भ्रष्टाचार के मामलों में निष्पक्ष जांच जरूरी
संसद में हुए ताजा विवाद के संदर्भ में एक न्यूज चैनल के कॉन्क्लेव में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आजकल की सुर्खियां क्या होती हैं? ‘भ्रष्टाचार के मामलों में एक्शन के कारण भयभीत भ्रष्टाचारी लामबंद हुए, सड़कों पर उतरे।’
![]() भ्रष्टाचार के मामलों में निष्पक्ष जांच जरूरी |
इसके साथ ही उन्होंने भाजपा के मंत्रियों, सांसदों और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा, ‘आज कुछ दलों ने मिलकर भ्रष्टाचारी बचाओ अभियान’ छेड़ा हुआ है। आज भ्रष्टाचार में लिप्त जितने भी चेहरे हैं, वो सब एक साथ एक मंच पर आ रहे हैं। पूरा देश ये सब देख रहा है, समझ रहा है।’ दरअसल, प्रधानमंत्री का इशारा भ्रष्टाचार के मामलों पर जांच एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई पर था। मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ कर देश भर में यह संदेश देना चाहते हैं कि वे अपने वायदे के मुताबिक भारत को भ्रष्टाचार-मुक्त करना चाहते हैं। यह एक अच्छी बात है।
भ्रष्टाचार से जनता हमेशा त्रस्त रहती है। इसलिए जब भी कोई नेता इस मुद्दे को उठाता है तो उसकी लोकप्रियता सातवें आसमान पर चढ़ जाती है। प्रधानमंत्री मोदी यदि भ्रष्टाचार के विरु द्ध कड़ा रु ख अपनाएंगे तो दुनिया भर में सही संदेश जाएगा परंतु उन्हें इस बात पर भी जोर देना होगा कि भ्रष्टाचारी चाहे किसी भी दल का क्यों न हो उसे कानून के मुताबिक सजा जरूर मिलेगी। लेकिन अभी तक इसके प्रमाण नहीं मिले हैं। अब तक ईडी और सीबीआई ने जो भी कार्रवाई की हैं, वो सब विपक्षी नेताओं के विरुद्ध और चुनावों के पहले की है। जबकि भाजपा और उसके सहयोगी दलों में भी तमाम ऐसे नेता हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, या ईडी और सीबीआई में दर्जनों मामले लंबित हैं। इसलिए सभी विपक्षी दलों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। मसलन, हिमंत बिस्वा सरमा, कोनार्ड संगमा, नारायण राणो, प्रताप सार्निक, शूवेंदु अधिकारी, यशवंत और जामिनी जाधव और भावना गावली जैसे ‘चर्चित नेता’ जिनके विरुद्ध मोदी और अमित शाह चुनावी सभाओं में भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाते थे, आज भाजपा में या उसके साथ सरकार चला रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि जांच एजेंसियां भी बिना पक्षपात या दबाव के अपना काम करें। विपक्षी दलों की बात ही नहीं हमारे नई दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो से पिछले 8 साल में कितने ही मामलों में सीवीसी, ईडी, सीबीआई और पीएमओ को मय प्रमाण के भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में अनेकों शिकायतें भेजी गई हैं, जिन पर बरसों से कोई कार्यवाही नहीं हुई, आखिर क्यों?
हाल में गुजरात सरकार ने अपने एक वीआईपी पायलट को निकाला है। इस पायलट की हजारों करोड़ की संपत्ति पकड़ी गई है। यह पायलट पिछले बीस वर्षो से गुजरात के मुख्यमंत्रियों के निकट रहा है। इस पायलट के भ्रष्टाचार को 2018 में हमने उजागर किया था पर कार्रवाई 2023 में आकर हुई। सवाल उठता है कि गुजरात के कई मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल के दौरान जब यह पायलट घोटाले कर रहा था तभी इसे क्यों नहीं पकड़ा गया? कौन से अधिकारी या नेता थे जिन्होंने इसकी करतूतों पर पर्दा डाला हुआ था?
प्रज्ञेश मिश्रा की जांच के मामले का क्या हुआ
गुजरात के बाद अब बात करें उत्तर प्रदेश की। 29 जून, 2020 और 20 जुलाई, 2020 को मैंने इसी कॉलम में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के वीआईपी पायलट कैप्टन प्रज्ञेश मिश्रा के भारी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। इस पायलट के परिवार की 200 से ज्यादा ‘शैल कंपनियों’ में हजारों करोड़ रुपया घूम रहा है जिसे सप्रमाण दिल्ली में मेरे सहयोगी कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय सम्पादक रजनीश कपूर ने उजागर किया था। कपूर की शिकायत पर ही प्रवर्तन निदेशालय ने प्रज्ञेश मिश्रा के खिलाफ जांच करने का नोटिस उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को 19 मई, 2020 को जारी किया था। आश्चर्य है कि आज तक इसकी जांच क्यों नहीं हुई? रजनीश कपूर ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को भी इसकी जांच न होने की लिखित शिकायत अप्रैल, 2021 में भेजी। राज्यपाल महोदया ने तुरंत 31 मई, 2021 को उत्तर प्रदेश शासन को इस जांच को करने के निर्देश दिए पर उस जांच का क्या हुआ, आज तक नहीं पता चला। मैंने भी ट्वीटर पर योगी जी का ध्यान कई बार इस ओर दिलाया है कि यह जांच जानबूझकर दबाई जा रही है। उधर, उत्तर प्रदेश शासन ने अपनी तरफ से आश्वस्त होने के लिए या कपूर का नैतिक बल परखने के लिए, उनसे शपथ पत्र भी लिया कि वे अपनी शिकायत पर कायम हैं, और पूरी जिम्मेदारी से यह मामला जनहित में उठा रहे हैं। इसके बाद भी जांच क्यों नहीं हुई, यह चिंता का विषय है। अगर इन कंपनियों में घूम रहे हजारों करोड़ रुपये का स्रेत कैप्टन प्रज्ञेश मिश्र या उनके परिवारजनों से कड़ाई से पूछा गया होता तो अब तक प्रदेश के कितने ही बड़े अफसर और नेता बेनकाब हो चुके होते। क्या इसीलिए उन्होंने इस जांच को आज तक आगे नहीं बढ़ने दिया?
PM को करनी होगी निष्पक्ष जांच
ताजा मामला बहरूपिये किरण पटेल का है, जो खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का वरिष्ठ अधिकारी बता कर जेड प्लस सुरक्षा लेकर कश्मीर जैसे संवेदनशील प्रदेश में अपने तीन प्रभावशाली साथियों के साथ घूमता रहा और अफसरों के साथ बैठकें करता रहा। किरण पटेल और इसके सहयोगी पिछले 20 बरस से गुजरात के मुख्यमंत्री आवास से जुड़े रहे हैं, जिनमें से एक के पिता का इस घटना के बाद निलंबन किया गया है। यह न सिर्फ देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है, बल्कि इसके पीछे कई तरह के भ्रष्टाचार के मामले जुड़े बताए जाते हैं। जेट एयरवेज, एनसीबी और ईडी से जुड़े कई और मामले भी हैं, जिनकी शिकायत समय-समय पर हमने लिख कर और सबूत देकर जांच एजेंसियों और प्रधानमंत्री कार्यालय से की हैं। पर किसी में कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि अगर नरेन्द्र मोदी वास्तव में देश को भ्रष्टाचार-मुक्त करना चाहते हैं, तो बिना भेद-भाव के इन सब बड़े आरोपियों के विरुद्ध निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अन्यथा संदेश यही जाएगा कि प्रधानमंत्री केवल भाषणों तक ही अपने अभियान को सीमित रखना चाहते हैं, उसे जमीन पर उतरते नहीं देखना चाहते।
| Tweet![]() |