हुआ है।

अभी हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने एक बयान में कहा है कि भारत एवं चीन मिलकर, कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान होने वाली वैश्विक आर्थिक वृद्धि में 50 प्रतिशत की भागीदारी करेंगे। कोरोना महामारी एवं रूस तथा यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद में 3 प्रतिशत से कम की वृद्धि दर्ज होगी, जो कि सम्भवत: वर्ष 1990 के बाद से किसी एक वर्ष में सबसे कम वृद्धि दर होने जा रही है।

जब भारत में आर्थिक विकास बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है तो स्वाभाविक रूप से भारत के नागरिकों में प्रसन्नता का भाव भी बढ़ेगा। वैसे भी, विश्व बैंक ने विशेष रूप से भारत में  गरीब वर्ग के नागरिकों की आर्थिक स्थिति में लगातार हो रहे अतुलनीय सुधार के चलते गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे नागरिकों की संख्या में भारी कमी की भरपूर प्रशंसा की है। साथ ही, भारत के नागरिकों का आध्यात्म एवं धर्म की ओर झुकाव भी उन्हें विपरीत परिस्थितियों के बीच भी संतुष्ट एवं प्रसन्न रहना सिखाता है। इसी मुख्य कारण से भारत प्राचीन काल में विश्व गुरु  रहा है। और, अब पुन: भारत, विश्व गुरु  बनने की ओर अग्रसर हो चुका है, इससे भी भारत के नागरिकों में प्रसन्नता की स्थिति का निर्माण होना बहुत स्वाभाविक ही है।

प्रह्लाद सबनानी


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