कश्मीर में प्रदूषण : चिंता तो गहरी है

Last Updated 20 Dec 2022 01:37:39 PM IST

भारत के प्रदूषित शहरों की तुलना में साफ एवं स्वच्छ शहरों की चर्चा होती है तो बरबस ही लोगों की जुबान पर पहाड़ी क्षेत्रों के राज्यों के नाम आ जाते हैं।


कश्मीर में प्रदूषण : चिंता तो गहरी है

जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर के राज्य या दक्षिणी भारत राज्यों के शहरों का नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं। इनमें भी नदी, पहाड़, जंगल और बर्फीली वादियों की अनुपम छटाओं के कारण कश्मीर को तो भारत का स्वर्ग कहा जाता है। मगर इस स्वर्ग में भी प्रदूषण के कारण नारकीय स्थिति बनना शुरू हो जाए तो कितनी अचंभे वाली बात है। जी हां, देश के अन्य प्रदूषित शहरों की तुलना में जम्मू-कश्मीर राज्य पीछे नहीं है।

जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में प्रदूषण से हर साल करीब 10 हजार लोग अपनी जान गंवा रहे हैं यानी कश्मीर में अब जहरीली हवा चलने लगी है। यहां श्रीनगर जैसे शहर का एक्यूआई स्तर 150 से ज्यादा होने लगी है। ऐसा माना जा रहा है कि यहां प्रदूषण आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। आंकड़े बताते हैं कि इस साल आतंकवाद की वजह से करीब 250 लोगों की मौत हुई जबकि प्रदूषण ने 10 हजार लोगों की जान ले ली। यह दावा वहां के सबसे बड़े अस्पताल शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान ने किया है।

संस्थान के विशेषज्ञों के मुताबिक वहां की हवा में पार्टकिुलेट मैटर 2.5 होने की वजह से ये मौतें हो रही हैं। सोचने वाली बात तो यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी 2018 में श्रीनगर को दुनिया के 10 में सबसे प्रदूषित शहर के रूप में घोषित किया था। ज्ञात हो कि 108 देशों और 4300 शहरों में सर्वे किए जाने के बाद यह घोषणा की गई थी। यदि अन्य कारणों पर गौर किया जाए तो यहां की घाटी में सर्दियों के दौरान खूब लकड़ियां जलाई जाती हैं। दूरदराज के इलाकों में बिजली और गैस की सुविधा नहीं हैं।  कश्मीर में करीब 20 लाख पेट्रोल-डीजल वाहन हैं, और 24 प्रतिशत घरों में चौपहिया वाहन हैं, जो केरल के बाद सबसे ज्यादा हैं। जबकि उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में अभी भी मात्र 7 प्रतिशत से अधिक चौपहिया वाहन नहीं हैं। कश्मीर में सेब, अखरोट, बादाम समेत करोड़ों की संख्या में फलदार पेड़ हैं। फसल उतारने के बाद इनके पत्तों को यहां पराली की तरह जला दिया जाता है।

इसी तरह हर साल वहां 1246 टन कोयला जलता है जो वार्षिक उत्सर्जन का 84% है। इसके अलावा ईट भट्टे और सीमेंट की फैक्ट्री भी संचालित होती हैं। जम्मू-कश्मीर हिमालय पर्वत श्रृंखला के सबसे ऊंचे हिस्सों में स्थित है।

कश्मीर और लद्दाख का इलाका अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए जाना जाता है। कश्मीर की संस्कृति की झलक इतिहास प्रसिद्ध कल्हण जैसे लेखकों की कलम से भी उकेरा गया। मुगल बादशाह तो यहां कि खुबसुरती से इस कदर प्रभावित थे कि उन्होने इस पूरे क्षेत्र को धरती पर स्वर्ग की उपमा दे डाली दी। आज हर कोई इसे धरती पर स्वर्ग कहने से गुरेज नहीं करता। अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण ही कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा गया है।  इसे स्विट्जरलैंड की तुलना में भारत का स्वर्ग कहते हैं। मगर मौजूदा दौर में पर्यावरण प्रदूषण का विषय यहां की सबसे बड़ी चिंता बनकर उभरा है। हालांकि सरकारी-गैर सरकारी स्तरों पर कई उपाय किए जा रहे हैं। मगर इंसानी करतूत इस दूरगामी परिणाम को नहीं समझ पा रहा और गलती पर गलती करता जा रहा है। अगर समय रहते इसका ठीक से निवारण नहीं हुआ तो एक दिन यह हमारे अस्तित्व के लिए ही खतरा बन जाएगा।

कल-कारखानों का धुआं, नदियों में कचरा बहाना, प्लास्टिक के कचरे का निस्तारण न होना या दिवाली में पटाखे जलाना हमें खतरे में डाल रहे हैं यानी जल, थल और वायु के प्रदूषण से यहां हम कितने सेहतमंद हैं, इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है। पर्यावरण बचाना आज दुनिया भर के लिए एक गंभीर मुद्दा है। भारत के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की बात करें तो दिल्ली-एनसीआर यानी नोएडा, गाजियाबाद, बल्लभगढ़, फरीदाबाद, कैथल, गुरुग्राम आदि प्रमुख हैं। इसके साथ ही बेगूसराय, ग्वालियर और कानपुर जैसे शहरों का नाम भी प्रदूषित शहरों में अव्वल है, परंतु वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक इंदौर, सूरत, नवी मुंबई, अंबिकापुर, मैसूर, विजयवाड़ा, अहमदाबाद, नई दिल्ली, चंद्रपुर, खरगोन, राजकोट, तिरु पति, जमशेदपुर, भोपाल, गांधीनगर, चंडीगढ़, बिलासपुर, उज्जैन, नासिक और रायगढ़ आदि को स्वच्छ शहरों की श्रेणी में गिना जाता है।

चिंता इस बात की है कि यहां भी प्रदूषण की समस्याएं कम नहीं। अगर इस गंभीर चिंता पर समय से विचार नहीं किया गया तो हमारे जीवन के लिए यह और भी दुखदायी हो सकता है। इसलिए सरकार के साथ लोगों की जनभागीदारी और प्रदूषण के खिलाफ सतर्कता एवं सजगता बेहद जरूरी है। वैसे भी बड़े नगरों और महानगरों से अच्छी-साफ-स्वच्छ आबोहवा में सांस लेने के लिए लोग जम्मू-कश्मीर का रुख करते हैं, लेकिन वहां भी वातावरण में प्रदूषण फैलता हो तो यकीनन समस्या गंभीर होगी और जिससे पार पाने का कोई रास्ता सुझाई नहीं देगा। समय रहते चेतना होगा।

सुशील देव


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment