सामयिक : मजबूत कंधों पर जिम्मेदारी

Last Updated 26 Nov 2021 12:39:14 AM IST

सोशल मीडिया पर योगी आदित्यनाथ पर एक चर्चित मीम है। इस मीम में कहा गया है कि नेताओं में सबसे ज्यादा भाषाएं अगर किसी को आती है, तो वह हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, क्योंकि योगी अक्सर कहते हैं, ‘जो जिस भाषा में समझेगा, उसे उस भाषा में समझाएंगे।’




सामयिक : मजबूत कंधों पर जिम्मेदारी

ये केवल मीम की बात नहीं है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण कई बार देखने को मिला जब आतताइयों के बड़े-बड़े पोस्टर शहरों में चिपका दिए गए। कई सरगना जेल में डाल दिए गए हैं और कुछ पुलिस-प्रशासन के डर से अंडरग्राउंड हो गए हैं या राज्य छोड़ कर भाग गए हैं। पुलिस दल पर हमला करनेवाले कुछ अपराधियों का एनकाउंटर भी कर दिया गया।
यह खौफ जरूरी था क्योंकि योगी के पहले की सरकारों में अपराधी निरंकुश हो चुके थे। जनता की कोई सुनवाई नहीं थी। सैफई महोत्सव के नाम पर क्या-क्या हुआ, सभी जानते हैं। एक तत्कालीन मुख्यमंत्री ने तो अपनी और हाथियों की मूर्तियां बनवा कर स्थापित करवा दीं। सोचिए इतने पैसों से जनता का काम हुआ होता तो कितना अच्छा होता। खैर, जबसे योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला है; हलचल मची हुई है। विपक्ष को लगा कि एक संन्यासी क्या सरकार चलाएगा? लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, योगी ने एक के बाद एक तमाम जनिहतार्थ उपक्रम लाए और जनता से लगातार सीधे तौर पर जुड़े। इससे हुआ ये कि मुख्यमंत्री ने जनता की जरूरतों और मुश्किलों को समझा। फिर जनता की जरूरतों को पूरा किया और मुश्किलों को दूर किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेवजह सवाल करने वाले विपक्ष को जनता का काम करके जवाब दिया है। एक कार्यक्रम में खुद मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में अपराध और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है।

माफियाओं ने जो अवैध ढंग से 1800 करोड़ रु पये अर्जित किए, उसे जप्त किया गया। राज्य सरकार, केंद्र की 44 योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में सबसे आगे है। अब तक विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों, नौजवानों, गरीबों, महिलाओं समेत अन्य लाभार्थियों को 5 लाख करोड़ रु पये की धनराशि की व्यवस्था की गई है। कोरोना काल में महाराष्ट्र सरकार भले अपनी ही पीठ ठोंके, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ी तेजी से कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण पाया। गांवों की गली-गली में पहुंचकर स्वास्थ्यकर्मी अब भी वैक्सीन लगा रहे हैं। कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के अंतर्गत प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को प्रति माह प्रति यूनिट पांच किलो अतिरिक्त नि:शुल्क राशन उपलब्ध कराया गया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी 15 करोड़ पात्र लोगों को तीन माह तक नि:शुल्क राशन उपलब्ध कराया गया। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कई एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे, बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे, बलिया एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वे इत्यादि शामिल हैं।
वर्तमान में प्रदेश में 10 नये एयरपोर्ट बन रहे हैं। प्रदेश में पांच अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं ही। पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अयोध्या में दीपोत्सव, मथुरा में कृष्णोत्सव, वाराणसी में देव दीपावली तथा बरसाना में रंगोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। अयोध्या में भव्य-दिव्य श्रीराम मंदिर बन ही रहा है। इसी तरह के कार्य लगभग हर भाजपा शासित राज्यों हुए। ऐसा क्यों हुआ, इसके लिए भाजपा की संगठनात्मक व्यवस्था और दूरगामी सोच को समझना होगा। भाजपा जनता से जुड़ी है, जुड़े रहना चाहती है। ज्ञात हो कि हर राजनीतिक दल का अपना खुफिया तंत्र होता है जो प्रदेश के मुख्यमंत्री या उच्च पदस्थ लोगों के कार्यों और जनता पर पड़ने वाले सकारात्मक व नकारात्मक परिणामों पर दृष्टि रखता है। इसके दो लाभ हैं। एक तो सरकार अपनी चूक को सुधार लेती है और जनता के मन की बात समझने का भी मौका मिलता है और अगला कदम उठाने में आसानी होती है। जनता की कठिनाइयों को समझकर उसे दूर करना सरल हो जाता है। जिस प्रकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार काम किया है, उससे उत्तर प्रदेश की जनता प्रसन्न है।
आपको याद होगा एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि दरअसल विपक्ष आज की सोचता है, लेकिन मैं 5-10 साल आगे की भी सोचता हूं। भारत की समृद्धि व संपन्नता के लिए भविष्य की योजनाओं पर काम करना जरूरी होता है। कृषि कानून वापसी को भी मोदी की योजना का हिस्सा माना जा रहा है। चर्चा है कि भाजपा के इस फैसले ने विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है। विपक्षी दल उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में इस मुद्दे के भरोसे भाजपा को हराने की रणनीति बना रहे थे। इस बीच मोदी ने योगी के कंधे पर हाथ रखकर एक साथ कई संकेत दे दिए हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कंधे पर हाथ रखकर चल रहे हैं। एक तरफ दोनों की आती हुई तस्वीर और दूसरी तरफ लौटती हुई तस्वीर, अपने आप में बहुत कुछ बयां कर जाती है। योगी के कंधे पर मोदी के हाथ को राजनीति के विद्वान अलग दृष्टि से देखते हैं। यह तस्वीर बयां कर रही है कि मोदी का हाथ केवल योगी के कंधे पर नहीं हैं बल्कि उत्तर प्रदेश के कंधे पर है। मोदी का हाथ उत्तर प्रदेश की जनता के साथ है।
मोदी ने योगी के कंधे पर हाथ रख कर योगी के आलोचकों के मुंह पर ताला लगा दिया है। भाजपा नेताओं द्वारा यह दृढ़ विश्वास व्यक्त किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की जनता आगामी चुनाव में योगी आदित्यनाथ को ही चुनेगी क्योंकि जनता समझ चुकी है कि सरकारी पैसों से निजी ‘महोत्सव’ मनाने और अपनी ‘मूर्तियां’ लगाने की बजाय जनता के काम होने चाहिए, जनता के खाते में पैसे पहुंचने चाहिए, किसानों को लाभ मिलना चाहिए, नारी शक्ति और सबल होनी चाहिए। इन कार्यों की शुरु आत योगी के राज में हो चुकी है। तमाम योजनाओं से प्रसन्नचित्त जनता ने योगी आदित्यनाथ को चुनने का फैसला अभी से कर लिया है, इसमें कोई दो राय नहीं है।

आचार्य पवन त्रिपाठी


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