कोरोना : खतरा अभी टला नहीं
यूरोप में कोरोना फिर कहर ढाह रहा है। जैसे-जैसे कोरोना के संक्रमण के दोबारा फैलने की खबरें आ रही हैं वैसे-वैसे ही आम जनता में इसके प्रति चिंता बढ़ती जा रही है।
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यह बात सही है कि भारत में कोरोना महामारी की स्थिति पहले से बेहतर तो हुई है। लेकिन जब तक यह बीमारी पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाती तब तक हम सबको सावधानी ही बरतनी पड़ेगी। हमें इस बीमारी के साथ अभी और रहने की आदत डाल लेनी चाहिए।
कोरोना का वायरस एक ड्रिप इंफेक्शन है, जो केवल निकटता और संपर्क में आने से ही फैलता है हवा में नहीं। लगातार हाथ धोने और उचित दूरी बनाए रखने से ही इससे बचा जा सकता है। कोरोना का वायरस किसी भी धर्म, जाति, लिंग या स्टेटस में भेद नहीं करता। यह किसी को भी हो सकता है। यदि आप बाहर से आते हैं तो घर के बाहर जूतों को उतारना अच्छी आदत है। इसलिए घर में घुसते ही तुरंत कपड़े बदलना और स्नान करना अनिवार्य नहीं है। लेकिन शुद्धि करना अच्छी आदत होती है, जो हमारे देश में सदियों से चली आ रही है। कोरोना के चलते दुनिया भर में हुए लॉकडाउन ने हमें एक बार फिर अपनी जीवन पद्धति को समझने, सोचने और सुधारने पर मजबूर किया है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से लोग बेपरवाह होकर खुलेआम घूम रहे हैं और सामाजिक दूरी भी नहीं बना रहे हैं, उससे संक्रमण के फिर से फैलने की खबरें आने लग गई हैं। विशेषज्ञों की मानें तो संक्रमण के मामलों में गिरावट का श्रेय टीकाकरण अभियान को जाता है। साथ ही, इस साल आई कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में पनपी हाइब्रिड इम्युनिटी को भी श्रेय दिया जा सकता है परंतु जिन्होंने इस बीमारी की भयावहता को भोगा है, वो हर एक को पूरी सावधानी बरतने की हिदायत देते हैं।
जो लोग मामूली बुखार, खांसी झेलकर या बिना लक्षणों के ही कोविड पॉजिटिव से कोविड नेगेटिव हो गए, वो यह कहते नहीं थकते कि कोरोना आम फ्लू की तरह मौसमी बीमारी है, और इससे डरने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन ऐसा सही नहीं है। पिछले हफ्ते दक्षिण भारत के एक अंग्रेजी अखबार में एक लेख छपा था, जिसके अनुसार यूरोप के अनुभव को देखते हुए ऐसा लगता है कि केवल वैक्सीन से ही कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को नहीं तोड़ा जा सकता और न ही इस महामारी का अंत किया जा सकता है। यूरोप में पिछले वर्ष मार्च के पश्चात् से दूसरी बार कोरोना संक्रमण के नये मामलों और मौतों में तेज गति से वृद्धि हो रही है। आज यूरोप पुन: कोरोना महामारी का मुख्य केंद्र बन गया है। इस वर्ष अक्टूबर के प्रारंभ से ही संक्रमण के मामलों में रोजाना वृद्धि होनी शुरू हुई थी। यह वृद्धि प्रारंभ में तीन देशों तक ही सीमित थी किन्तु बाद में यूरोप के सभी देशों में फैल गई जिसकी मुख्य वजह डेल्टा वेरिएंट है।
पिछले सप्ताह यूरोप में 20 लाख नये मामले सामने आए जो महामारी की शुरुआत होने के बाद से सर्वाधिक है। कोरोना से पूरे विश्व में जितनी मौतें हुई हैं, उनमें से आधे से ज्यादा इस महीने यूरोप में हुई हैं। ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, जर्मनी, डेनमार्क तथा नोव्रे में प्रति दिन संक्रमण के सर्वाधिक मामले प्रकाश में आ रहे हैं। रोमानिया तथा यूक्रेन में भी कुछ दिनों पहले सर्वाधिक मामले आए। पूरे यूरोप में हॉस्पिटल बेड्स तेज गति से भर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वर्तमान से लगाकर अगले वर्ष मार्च तक यूरोप के अनेक देशों में हॉस्पिटल, हॉस्पिटल बेड्स और आईसीयू पर भारी दबाव बना रहेगा। इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर के देशों को कोविड के खतरे के खिलाफ अलर्ट रहने को कहा और जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं। पश्चिमी यूरोप के अधिकांश देशों में टीकाकरण की दर बहुत ऊंची है। आयरलैंड में 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को इस वर्ष सितम्बर तक दोनों टीके लग चुके हैं। फ्रांस में बिना टीका लगे लोगों की उन्मुक्त आवाजाही तथा कार्यालय जाने को मुश्किल बना दिया गया है। अगले वर्ष फरवरी से ऑस्ट्रिया में टीकाकरण अनिवार्य कर दिया जाएगा। ऑस्ट्रिया में इस वर्ष 22 नवम्बर से 3 सप्ताह का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन भी लगाया गया है। इस देश में 65 प्रतिशत लोगों को दोनों टीके लगे हुए हैं। फिर भी संक्रमण तेज गति से फैल रहा है।
गौरतलब है कि यूरोप में संक्रमण के अधिकांश नये मामले उन लोगों के हैं, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, जिन्हें ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन हैं तथा दोनों टीके लगे हुए लोग भी भारी संख्या में अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। इस सबको देखते हुए भारत जैसे देश में भी कुछ कठोर कदम उठाने की जरूरत है वरना कोरोना की तीसरी ही नहीं चौथी-पांचवी लहर भी आ सकती है। सरकार को कुछ ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे कि जनता खुद से ही आगे आकर टीका लगवाए। इससे कोरोना महामारी से कुछ तो राहत मिलेगी। साथ ही, हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम जितनी सावधानी बरतेंगे उतना ही इस बीमारी से बचे रहेंगे और जल्द ही इससे छुटकारा भी पा सकेंगे।
दुनिया भर के कई ऐसे देश हैं जहां लोगों को टीके की दोनों डोज लगने के बाद भी कोरोना हुआ है। इसका सीधा सा मतलब है कि यह बीमारी हमारा पीछा इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाली। किसी ने शायद ठीक ही कहा है कि ‘सावधानी हटी-दुर्घटना घटी’। इसलिए जितना हो सके अपने आप को इस बीमारी से बचाने की जरूरत है। हाल ही में मशहूर फिल्म अभिनेता कमल हसन को भी कोविड संक्रमित पाया गया। उधर, जिस तरह चीन में कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को यह दोबारा हो रहा है, इस सबसे कोरोना के खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता। जहां तक संभव हो घर से बाहर न निकलें। किसी को भी स्पर्श करने से बचें। साबुन से हाथ लगातार धोते रहें। घर के बाहर नाक और मुंह को ढककर रखें तो काफी हद तक अपनी तथा औरों की सुरक्षा की जा सकती है। जब तक कोरोना का कोई माकूल इलाज सामने नहीं आता तब तक तो सावधानी बरतना और भगवत कृपा के आसरे ही जीना होगा।
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