अर्थव्यवस्था : मुश्किल है चीनी उत्पादों का बहिष्कार
जनवरी, 2021 से नवम्बर, 2021 के दौरान भारत और चीन के बीच कुल 8.57 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ जो अब तक उच्चतम स्तर है।
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पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह 46.4 प्रतिशत अधिक है। इस दौरान भारत ने चीन से 6.59 लाख करोड़ रुपये के विविध उत्पाद आयात किए जो पिछले साल के इसी अवधि की तुलना में 49 प्रतिशत अधिक है। हालांकि इस अवधि में चीन ने भी भारत से रिकॉर्ड आयात किया। इस दौरान, चीन ने कुल 1.98 लाख करोड़ रुपये के उत्पाद भारत से आयात किए जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 38.5 प्रतिशत अधिक है। बावजूद इसके भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 4.61 लाख करोड़ हो गया, जो अब तक का उच्चतम स्तर है।
भारत और चीन के बीच कारोबार तब बढ़ रहा है, जब दोनों के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव बना हुआ है। लेकिन मौजूदा स्थिति दो देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार की महत्ता की तस्दीक करती है। आज युद्ध से ज्यादा जरूरी कारोबार हो गया है। अगर दूसरे देशों से कारोबारी रिश्ते अच्छे नहीं हों तो देश बर्बाद भी हो सकता है। इसके लिए किसी युद्ध की कदापि जरूरत नहीं है। इसलिए बदली परिस्थितियों को आश्चर्य की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। भारत आज भी आत्मनिर्भर नहीं है। चीन के उत्पादों का बहिष्कार करना भारत और आमजन का उठाया गया भावनात्मक कदम हो सकता है, लेकिन वास्तविकता में भारत के बाजारों पर चीनी उत्पादों का कब्जा है।
भारत के गांव-देहात में हर ग्रामीण चीन में बने उत्पादों का इस्तेमाल कर रहा है। नाई द्वारा कटिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चादर, कैंची, उस्तरा, बच्चों द्वारा खेले जाने वाले खिलौने, दीवाली के दीये, देवी-देवता, सजावट के समान, मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, गांव के किराने के दुकान पर अधिकांश सामान आदि चीन के बने हुए हैं। ऐसे में क्या चीन के उत्पादों का बहिष्कार हम कर सकते हैं?
भारत अपनी घरेलू जरूरतें पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर चीन निर्मित उत्पादों का आयात करता है। इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर बाजार के मामले में भी चीन का भारत के बाजारों पर कब्जा है। किसी भी देश की निर्यात से अर्जित राशि यदि आयात में खर्च की गई राशि से अधिक होती है, तो उसे व्यापार मुनाफा कहा जाता है, वहीं, जब आयात में खर्च की गई राशि यदि निर्यात से अर्जित राशि से अधिक होती है, तो उसे व्यापार घाटा कहते हैं।
चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ा है अर्थात भारत चीन से विविध उत्पादों का आयात ज्यादा करता है, जबकि निर्यात कम। 2014 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 3.36 लाख करोड़ रुपये था, तो 2021 में 4.61 करोड़ रुपये रहा। आंकड़ों से साफ हो जाता है कि चाहे हम चीन के उत्पादों का बहिष्कार करने के लाख दावे करें, लेकिन हकीकत में ऐसा करना हमारे लिए संभव नहीं है। हम आज भी और आगामी सालों में भी अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए चीनी उत्पादों पर निर्भर रहेंगे। इतना ही नहीं, आज भी हम कई उत्पादों के निर्माण के लिए चीन से कच्चे माल का आयात करते हैं, और हमारी यह निर्भरता आने वाले सालों में भी बनी रहेगी।
वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान के भारत और चीन के बीच हुए कारोबार के आंकड़े बताते हैं कि भारत ने चीन को कम मूल्य के कच्चे उत्पादों का ज्यादा निर्यात किया था, जबकि वह विनिर्माण से जुड़े उत्पादों का चीन से आयात कर रहा था। इस अवधि में भारत से चीन मुख्य रूप से लौह अयस्क, पेट्रोलियम आधारित ईधन, कार्बिनक रसायन, परिष्कृत कॉपर, कॉटनयार्न आदि का आयात कर रहा था। खाद्य वस्तुओं में मछली एवं समुद्री खाद्य पदार्थ, काली मिर्च, वनस्पति तेल, वसा आदि भी भारत, चीन को निर्यात कर रहा था। साथ ही, भारत ग्रेनाइट के ब्लॉक एवं रियल एस्टेट में इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोन और कच्चे कपास का निर्यात भी चीन को कर रहा था।
चीन में ऑटोमोबाइल, मोबाइल और कंप्यूूटर के कलपुजरे का बड़ी मात्रा में निर्माण किया जाता है। चीन से भारत आयातित उत्पादों में इलेक्ट्रॉनिक्स का 20.6 प्रतिशत, मशीनरी का 13.4 प्रतिशत, ऑर्गेनिक केमिकल्स का 8.6 प्रतिशत और प्लास्टिक उत्पादों का 2.7 प्रतिशत योगदान है, जबकि भारत से चीन को निर्यातित उत्पादों में ऑर्गेनिक केमिकल्स का 3.2 प्रतिशत और सूती कपड़ों का 1.8 प्रतिशत का योगदान है। भारत इलेक्ट्रिकल मशीनरी, मैकेनिकल उपकरण, ऑग्रेनिक केमिकल, प्लास्टिक और ऑप्टिकल सर्जिकल उपकरणों का सबसे अधिक आयात करता है, जो भारत के कुल आयात का 28 प्रतिशत है। भारत में भले ही चीन में बने सामानों के बहिष्कार की बात कही जाती है, लेकिन भारत के बहुत सारे उद्योग कच्चे माल एवं कलपुजरे के लिए चीन पर निर्भर हैं। भारत भी कई तैयार उत्पादों के लिए चीन पर निर्भर है। ऐसे में हमें चाइनीज उत्पादों का बहिष्कार करने का ढकोसला करने की जगह ‘मेड इन इंडिया’ सामानों की संख्या को बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।
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