खाद्य पदार्थ : निर्यात मोर्चे पर बढ़ता भारत

Last Updated 20 Dec 2021 12:43:20 AM IST

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण दुनिया भर के देशों के व्यापार और अर्थव्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, और बिगड़ी सप्लाई चेन ने कई देशों के आयात-निर्यात संबंधों को बुरी तरह प्रभावित किया है।


खाद्य पदार्थ : निर्यात मोर्चे पर बढ़ता भारत

ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था और आयात-निर्यात को फिर से पटरी पर लाना प्रत्येक देश के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौटती दिख रही है, और निर्यात के मामले में विश्व पटल पर बढ़त बना रही है।
निर्यात के मामले में भारत ने अब बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अरब देशों को फूड एक्सपोर्ट यानी खाने-पीने के सामान निर्यात के मामले में 2020 में भारत पहले पायदान पर पहुंच गया है। पिछले 15 सालों में पहली बार हुआ है, जब भारत खाद्य निर्यात के मामले में पहले स्थान पर पहुंचा है। भारत ने ब्राजील को पीछे छोड़ दिया है, और अरब देशों के लिए सबसे बड़ा खाद्यान्न निर्यातक बन कर उभरा है। अरब ब्राजील चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कोविड महामारी से 2020 में अरब और ब्राजील के व्यापार में कमी आई है। चेंबर ऑफ कॉमर्स, ब्राजील और अरब के लोगों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। अरब देश ब्राजील के महत्त्वपूर्ण कारोबारी साझेदार हैं, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान  ब्राजील ने इन देशों से व्यापार में दूरी बनाई, जिसका उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ब्राजील की अरब देशों से भौगोलिक दूरी भी उसके पिछड़ने का कारण है। महामारी के दौरान चीन ने भी अरब देशों में अपने खाद्य उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाई है। इससे भी इस क्षेत्र में ब्राजील के व्यापार को नुकसान पहुंचा। ब्राजील अपने पारंपरिक शिपिंग मागरे भारत, तुर्की, अमेरिका, फ्रांस, अज्रेटीना आदि से व्यवधान के चलते अपनी जमीन खोता चला गया। इसी का लाभ भारत को मिला। ब्राजील के जहाज जहां सऊदी अरब में एक महीने में पहुंच जाते थे, वहीं अब 2 महीने लग जाते हैं, जबकि भारत इसके काफी करीब होने की वजह से महज एक हफ्ते में फल, सब्जियां, चीनी, अनाज और मीट आदि वहां पहुंचा देता है। ब्राजील से निर्यात कम होने से सऊदी अरब ने घरेलू उत्पादन पर जोर दिया और भारत जैसे विकल्पों से आयात को भी बढ़ावा दिया। इससे भारत का सऊदी अरब में निर्यात बढ़ा।
इस साल भारत 20 से 25 लाख टन गेहूं निर्यात करेगा। भारत से काफी मात्रा में गेहूं का एक्सपोर्ट हो रहा है, भारत ने पड़ोसी अफगानिस्तान को भी मानवीय मदद के तौर पर 5 करोड़ किलो गेहूं देने की बात कही है। यह गेहूं पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान जाएगा। जहां तक भारत और पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्तों का सवाल है, तो वो पहले जैसे ही रहेंगे यानी पाकिस्तान से भारत चीजें आ सकती हैं, लेकिन पाकिस्तान नहीं जा सकतीं, सिवाय कॉटन और गन्ने के।

कोरोना संक्रमण के दौरान दुनिया भर में अनाज संकट पैदा होने की आशंका जताई जा रही थी। दुनिया के कई हिस्सों में अनाज और दूसरे खाद्य पदाथरे की पैदावार घटी है, इससे खाद्यान्न की कमी बढ़ी है और कीमतों में भी इजाफा हुआ है, भारत को इस स्थिति का फायदा मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं, चावल, चीनी और मक्का की मांग बढ़ी है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल से फरवरी के 11 महीनों के दौरान देश से 2.74 लाख करोड़ रुपये के कृषि उत्पादों का निर्यात किया गया है। यह साल भर पहले की इसी अवध के 2.31 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 16.88 फीसदी ज्यादा है। प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात भी पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी के दौरान 26.51 प्रतिशत बढ़ा। इन उत्पादों में दालें, प्रसंस्कृत फल-सब्जियां, जूस, मूंगफली, अनाज से बनी वस्तुएं, दुग्ध उत्पाद, अल्कोहल पेय, तेल खली आदि शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में जून, 2020 के बाद गेहूं के भाव में 48 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। मक्के की कीमत में अप्रैल, 2020 के बाद 91 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मोटे चावल का भाव 110 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ा है। ग्लोबल मार्केट में गेहूं का भाव करीब 7 साल की ऊंचाई पर चला गया है जबकि मक्के के दाम करीब 8 साल की ऊंचाई पर हैं। कोरोना काल में गेहूं, चावल, मक्का और चीनी जैसी कमोडिटी की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी ज्यादा बढ़ गई है लेकिन कुछ देशों की ओर से पर्याप्त सप्लाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्यान्न की सप्लाई बढ़ाकर कमाई करने का अवसर बढ़ गया है।

रंजना मिश्रा


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