सरोकार : बड़े बदलाव की ओर बढ़ता अफगानिस्तान
खौफनाक यातनादायक, भयाक्रांत और बेचैनी से भरे सपनों के बीच भागते-भागते जब शरीर थक जाए, फेफड़े फूलने लगे, डरा देने वाला पल यानी मृत्यु बिल्कुल करीब आने लगे, ऐसे में कुछ ऐसा हो जिससे फंसती हुई सांसें सामान्य होने लगे और विश्वास होने लगे की अब सब कुछ ठीक हो जाएगा; तो यकीन मानिए वो पल आपके जीवन का सबसे बेहतरीन पल होगा।
![]() सरोकार : बड़े बदलाव की ओर बढ़ता अफगानिस्तान |
ठीक कुछ ऐसा ही हो रहा है तालिबानी गढ़ अफगानिस्तान में। 15 अगस्त 2021 को तालिबानी कट्टरपंथियों के सत्ता में आने के बाद वहां नागरिक अधिकारों का जमकर हनन हुआ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खूब प्रतिबंध लगे। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित तालिबानी महिलाएं हुई। देखते-देखते छोटी उम्र की लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा और कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को बंद दरवाजों के भीतर रहने पर मजबूर होना पड़ा। आतंक और यंतण्रा से उपजी बैचनी, तनाव और असहायता ने लड़कियों को भीतर तक खौफ से भर दिया।
पढ़ने और पढ़कर कुछ बनने की उनकी ललक पर मानो किसी काले साये ने कब्जा कर लिया। ऐसे में इन जंजीरों को तोड़ कुछ ऐसे किरदार सामने आए, जिन्होंने बुझे चेहरों पर आशा की एक नई चमक बिखेर दी। इतिहास गवाह है कि समाज में जब-जब संवेदनहीनता और अमानवीयता ने दस्तक दी है तब-तब सापेक्षिक रूप से इनकी क्षतिपूर्ति के लिए कोई-न-कोई किरदार सामने आया है, जिसने तमाम मुश्किलों के बावजूद समाज में एक नई सोच स्थापित की। लड़कियों की शिक्षा को अधर में देखकर अफगानिस्तान मूल की एक ऐसी ही महिला नजीर बनी है, जिसने ऑनलाइन स्कूल के जरिए 1000 से भी अधिक छात्राओं में शिक्षा का अलख जगाया है।
उनके इस मिशन में 400 से भी अधिक स्वयंसेवी शिक्षक उसका साथ दे रहे हैं। निश्चित ही बीते 20 वर्षो में अफगानिस्तान में लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा की दिशा में जो कुछ भी तरक्की हासिल हुई थी उस पर तालिबानी कब्जे ने पानी फेर दिया। ऐसे में एंगेला जैसी साहसी किरदार ने रातोरात मोर्चा संभाला और ऑनलाइन स्कूल, हेरात की स्थापना कर एक हजार से भी ज्यादा लड़कियों और महिलाओं को ऑनलाइन पढ़ाने का एक प्लेटफार्म मुहैया कराया, जहां टेलीग्राम, स्काईप और दूसरे प्लेटफॉर्म के जरिए 170 शिक्षक अलग-अलग विषयों की कक्षाएं लेते हैं। अकेले एंगेला ही क्यों पहली अफगानी महिला पायलट नीलोफर रहमान, पहली महिला मेयर जरीफा गफारी, एकमात्र महिला गवर्नर सलीमा मजीरा, अफगान पुलिस की जाबांज महिला अधिकारी खातिरा, क्रांतिकारी समाजसेवी क्रिस्टल बयात जैसी हजारों बेखौफ महिलाएं हैं, जो कट्टरता के खिलाफ चट्टान की तरह मजबूती से जमी हुई हैं। ऐसे बेखौफ किरदारों की फेहरिस्त में मलाला यूसुफजई, कमला भसीन, सारा दिलबर और सना मारिन जैसी और भी कुछ बेखौफ किरदार शामिल हैं, जिन्होंने हजारों महिलाओं को हिम्मत और उम्मीद की एक नई किरण दी, जिनकी उपस्थिति ने कवच की तरह काम किया और महिलाओं को अंधेरे से बाहर निकालने में मदद की। आज जब समाज स्त्रियों को लेकर मानसिक रु ग्णता के दौर से गुजर रहा है; मजबूत इरादों वाली ऐसी कद्दावर महिलाओं की समाज में नितांत आवश्यकता है। ऐसे किरदार जो मजबूत दरख्त बनकर चुनौती से जूझ रही महिलाओं को उनकी विराट सत्ता की अनुभूति करा सके।
| Tweet![]() |