सामयिक : याद आई सिंधिया की ’डायरी‘
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का टर्मिंनल 3 भीड़ और अव्यवस्था को लेकर सुर्खियों में है।
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वहां पर सवारियों की लंबी कतारें और बदहाली के चित्र और वीडियो सोशल मीडिया में कई दिनों से छाए हुए हैं। जैसे ही इस मामले ने तूल पकड़ा तो आनन फानन में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हरकत में आए और स्थिति का जायजा लेने अचानक टी 3 पर पहुंच गए। वहां उन्होंने सभी विभागों के अधिकारियों को कई निर्देश दे डाले। यात्रियों को भी भरोसा दिलाया कि स्थिति बहुत जल्द नियंत्रण में आ जाएगी। उनकी इस पहल को देख उनके स्वर्गवासी पिता और केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की ‘डायरी’ याद आ गई।
दरअसल, जब माधवराव सिंधिया 1986-89 तक भारत के रेल मंत्री थे तो मैं रेल मंत्रालय कवर करता था। वहां के वरिष्ठ अधिकारी रेल मंत्री माधवराव सिंधिया की ‘डायरी’ से बहुत घबराते थे। जब भी कभी सिंधिया अधिकारियों की बैठक लेते थे तो तारीख वाली अपनी छोटी सी ‘डायरी’ सामने रखते थे। रेल मंत्रालय की तमाम योजनाओं पर जब विस्तार से चर्चा होती थी तो वे अधिकारियों से उस कार्ययोजना के एक चरण का कार्य पूर्ण होने की अनुमानित तारीख तय करते थे। उस तारीख को ‘डायरी’ में लिख लेते थे और फिर वो महीना और तारीख आने पर उस दिन उन अधिकारियों से उस कार्य की ‘अपडेट’ लेते थे। जैसे ही माधवराव सिंधिया ‘डायरी’ में किसी तारीख के आगे किसी कार्य से संबंधित कुछ लिखते थे, वैसे ही उस कार्य से संबंधित अधिकारियों के पसीने छूट जाते थे।
रात-दिन मेहनत करके संबंधित अधिकारी सुनिश्चित कर लेते थे कि वह कार्य निर्धारित तारीख से पहले पूरा हो जाए। वरना मंत्री जी को मुंह दिखाना भारी पड़ जाएगा। लगता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता का वह गुण उत्तराधिकार में प्राप्त नहीं किया। इसके हमारे पास अनेक प्रमाण हैं। मेरे सहयोगी पत्रकार रजनीश कपूर ने नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) और ‘नागरिक उड्डयन मंत्रालय’ में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की दर्जनों शिकायतें सप्रमाण ज्योतिरादित्य सिंधिया को भेजी हैं। इन पर आज तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
दिल्ली हवाई अड्डे पर अव्यवस्था फैलने से पहले यदि संबंधित अधिकारी नागरिक उड्डयन मंत्री को सही रिपोर्ट देते तो शायद ऐसा न होता। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास दो-दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी है। उन पर भाजपा के सदस्य होने के नाते भी कई जिम्मेदारियां हैं। दोनों जिम्मेदारियों में संतुलन बना कर ही उनको सभी काम कुशलता से करने होंगे। दिल्ली के टी 3 जैसे औचक निरीक्षण उन्हें कई जगह करने होंगे। अपने स्वर्गवासी पिता की तरह उन्हें भी एक ‘डायरी’ रखनी चाहिए जिससे अधिकारियों की जवाबदेही तय हो सके।
दिल्ली हवाई अड्डे की अव्यवस्था को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नये कार्यक्रम ‘डिजि यात्रा’ को ही लें। कहा जा रहा है कि इस नई व्यवस्था से यात्रियों को सहूलियत मिलेगी। लंबी-लंबी कतारों से मुक्ति मिलेगी। एक ही बार अपनी शक्ल दिखा कर उनकी हवाई यात्रा संबंधी सभी तरह की जानकारी सिस्टम पर दर्ज हो जाएगी। हवाई अड्डे के ई-गेट पर अपना बार कोड वाला बोर्डिंग पास स्कैन करना होगा, जिसके बाद वहां लगे फेशियल रिकग्निशन की मदद से आपकी पहचान की जाएगी। आपके फेस और आपके डॉक्यूमेंट को वेरिफाई किया जाएगा। इसके बाद आप आसानी से ई-गेट के जरिए एयरपोर्ट और सिक्योरिटी चेक से गुजर सकेंगे। डिजी यात्रा का इस्तेमाल करने के लिए आपको ‘डिजी यात्रा’ ऐप डाउनलोड करना होगा। इसके बाद आपको अपनी डीटेल भरनी होगी। आपको अपनी जानकारी आधार बेस वैलिडेशन और सेल्फ इमेज के साथ डालनी होगी। आपके द्वारा दी गई जानकारी को सबसे पहले सत्यापित किया जाएगा। उड़ान से पहले वेब चेकइन करते वक्त आपको अपना टिकट इस ऐप पर अपलोड करना होगा। यह व्यवस्था पूरी तरह से पेपरलेस है। फिलहाल यह सेवा दिल्ली, बेंगलूरू और वाराणसी एयरपोर्ट पर शुरू की गई है, जिसका विस्तार दूसरे चरण में मार्च, 2023 तक हैदराबाद, पुणो, विजयवाड़ा और कोलकाता के एयरपोर्ट पर किया जाएगा। दिल्ली के मुकाबले बेंगलुरू और वाराणसी के हवाई अड्डे छोटे हैं। इसलिए अभी तक वहां से कोई भीड़ और अव्यवस्था की खबर नहीं आई। दिल्ली के टी 3 पर ही ऐसी अव्यवस्था दिखाई दी।
जानकारों के अनुसार, यदि इस नई सेवा को लागू करना ही था तो दिल्ली जैसे भीड़भाड़ वाले व्यस्त हवाई अड्डे से शुरु आत नहीं करनी चाहिए थी। यदि किन्हीं कारणों से दिल्ली में ऐसा करना जरूरी था तो दिल्ली के ही छोटे और कम व्यस्त टर्मिंनल को चुना जाना बेहतर होता। वहां भी केवल एक या दो गेटों पर ही इसे अनिवार्य करते। यात्रियों की सहायता के लिए एयरपोर्ट पर सहायकों को नियुक्त किया जाना चाहिए था। वो सब किया जाना चाहिए था जो मामले के तूल पकड़ने पर मंत्री जी के औचक निरीक्षण के बाद तय हुआ। जानकार इस अव्यवस्था को भी नोटबंदी के बाद एटीएम और बैंकों पर लगी लंबी कतारों की तरह मान रहे हैं। डिजी यात्रा के जल्दबाजी के इस निर्णय ने देश का नाम खराब किया है। ‘डिजी यात्रा’ के सफल होने का भरपूर प्रचार किया जाता और देश की जनता को इसके फायदे बताए जाते। चरणबद्ध तरीके से इसे देश भर में लागू किया जाता।
अधिकारी इसी बात की दुहाई दे रहे हैं कि कोविड के बाद यात्रियों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है। छुट्टियों की भीड़ भी आग में घी डालने का काम कर रही है। ऐसे में ‘डिजी यात्रा’ को इस समय लागू करना क्या सही था?
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