उत्तर प्रदेश : योगी के मंत्र से सुधरता स्वास्थ्य तंत्र
स्वास्थ्य (चिकित्सा एवं चिकित्सा शिक्षा) क्षेत्र योगी आदित्यनाथ का पसंदीदा क्षेत्र रहा है।
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दरअसल, 1998 से 2017 तक उन्होंने गोरखपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया। गोरखपुर के आसपास का पूरा क्षेत्र (नेपाल से सटे से लेकर बिहार तक) तराई का है। इस इलाके में मच्छरों की बहुलता है। चंद फीट की गहराई में पानी उपलब्ध होने के कारण प्रदूषित भी है। ऐसे में करीब 6 से 7 करोड़ लोगों की आबादी वाला यह इलाका मच्छर और जलजनित रोगों (इंसेफेलाइटिस, एईएस, कालाजार, डेंगू, चिकनगुनिया, फाइलेरिया आदि) के प्रति संवेदनशील है। इंसेफेलाइटिस एवं एईएस से हर साल सैकड़ों-हजारों की संख्या में मौत होती रही हैं। मरने वालों में अधिकांश मासूम रहते थे। मौतों से अधिक संख्या शारीरिक एवं मानसिक रूप से दिव्यांग होने वालों की रही है।
योगी इन सबके साक्षी रहे हैं। यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए उन्होंने सड़क से लेकर संसद तक जो संघर्ष किया उससे हर कोई वाकिफ है। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद भी इस क्षेत्र में उनकी रु चि का सिलसिला जारी रहा। हालांकि देश के सर्वाधिक आबादी वाले प्रदेश में संसाधन अपेक्षाकृत कम हैं, और पिछली सरकारों द्वारा चिकित्सा व शिक्षा के क्षेत्र में इसकी अनदेखी की गई। जो ठान लिया उसे अंजाम तक पहुंचाना योगी की फितरत है। इंसेफेलाइटिस पर लगभग नियंत्रण कर उन्होंने इसे साबित भी किया। आम नागरिक को पास में सस्ता, बेहतर और अद्यतन इलाज मिले, इसके लिए भी वे सतत प्रयासरत रहे हैं। गोरखपुर में 1011 करोड़ रु पये की लागत से 112 एकड़ के विस्तृत रकबे पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के परिसर में रिजनल मेडिकल रिचर्च सेंटर (आरएमआरसी), दोनों विस्तरीय संस्थानों का लोकार्पण 7 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर चुके हैं। इसके पहले 28 अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोरखपुर में प्रदेश के इकलौते आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था। गोरक्षपीठ की तरफ से बने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में भी मेडिकल एवं पैरा मेडिकल शिक्षा की शानदार व्यवस्था है। इंस्टीटूट ऑफ मेडिकल साइंस भी जल्द क्रियाशील हो जाएगा। ये सभी संस्थान पूरे क्षेत्र में होने वाले मौसमी, संचारी एवं गंभीर रोगों के इलाज, इन रोगों की वजहों पर शोध और तद्नुसार इनके नियंत्रण में मील का पत्थर साबित होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की भी है। अभी 59 जिलों में प्रदेश सरकार की तरफ से मेडिकल कॉलेज बन चुके हैं, बन रहे हैं, या निर्माणाधीन/प्रक्रियाधीन हैं।
अक्टूबर माह में प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ यूपी के नौ नये राजकीय मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण किया था। नये मेडिकल कॉलेज केंद्र सरकार के सहयोग से प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत बने हैं, या बन रहे हैं। प्रदेश के 16 जिलों (बागपत, हाथरस, रामपुर, संभल, शामली, महाराजगंज, कासगंज, मऊ, श्रावस्ती, चित्रकूट, बलिया, भदोही, हमीरपुर, महोबा, मैनपुरी और संत कबीरनगर) में भी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर मेडिकल कॉलेज की कार्ययोजना बनाई जा चुकी है।
मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के साथ ही यूपी मेडिकल उपकरणों का भी महत्त्वपूर्ण हब बनने जा रहा है। राज्य में बड़े निवेशकों के जरिए यूपी को मेडिकल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग तथा दवा निर्माण का हब बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी ने सत्ता में आते ही कार्य शुरू किया था। इसके तहत उन्होंने राज्य में मेडिकल डिवाइस पार्क के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा। नोएडा में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना को केंद्र की मंजूरी मिल गई है। दवाओं के निर्माण के लिए भी सरकार ने बीते माह कई फैसले किए हैं जिसके चलते 2018 में बनी फार्मास्यूटिकल नीति में संशोधन कर नई फार्मास्यूटिकल नीति लाने का फैसला किया है। इससे कच्चे माल के रूप में एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) निर्माण करने वाली कंपनियों ने यूपी में आने की पहल की है। जल्दी ही दवा निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत देश-विदेश की बड़ी दवा कंपनियां भी यूपी में आएंगी। इससे दवाओं के कच्चे माल के आयात के लिए चीन पर निर्भरता कम होगी और यूपी दवा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।
राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए जारी प्रयासों के चलते मात्र आठ महीनों में साढ़े पांच सौ से अधिक ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए कोविड टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है, ऑक्सीजन कंसंट्रेटरों तथा बेड की संख्या में इजाफा किया गया है। योगी के इन प्रयासों की तारीफ नीति आयोग भी करने लगा है। बीते सोमवार को नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश के उन बड़े राज्यों में शीर्ष पर है, जिनके स्वास्थ्य तंत्र में उल्लेखनीय सुधार आया है। स्वाभाविक रूप से यह बदलाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से ही आया है। लिहाजा, इसका श्रेय उन्हीं को जाता है।
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