विश्लेषण : बजट से उम्मीदें

Last Updated 01 Feb 2022 02:14:41 AM IST

सरकार की मौजूदा नीतियों और पहलों से लगता है कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 1 फरवरी 2022 को पेश किए जाने वाले बजट में मांग में तेजी लाने, रोजगार सृजन को गति देने, राजकोषीय स्थिति में सुधार करने, राजस्व बढ़ाने, अवसंरचना को मजबूत करने, स्वास्थ्य की अवसंरचना को बेहतर बनाने, पूंजीगत खर्च को बढ़ाने आदि के लिए सरकार जरूरी कदम उठा सकती है।


विश्लेषण : बजट से उम्मीदें

सरकार आयकर की धारा 80 सी के तहत निवेश पर टैक्स छूट का दायरा बढ़ा सकती है, क्योंकि कोरोना काल में बुजुगरे को पैसों की कमी की वजह से कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2021 में देश में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या करीब 1.31 करोड़ थी, जिसके वर्ष 2041 तक2.39 करोड़ होने का अनुमान है। चूंकि, भारत में अधिकांश वरिष्ठ नागरिकों की आय का कोई नियमित साधन नहीं है, इसलिए, मामले में अगर वरिष्ठ नागरिक अपने जवानी के दिनों में रिटायरमेंट प्लान करें तो उन्हें बुढ़ापे में आर्थिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। फिलवक्त, नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस)के तहत जमा पर आयकर में छूट देकर सरकार लोगों को बचत करने के लिये प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन अभी भी मामले में निवेशकों को और प्रोत्साहन देने की जरूरत है। नौकरीपेशा लोग चाहते हैं कि स्टैंर्डड डिडक्सन में बढ़ोतरी की जाए, स्वास्थ्य खचरे पर टैक्स में ज्यादा राहत मिले, टैक्स छूट की बेसिक लिमिट में बढ़ोतरी की जाए आदि। आयकर में ज्यादा राहत मिलने से लोगों को बचत करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और वे बेहतर तरीके से रिटायरमेंट प्लान कर सकेंगे।

आयकर में राहत देने से अभी तक आयकर रिटर्न नहीं भरने वाले लोग भी आयकर रिटर्न भरने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी, सरकार को घरेलू निवेश के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर महंगे कच्चे तेल के कारण देश में महंगाई उच्च स्तर पर बनी हुई है। वैसे, भारतीय रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में महंगाई पर काबू पाने के लिए समीचीन उपाय कर सकता है, लेकिन संभावना है कि 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में भी सरकार महंगाई को कम करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर आरोपित टैक्स में कुछ राहत दे सकती है। कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हुई हैं। इस वजह से अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देश स्वास्थ्य से जुड़े उत्पादों पर से टैक्स की दर को कम कर रहे हैं। बजट में सरकार भी आम लोगों को राहत देने के लिए टैक्स की मौजूदा दरों में कटौती कर सकती है, क्योंकि स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करना आज सबसे जरूरी है। सरकार आयकर की धारा 80 डी के तहत भी आयकर दाताओं को राहत दे सकती है, जो स्वास्थ्य बीमा की किस्त में दी जा रही राहत से अलग हो सकती है। साथ ही, सरकार मेडिक्लेम बीमा की किस्त पर आरोपित की जा रही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर को भी 18 प्रतिशत से कम कर सकती है। इसे कम करने से लोगों के बीच स्वास्थ्य बीमा की मांग बढ़ेगी। कोरोना महामारी के कारण वर्क फ्रॉम होम कल्चर में मार्च 2020 के बाद अभूतपूर्व इजाफा हुआ है। निजी क्षेत्र में आज यह कल्चर बहुत ही लोकप्रिय है। खास करके सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में। आज करोड़ों की संख्या में निजी क्षेत्र के कर्मचारी अपने घर से काम कर रहे हैं। हालांकि, इससे कर्मचारियों के मासिक खर्च में बढ़ोतरी हुई है। कर्मचारियों को इंटरनेट कनेक्टिविटी, घर पर ऑफिस सेटअप तैयार करने, इलेक्ट्रिसिटी आदि पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। इसलिए अनुमान है कि ऐसे कर्मचारियों के लिए सरकार बजट में कुछ राहत दे सकती है। देश में अमीरों और गरीबों के बीच की खाई लगातार चौड़ी हो रही है। विश्व असमानता रिपोर्ट के ताजा आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में देश की कुल राष्ट्रीय आय का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा केवल एक प्रतिशत लोगों के पास है। दूसरी ओर, निचले तबके की आधी आबादी को कुल राष्ट्रीय आय का महज 13.1 प्रतिशत ही मिल पा रहा है। मौजूदा स्थिति की वजह से आम आदमी के बीच काफी असंतोष है। इसलिए, माना जा रहा है कि सरकार आम आदमी और अमीर के बीच चौड़ी होती खाई को पाटने के लिए अमीरों पर वेल्थ और इनहेरिटेंसटैक्स लगा सकती है। ऐसा करने से आर्थिक असमानता में कुछ कमी आ सकती है। साथ ही साथ इससे सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
सरकार इलेक्ट्रिक वाहन के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहती है, ताकि सीमित संसाधन जैसे, पेट्रोल और डीजल के इस्तेमाल में कटौती की जा सके। इससे पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में कमी आएगी और इलेक्ट्रिक वाहन के निर्माण की लागत पेट्रोल और डीजल वाहन के निर्माण लागत से कम होने की वजह से सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी। अगर सरकार इलेक्ट्रिक वाहन के लिए दिए जाने वाले ऋण को प्राथमिकता क्षेत्र में लाती है तो लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए सस्ती दर पर ऋण ले सकेंगे। सरकार को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए और भी राहत देने की जरूरत है। खासकर के इस क्षेत्र में निवेश करने वाले निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए। इसके इस्तेमाल से देश में पारंपरिक ईधन, मसलन, कोयला, पेट्रोल, डीजल आदि के उपयोग में कमी आएगी। अस्तु, कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार इस क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए बजट में कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठा सकती है। बजट में सरकार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए बड़ी राशि का आवंटन करना चाहिए, क्योंकि वर्ष 2020 में तालाबंदी की वजह से उत्पन्न बेरोजगारी को दूर करने में इसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
ग्रामीण इलाकों में मनरेगा रोजगार सृजन काएक बड़ा माध्यम है। सरकार को स्टार्टअप्स और उद्यमिता शुरू करने वालों को आर्थिक प्रोत्साहन देना चाहिए और साथ में उन्हें आसानी से ऋण उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था करनी चाहिए। बजट दस्तावेज गोपनीय तरीके से तैयार किए जाने हैं, जिसके कारण यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि सरकार बजट में किस तरह के नीतिगत फैसले लेने वाली है। इसलिए आप बजट के प्रावधानों के बारे में अनुमान जरूर लगाइए, लेकिन उसके आधार पर निवेश करने से बचें।

सतीश सिंह


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