पृथ्वी : आसमानी विनाशदूतों से बचाना होगा

Last Updated 14 Dec 2021 12:19:42 AM IST

हमारा ब्रह्मांड उग्र हलचलों से भरा पड़ा है, जिसमें तारे ग्रहों को निगल जाते हैं, आकाशगंगाओं का एक-दूसरे में विलय हो जाता है, ब्लैक होल आपस में टकरा जाते हैं तथा सुपरनोवा और अन्य खगोलीय पिंड घातक रेडिएशन छोड़ते हैं।


पृथ्वी, आसमानी विनाशदूतों से बचाना होगा

कुल मिलाकर ब्रह्मांड एक बेहद हिंसक स्थान है और अंतरिक्ष के अनिगनत खगोलीय संरचनाओं की तुलना में हमारी पृथ्वी की हैसियत नाजुक, कमजोर और खतरों भरी है।
वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के गर्भ में सुरक्षित जीवाश्मों के अध्ययन से यह स्पष्ट निष्कर्ष निकाला है कि हमारी पृथ्वी कभी भी खतरों से खाली नहीं रही और इसने अनेक संकटों को झेला है। बीसवीं सदी तक हम सोचते थे कि हम बहुत सुरक्षित जगह पर रह रहे हैं, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। मानव जाति के लुप्त होने के कई खतरे हैं। कुछ खतरे मानव निर्मिंत हैं, जैसे-जलवायु परिवर्तन, परमाणु युद्ध, जैव विविधता का विनाश, ओजोन की परत में सुराख, वहीं कुछ आसमानी खतरे भी हैं, जैसे-किसी क्षुद्रग्रह या धूमकेतु से टकरा जाने के खतरा। हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने क्षुद्रग्रहों से पृथ्वी को बचाने की तकनीक के परीक्षण के लिए कैलिफोर्निया वेंडेबर्ग स्पेस फोर्स बेस से एक रॉकेट के जरिए ‘डार्ट’ (डबल एस्टेरॉइड रिडाइरैक्शन टेस्ट) मिशन को लांच किया है। योजना के मुताबिक 24 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से एक अंतरिक्षयान 2 अक्टूबर, 2022 को डाइमॉरफस नामक क्षुद्रग्रह से टकराएगा और उसके रास्ते को बदलने की कोशिश करेगा। नासा ने इसे ‘प्लानेट्री डिफेंस’ नाम दिया है।

यह प्रयोग इसलिए किया जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि अगर भविष्य में कोई आसमानी विनाशदूत (क्षुद्रग्रह या धूमकेतु) पृथ्वी की ओर आता हुआ दिखाई देता है तो क्या उसे उसके यात्रा पथ से विचलित करने में यह तकनीक कारगर साबित हो सकती है या नहीं। पृथ्वी की रक्षा के लिए इस तरह की तकनीक का यह पहला प्रदर्शन होगा। हमने स्कूलों में जुरासिक काल का इतिहास पढ़ा है कि करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर और बड़े-बड़े प्राणियों का राज था। उनका क्या हुआ? डायनासोर पृथ्वी से कैसे विलुप्त हो गए, इसकी कई वजहें बताई जाती हैं, लेकिन इसका सर्वाधिक मान्यता प्राप्त सिद्धांत यह है कि आज से तकरीबन 6.5 करोड़ साल पहले किसी बड़े क्षुद्रग्रह के टकराने से मची तबाही ने डायनासोर समेत पृथ्वी पर रहने वाले लगभग 75 फीसद जीव-जंतुओं का हमेशा-हमेशा के लिए सफाया कर दिया। इस टक्कर की वजह से बेहद गर्म तरंगें पैदा हुई और उन्होंने आकाश को ठोस और तरल कणों वाली गैस के बादल से भर दिया। इसकी वजह से सूर्य के सामने कई महीनों के लिए एक काला धब्बा आ गया और नतीजन सूर्य की रोशनी पर निर्भर पेड़-पौधे और जीव-जंतु मर गए। आम लोग क्षुद्रग्रहों से इसी वजह से खौफ खाते हैं कि जब यह करोड़ों वर्षो तक धरती पर राज करने वाले डायनासोर जैसे विशाल प्राणियों का नामोनिशान मिटा सकता है तो हम मामूली इंसान की क्या बिसात है? धरती के दामन पर लगे 200 से अधिक दाग (क्रेटर्स) इस बात के साक्षी हैं कि अंतरिक्ष के विनाशदूत यायावरों ने एक नहीं कई बार पृथ्वी से जैव प्रजातियों का नामोनिशान मिटाया है। नासा के प्लानेट्री डिफेंस ऑफिसर लिंडले जॉनसन के मुताबिक, ‘हालांकि अभी तक ऐसे किसी क्षुद्रग्रह के बारे में जानकारी नहीं मिली है, जिससे निकट भविष्य में पृथ्वी को नुकसान पहुंचने वाला हो, लेकिन धरती के आसपास अंतरिक्ष में बड़ी संख्या में क्षुद्रग्रह हैं। नासा की कोशिश ऐसी तकनीक विकसित करना है जिससे भविष्य में पृथ्वी को खतरा पैदा होने की स्थिति में समय रहते कार्रवाई की जा सके।’
डार्ट का लक्ष्य डाइमॉरफस क्षुद्रग्रह के मार्ग को थोड़ा सा बदलना है। डार्ट लगभग 24 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से डाइमॉरफस से टकराएगा। अगर ये हो गया तो, उसकी कक्षा बदल जाएगी। डार्ट मिशन के प्रोग्राम साइंटिस्ट टॉम स्टेटलर के मुताबिक, ‘ये एक बहुत ही छोटा परिवर्तन लग सकता है, लेकिन एक क्षुद्रग्रह को पृथ्वी से टकराने से रोकने के लिए हमें बस इतना ही करना है।’ डाइमॉरफस की चौड़ाई 169 मीटर के आसपास है। यह क्षुद्रग्रह अपने से बड़े एक दूसरे क्षुद्रग्रह डिडीमॉस की परिक्रमा कर रहा है, जो लगभग 780 मीटर चौड़ा है। डाइमॉरफस एक ऐसा क्षुद्रग्रह है, जिससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है, इसलिए इसे परीक्षण के लिए चुना गया है। इस पूरी घटना को पृथ्वी से दूरबीन के जरिए देखा जा सकेगा। बहरहाल, दुनिया भर के वैज्ञानिकों की निगाह नासा के डार्ट मिशन पर है क्योंकि यह मिशन भविष्य में पृथ्वी की तरफ आ रहे खतरों से निपटने का तरीका बताएगा।

प्रदीप कुमार


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