यौन शिक्षा : समाज की सोच में आ रहा बदलाव

Last Updated 15 Mar 2023 12:08:31 PM IST

भारत में यौन शिक्षा को लेकर अभी भी चर्चा रहस्यमयी या मायावी बनी हुई है। कोई भी इस विषय पर खुलकर चर्चा नहीं करना चाहता जबकि यह मसला सामाजिक तौर पर बेहद गंभीर है।


यौन शिक्षा पर समाज की सोच में आ रहा बदलाव

विश्व की कई संस्थाएं इसे समाज के लिए अग्रणी मुददों में गिनती हैं। यूनेस्को के मुताबिक 39 फीसदी देशों के पास अभी यौन शिक्षा को लेकर राष्ट्रीय नीति बनी हुई है, वहीं दुनिया के मात्र 20 फीसदी देशों में यौन शिक्षा पर कानून है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस सेक्स एजुकेशन यानी यौन शिक्षा को लेकर लोग आपस में खुलकर बात नहीं करना चाहते, उसी यौन शिक्षा पर दुनिया के कुछ देशों में कानून भी लागू हो चुका है। यह कानून यौन शिक्षा के प्रति वहां जागरूकता का संदेश दे रहा है।

यूनेस्को की एक रिपोर्ट के मुताबिक मात्र 20 फीसदी देशों में यह कानून लागू है जबकि 39 फीसदी देशों के पास इस शिक्षा को लेकर राष्ट्रीय नीति तैयार हो चुकी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्राथमिक शिक्षा में यौन शिक्षा 68 फीसदी देशों और माध्यमिक शिक्षा में 76 देशों में अनिवार्य हो गई है जबकि ज्यादातर देशों में यौन और घरेलू व्यवहार तथा लैंगिक हिंसा जैसे विषय शामिल हैं।

भारत की बात करें तो कुछ आंशिक पहल को छोड़कर यहां अभी इस मसले पर कोई ठोस नीति या कानून नहीं बन पाया है। दो तिहाई गर्भनिरोधक मुद्दे को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना अच्छा कदम माना जा सकता है। मगर खुलकर इसकी पैरवी सरकारी स्तर पर अभी भी नहीं हो पाई है। पाठयक्रम के अंर्तगत विस्तृत कामुकता शिक्षा, कामुकता के ज्ञान, भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक पहलुओं के बारे में पढ़ाने अथवा सीखने का पाठ्यक्रम शामिल है। इसका मकसद बच्चों में ज्ञान, दृष्टिकोण और मूल्यों को समझाना है। यह उनके स्वास्थ्य, सम्मान और कल्याण का अहसास कराने के लिए उन्हें सशक्त बनाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कामुकता मानव जीवन का अभिन्न अंग है। हालांकि रिश्ते और सेक्स के बारे में युवाओं को वैज्ञानिकता के साथ विकसित करना थोड़ा मुश्किल है।

मगर यह भी सच्चाई है कि भ्रमित करने वाली जानकारी या संदेश बचपन से वयस्क होने तक उनके जीवन मूल्यों को और सहज बना देते हैं। बचपन में घरों के अंदर मां-बाप या बुजुगरे के माध्यम से इस शिक्षा की नींव पड़नी चाहिए। फिर स्कूलों में शिक्षकों या गुरुजनों के माध्यम से यौन शिक्षा आधारित यौन शिक्षा ज्ञान का प्रसार होना चाहिए। हालांकि हमारे देश में ऐसे विचारों को लेकर विरोध भी हुए हैं। बुद्धिजीवियों का एक वर्ग इसकी आलोचना करता है, और कहता है कि भारतीय सभ्यता-संस्कृति के लिए यह उपयुक्त नहीं है।

सनद रहे कि 2007 में हालांकि भारत सरकार ने किशोर शिक्षा कार्यक्रम की शुरु आत की थी। मगर तब भी अंतरंग संबंधों के बारे में खुलकर बातचीत नहीं हुई। स्थिति यह है कि आज भी हम बगैर शर्म या हिंचक के ‘सेक्स’ शब्द भी बोल नहीं सकते। मगर युवाओं में उनके शरीर में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी के लिए भी यह शिक्षा जरूरी है। इसकी पैरवी करने वाले, विरोध करने वालों से ज्यादा हैं। आज लड़कियों के मासिक धर्मचक्र के बारे में उन्हें समझाने की जरूरत है। सेक्स के बारे में जागरूकता इसलिए भी जरूरी है कि गर्भधारण के समय एचआईवी, एड्स जैसी बीमारियों से कैसे बचाव किया जाए, उन्हें पता होनी चाहिए या उन्हें निरोधक सामग्री खरीदने में शर्म महसूस न हो, इसलिए भी यह शिक्षा जरूरी है।

विशेषज्ञों के मुताबिक रेप या जबरदस्ती वाले शारीरिक संबंधों को समाप्त करने के लिए इस शिक्षा को महत्त्वपूर्ण माना गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अध्ययन के मुताबिक ज्यादातर बच्चे आज इस तरह की शिक्षा के अभाव में यौन उत्पीड़न के शिकार हो रहे हैं। समाज में यौन उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यौन अपराध बढ़ रहे हैं। भारत में आज भी यौन शिक्षा को लेकर खुलकर चर्चा नहीं हो रही है। इसे सार्वजनिक बोलचाल में आज भी भारी झिझक एवं बेचैनी के साथ प्रस्तुत किया जाता है। विरोध में तर्क है कि कामुकता के बारे में शिक्षा निजी मामला है, और यह भारतीय संस्कृति के खिलाफ जाती है। यह किशोरों को अनैतिकता और स्वच्छता की ओर ले जाती है, इसलिए सरकार को किसी भी रूप में इस शिक्षा को बढ़ावा दिए जाने का सुझाव नहीं दिया गया।

हालांकि भारत की हालिया नई शिक्षा नीति में इसे लेकर कुछ मामूली तब्दीली जरूर हुई है। इससे हमारे समाज का कितना भला होगा, कहना मुश्किल है। लेकिन हम दावे के साथ कह सकते हैं कि हमारी सामाजिक सोच के स्तर में भी इस विषय को लेकर बदलाव आया है, और बात ‘गुड टच और बैड टच’ से आगे निकली है। इससे हमारे देश के बच्चों में यौन शिक्षा के प्रति जागरूकता आएगी और हमारे युवाओं की सोच में बदलाव आएगा। जाहिर है कि इससे देश भी बदलेगा।

सुशील देव


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