राजनीति : फडनवीस का त्याग
व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा राष्ट्र। यह महज एक स्लोगन मात्र नहीं है बल्कि भाजपा के राजनीतिक मूल्यों की आधारशिला भी है।
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इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमें दो दिन पूर्व महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान देखने को मिला। यूं तो राजनीति आंकड़ों का खेल है परंतु सबसे ज्यादा संख्या बल के साथ भी भाजपा ने एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री के रूप में चुना। यह इस बात का प्रतीक है कि 13 करोड़ प्रदेशवासियों की आकांक्षाएं किसी भी राजनीतिक पद से कहीं ऊपर है।
पूरे एपिसोड में दो बातें स्पष्ट रूप से सामने आई और प्रमाणिकता के साथ स्थापित भी हुई है। इस घटनाक्रम ने देवेंद्र फडणवीस को एक संगठनकर्ता, स्वयंसेवक, कुशल राजनीतिज्ञ और दूरदर्शी नेता के रूप में सफलतापूर्वक स्थापित किया है। मुख्यमंत्री पद को त्याग कर, एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी और संगठन में योगदान देने का उनका फैसला अभूतपूर्व है। इस फैसले ने उनका न केवल राजनीतिक कद बड़ा किया बल्कि 13 करोड़ मराठी मानुस के मन को भी जीत लिया। उन्होंने मन भी बड़ा दिखाया और साहस भी बड़ा किया। दो बार के मुख्यमंत्री होते हुए और सबसे बड़े दल के नेता के रूप में, सीएम पद के स्वाभाविक दावेदार होने के बावजूद राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर उन्होंने सरकार में उप मुख्यमंत्री के तौर पर शामिल होकर न केवल राष्ट्रीय नेतृत्व का सम्मान किया बल्कि खुद को एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में लोगों के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है।
ये निर्णय महाराष्ट्र के प्रति उनकी सच्ची निष्ठा एवं सेवाभाव का भी परिचायक है। शास्त्रों में कहा भी गया है-‘अस्माकं कार्याणि अस्मान्सावधीकरिष्यंति।’ केवल कार्य ही हमें परिभाषित करता है या कार्य ही हमारी पहचान है। फडणवीस ने अपने कर्मयोग से खुद को एक राजनेता ही नहीं, उदार चरित्र के धनी व्यक्तित्व के रूप में देश के समक्ष प्रस्तुत किया है। राजनीति में यह सुनहरे अक्षरों में लिखे गए अध्याय के रूप में जाना जाएगा। उप मुख्यमंत्री के रूप में उनका शपथ लेना इस बात का प्रतीक है कि उनके लिए पद महत्त्वपूर्ण नहीं है। ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कि आप राष्ट्र निर्माण में किस प्रकार अपना निस्वार्थ योगदान दे सकते हैं। उनका व्यक्तित्व हर कार्यकर्ता के लिए एक नजीर है। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘राष्ट्र सर्वप्रथम-हमेशा सर्वप्रथम’ के सिद्धांत का अक्षरांश पालन किया है। यह न केवल अद्वितीय बल्कि अनुकरणीय भी है। अटल जी हमेशा कहते थे- ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता और टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।’ देवेंद्र फडणवीस ने ना तो मन ही छोटा किया और ना ही संगठन में किसी का मनोबल टूटने दिया। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात इस पूरे घटनाक्रम से स्थापित हुई वह है उनका जनता के मुद्दों को लेकर सीधा संवाद और प्रदेश की जनता की आवाज बनकर उनको पंचायत से लेकर सदन तक बिना डरे बेझिझक उठाना। अगर हम पिछले दो वर्षो की समीक्षा करें तो पाएंगे कि महाराष्ट्र में केवल विपक्ष था, सरकार हमेशा गायब थी या हाशिये पर थी। सरकार या तो आईसीयू वेंटिलेटर पर थी या फिर रिमोट कंट्रोल मोड में।
शायद इसी का परिणाम है कि शिवसेना का पूरा धड़ा उनके साथ खड़ा हो गया। 106 विधायकों में एक भी विधायक में असंतोष न होना और शिवसेना के पूरे दल का उनके नेतृत्व में विश्वास दिखाना, उनके नेतृत्व क्षमता को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। गोवा चुनाव की सफलता हो, राज्य सभा का चुनाव हो या फिर विधान परिषद के चुनाव; आज पूरे महाराष्ट्र में उनके कद का कोई नेता नजर नहीं आता। ये एक नये युग का सूत्रपात है। सवाल मात्र एक निरंकुश, सत्तालोलुप, अवसरवादी और भ्रष्ट सरकार को हटाने का नहीं था। सवाल आम जनमानस के मन में लोकतंत्र के प्रति विश्वास को बनाए रखने का भी था। ठाकरे परिवार ने न केवल हिंदुत्व को त्याग कर सांप्रदायिक ताकतों के साथ गठबंधन किया था। साथ-ही-साथ देशद्रोहियों को भी राजनीतिक संरक्षण देने का घिनौना काम जारी रखा। आघाड़ी गठबंधन वास्तव में तो अनाड़ी गठबंधन था, जिसमें कुछ भी नेचुरल नहीं था। ना तो नेतृत्व, न ही नीति और न ही संगठन। ठाकरे सरकार के पास न कोई विजन था और न ही जनादेश। राजनीतिक मोह और लोभ से ग्रसित उनका गठबंधन सिर्फ कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की पैतृक पीठ जैसा था। त्रिशंकु सरकार का चले जाना लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जनता का विश्वास है। उद्धव ठाकरे का सत्ता मोह और वंशवाद के पोषक की सोच को जनता ने उचित स्थान दिखा दिया है। अब वंशवाद की राजनीति का कोई भविष्य नहीं है, यह बात पुन: स्थापित हो चुकी है। ये पूर्ण रूप से विकासवाद की परिवारवाद पर जीत है।
देवेंद्र फडणवीस की प्राथमिकता हमेशा 13 करोड़ महाराष्ट्रवासी रहे हैं। मुख्यमंत्री के तौर पर जिस तरह मराठवाड़ा में जलयुक्त शिवार के द्वारा जल पहुंचाने का ऐतिहासिक कार्य सहित मेट्रो हो या कोस्टल रोड, सभी विकास कार्यों को गति दी। सभी के लिए उपलब्ध रहने वाले देवेंद्र फडणवीस ने विकास युक्त तथा भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चलाई। विरोधी पक्ष नेता के रूप में काम करते हुए फडणवीस ने कोरोना काल के दौरान तहसील से लेकर जिला स्तर तक पहुंचकर आम लोगों को सुविधा पहुंचाने का कार्य किया। महाराष्ट्र में आई बाढ़ के समय पैंट को घुटनों तक मोड़कर बरसाती पानी में जाकर उन्होंने समस्याओं का जायजा लिया। उस समय की उनकी तस्वीर को देखकर जनता ने उनको जननायक के रूप में सराहा और स्वीकार किया। देवेंद्र फडणवीस जिस तरह विधानसभा में सरकार के भ्रष्टाचार एवं अत्याचार की पोल खोलते हुए महाराष्ट्रवासियों की आवाज बने, वह सभी के लिए एक नजीर बनी। आज जब फिर उनकी सत्ता में वापसी हुई तो रु के हुए विकास कार्यों को गति देते हुए उन्होंने मेट्रो कार शेड को मंजूरी प्रदान की।
आने वाले दिनों में नये स्वरूप में शिंदे-फडणवीस के नेतृत्व में विकास कार्यों को नई दिशा मिलेगी। ठाकरे सरकार की अकर्मण्यता और कुशासन से पनपी चुनौतियों से निबटने की जिमेदारी भी सरकार पर होगी। 5 साल के फडणवीस कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड इस बात का साक्षी है कि विकास की जो यात्रा 2019 तक जारी थी, अब फिर से डबल इंजन की सरकार उसे अग्रसर रखेगी। मोदी जी का विजन और फडणवीस का मिशन निश्चित रूप से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र को विकास की नई ऊंचाई देगा।
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