मुद्दा : समझना होगा मानवीयता का मर्म

Last Updated 14 Jan 2023 01:38:53 PM IST

हाल ही में सोनीपत जीटी रोड पर दो अलग-अलग स्थानों पर हुए सड़क हादसों में मारे गए दो लोगों के शवों को लगातार वाहनों द्वारा रौंदने की घटनाएं सामने आई हैं।


मुद्दा : समझना होगा मानवीयता का मर्म

इन शवों को पूरी रात रेज रफ्तार वाहन कुचलते रहे। इससे पहले दिल्ली में 20 साल की युवती अंजली को एक कार के नीचे घसीटते हुए कई किलोमीटर तक ले जाया गया था। पिछले कुछ समय से हादसों के बाद शवों को कुचलने या इधर-उधर फेंकने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि एक तरफ तो हम प्रगतिशील एवं सभ्य होने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी तरफ शर्मसार मानवीयता हमारे सभ्य होने पर प्रश्निचह्न लगाती है। इस दौर में हम इतनी तेजी से भाग रहे हैं कि दो मिनट रु ककर न कुछ देखना चाहते हैं, न सुनना चाहते हैं और न कुछ सोचना ही चाहते हैं। आज जिंदगी की इस रफ्तार ने हमारी संवेदनशीलता को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। हम शवों को रौंदकर आगे निकल जाते हैं और पीछे रह जाती है कुछ सवाल छोड़ती हुई हमारी इंसानियत। वही इंसानियत जिस पर हम बार-बार गर्व करते हैं। वही इंसानियत जिसे बचाने के लिए बड़े-बड़े कथा पंडालों में बड़े-बड़े संत उपदेश देते हैं और हम इन संतों को नमन करते हुए उनके आगे हाथ जोड़कर अपना सिर झुका लेते हैं, लेकिन व्यावहारिक जिंदगी में जब ऐसी शर्मनाक घटनाओं के कारण हमारा सिर शर्म से झुकता है तो इंसानियत से हमारा भरोसा उठने लगता है।

दरअसल, बड़ी-बड़ी गाड़ियों में चलने वाला पढ़ा-लिखा तबका स्वयं को सभ्य मानता है और और समय-समय पर अपनी इस सभ्यता पर गर्व भी करता रहता है। सवाल यह है कि क्या सभ्यता पढ़े-लिखे वर्ग की ही बपौती है? क्या अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा मनुष्य सभ्य नहीं हो सकता? वास्तविकता तो यह है कि अनपढ़ मनुष्य भी सभ्य हो सकता है। सभ्यता सीधे हमारी संवेदनशीलता से जुड़ी है। एक अनपढ़ मनुष्य, पढ़े-लिखे मनुष्य से ज्यादा संवेदनशील हो सकता है। एक समय में हमारे ज्यादातर पूर्वज अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे थे, लेकिन वे ज्यादा संवेदनशील थे। दरअसल, इस दौर में पढ़ा-लिखा तबका स्वार्थी हो गया है। इसीलिए वह सड़क पर तेज रफ्तार से दौड़ते हुए ठहरकर कुछ देखना या सोचना नहीं चाहता।

हम सब इतनी हड़बड़ी में हैं कि सड़क पर पड़े हुए शव को देखते हुए भी अनदेखा कर उसे रौंदते हुए चले जाते हैं। जब हमारी सम्यता के साथ स्वार्थ जुड़ जाता है तो हमारी संवेदनशीलता गायब होने लगती है। ऐसी स्थिति में अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा तबका ही ज्यादा विश्वसनीय साबित होता है।

सवाल यह है कि इस स्वार्थ के वशीभूत होकर हम कैसा समाज बना रहे हैं? हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जाने-अनजाने हम जिस स्वार्थ और संवेदनहीनता का चक्रव्यूह रच रहे हैं, एक दिन उसी चक्रव्यूह में हम भी फंस सकते हैं। शवों को रौंदना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। इसका जिम्मेदार भी कोई और नहीं, बल्कि हम ही हैं। दरअसल, सरकार द्वारा बार-बार यह दावा किया जाता है कि पहले की अपेक्षा सड़कों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

हाईवे के संदर्भ में सरकार के इस दावे में सच्चाई भी है। इसके अतिरिक्त सड़कों पर चलने के लिए अच्छा-खासा टोल टैक्स भी वसूला जा रहा है। जिस हिसाब से मोटा टोल टैक्स वसूला जा रहा है, क्या उसी हिसाब से सड़कों पर लोगों को सुविधाएं भी मिल पा रही हैं? ‘भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण’ के कर्मचारी कभी-कभी हाईवे पर घूमते हुए जरूर दिखाई दे जाते हैं। सवाल यह है कि भीषण दुर्घटनाओं के समय ये कर्मचारी कहां रहते हैं? अजीब विरोधाभास है कि सरकार ज्यों-ज्यों सड़कों पर सुविधाएं बढ़ाने दावा करती है, त्यों-त्यों सड़कों पर होने वाली दुघटनाओं की संख्या भी बढ़ रही है।

गौरतलब है कि मर्सिडीज-बेंज रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत के पांच फीसद राजमागरे पर 60 प्रतिशत मौतें होती हैं। यह दुर्घटनाएं सड़कों की खराब स्थिति, सड़कों के उचित रखरखाव में कमी और यातायात नियमों के उल्लंघन सहित कई कारणों की वजह से हाती हैं। तेज गति से वाहन चलाने से बड़ी संख्या में दुघटनाएं होती हैं। सभी दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में से 56 प्रतिशत ओवर स्पीडिंग के कारण होती हैं। दरअसल, जब से सड़कों विशेषत: राष्ट्रीय राजमागरे की स्थिति में सुधार हुआ है, तब से सड़कों पर वाहनों की गति भी बढ़ गई है। कई राजमागरे पर गति नियंत्रित करने के लिए मीटर लगाए गए हैं और गति की सीमा भी लिखी गई है।

इसके बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ पा रही है। कुछ समय पहले केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क हादसों के लिए खराब प्रोजेक्ट रिपोर्ट को जिम्मेदार बताते हुए कहा था कि डीपीआर तैयार करने वाली कंपनियों के लिए प्रशिक्षिण कार्यक्रम आयोजित करने की जरूरत है। बहरहाल, सरकार को सड़कों पर और ज्यादा सुविधाएं प्रदान करनी होंगी तो दूसरी ओर जनता को भी ऐसे मसले पर संवेदनशील बनना होगा।

रोहित कौशिक


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment