आईटी कंपनियां ? कामयाबी के पीछे का सच
माफ करें, पर यह सच है कि अब भारत में सकारात्मक खबरों को लेकर कोई बहुत चर्चा नहीं होती। वैसी खबरें कभी-कभी सामने आती हैं, और फिर गायब हो जाती हैं।
![]() आईटी कंपनियां ? कामयाबी के पीछे का सच |
अब नेगटिव समाचारों पर अतिरिक्त रूप से फोकस देने का सिलसिला चालू हो गया है, और सच कहें तो बढ़ता ही चला जा रहा है।
इसका एक उदाहरण लें। देश की चार सबसे प्रमुख आईटी कंपनियां टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में एक लाख से अधिक पेशेवर युवक-युवतियों की भर्तियां कीं। ये भर्तियां ठोस संकेत हैं कि भारत का आईटी सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। गौर करें कि इन कंपनियों में भर्तियां ही नहीं हो रही हैं। इनमें काम करने वाले पेशेवर बेहतर विकल्प मिलने पर अन्य कंपनियों का दामन थाम भी रहे हैं।
इंफोसिस को पिछली तिमाही में उसके 20 फीसद स्टाफ ने छोड़ दिया। कोई इंफोसिस जैसी प्रतिष्ठित कंपनी को छोड़ रहा है तो समझ लें कि उन्हें उससे बहुत बेहतर अवसर मिल रहे हैं वरना कोई इंफोसिस सरीखी श्रेष्ठ कंपनी को छोड़ने से पहले दस बार तो सोचेगा ही। जो कंपनी अपने स्टाफ में नये युवक-युवतियों को रख रही है। इसका मतलब यह है कि उनका मुनाफा भी तेजी से बढ़ रहा है। टीसीएस को चालू साल की दूसरी तिमाही में 9,624 करोड़ रु पये का मुनाफा हुआ है।
इसी साल की पहली तिमाही में कंपनी को 9008 करोड़ का फायदा हुआ था। इंफोसिस को चालू साल की पहली तिमाही में लगभग साढ़े पांच हजार करोड़ का लाभ हुआ। विप्रो और एचसीएल के भी शानदार नतीजे आए। लेकिन इतनी शानदार खबर को लेकर देश में कोई खास बात नहीं हुई। आजकल बात तो सिर्फ यह होती है कि कहां और कैसी हिंसा हुई या देश को क्षति पहुंची।
टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल की अभूतपूर्व उपलब्धि के आलोक में क्या आपने कभी सोचा कि कौन सी कंपनियां मुनाफा कमाने में अव्वल रहती हैं? किनकी साख बाजार में सबसे अधिक होती है? इन सवालों के जवाब खोजने मुश्किल नहीं हैं। ये इसलिए आगे बढ़ रही हैं क्योंकि इन्हें नेतृत्व बेहतरीन मिला हुआ है। टीसीएस को ही लें। इसके मौजूदा चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश गोपीनाथ के टीसीएस में शिखर पद को संभालने से पहले ही टीसीएस विश्वस्तरीय कंपनी बन चुकी थी।
इसका श्रेय टाटा समूह के मौजूदा चेयरमैन एन. चंद्रशेखर को ही देना होगा। चंद्रशेखर ने टीसीएस में रहते हुए टाटा समूह के चेयरमेन रतन टाटा और टीसीएस के फाउंडर चेयरमैन फकीरचंद कोहली से लीडरशिप के गुणों को सीखा था। आज भारत को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया सबसे खास शक्तियों में मानती है, और भारत का आईटी सेक्टर 190 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, तो इसका क्रेडिट कोहली जी को देना होगा। उन्होंने ही वस्तुत: देश के आईटी सेक्टर की नींव रखी था।
तमिलनाडू के तंजावुर के रहने वाले शिव नाडार की बात करें तो उन्होंने एचसीएल टेक्नोलॉजीज को अपने लंबे नेतृत्व के दौरान महान सॉफ्टवेयर कंपनी के रूप में खड़ा किया। अब करीब आधा दर्जन देशों में, 100 से ज्यादा कार्यालय, करीब एक लाख पेशेवर इंजीनियर उनके साथ जुड़े हैं। नोएडा में तो शिव नाडार के दफ्तरों की भरमार है। बात इंफोसिस लिमिटेड की करें तो इसके भले ही मौजूदा सीईओ सलिल पारेख हैं पर इसकी बुनियाद चट्टान जैसी मजबूत है।
इसकी नींव डाली थी एन. नारायणमूर्ति जैसे युगांतकारी उद्यमी ने। उन्हें सहयोग मिला नंदन नीलकेणी जैसे साथियों का। नीलकेणी आजकल भी इंफोसिस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। नारायणमूर्ति ने अपने जीवन को फूलों और दीपक जैसा जाने-अनजाने में बना ही लिया है। सदैव पहले से भी बेहतर कर्म करते रहना चाहते हैं। उनका जीवन भी बेदाग रहा है। अपनी कंपनी को नई दिशा देते हुए कल्याणकारी योजनाओं के लिए समाज कल्याण के कार्यों के लिए दान में देते रहे हैं।
इन सबकी ही तरह ही विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन अजीम प्रेमजी भी हैं। उनमें कमाल का गुण है। चुन-चुनकर एक से बढ़कर एक मैनेजरों को साथ जोड़ लेते थे। अजीम प्रेमजी सिर्फ मेरिट पर विप्रो में पेशेवरों को अहम पद देते हैं। उनके कुशल निर्देशन के फलस्वरूप विप्रो को देश की चोटी की आईटी कंपनी का दर्जा प्राप्त है। लब्बोलुआब यह है कि भारत की आईटी कंपनियों के आगे बढ़ने से जहां नौजवानों को रोजगार के भारी अवसर मिल रहे हैं, वहीं देश को भारी आयकर और विदेशी मुद्रा भी मिल रही है। लेकिन वे ही कंपनियां आज के दिन अभूतपूर्व सफलता हासिल कर रही हैं, जिन्हें सशक्त नेतृत्व मिला हुआ है।
| Tweet![]() |