वैश्विकी : बाइडेन का भावी विश्व

Last Updated 22 Nov 2020 01:25:17 AM IST

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर थोड़ी अनिश्चतता अभी भी बरकरार है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नतीजों को कब और कैसे स्वीकार करेंगे इसको लेकर दुनिया भर में चिंता और उत्सुकता है।


वैश्विकी : बाइडेन का भावी विश्व

न्यायपालिका ने अगर कोई निर्णायक हस्तक्षेप नहीं किया तो जो बाइडेन और कमला हैरिस अगले जनवरी महीने में देश के राष्ट्रपति  उपराष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करेंगे।
दुनियाभर के नेता यह मान कर चल रहे हैं कि ट्रंप को देर सबेर अपनी हार माननी पड़ेगी। इसी कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ‘मित्र’ ट्रंप की हार कबूलने से पहले ही बाइडेन और कमला हैरिस को जीत की शुभकामना दे दी। कमला हैरिस को भेजे गए अपने संदेश में मोदी ने भारतीयता का पुट देते हुए कहा कि आपकी  चेट्टी  (आंटी ) ही नहीं बल्कि भारतीय मूल के सभी लोग गौरवान्वित हुए हैं। बाइडेन ने मोदी के बधाई संदेश के उत्तर में उनका आभार व्यक्त किया तथा दोनों देशों की व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने का इरादा जाहिर किया। उनके उत्तर में विशेष बात यह थी कि उन्होंने इंडो-पैसिफिक नीति को आगे बढ़ाने की बात की, जिसे अंतरराष्ट्रीय हलकों में चीन को काबू में रखने का अंतरराष्ट्रीय प्रयास माना जा रहा है। इंडो-पैसिफिक नीति को भारत और अमेरिका अलग-अलग तरीके से व्याख्यायित करते हैं। अमेरिका इसे  संभावित राजनीतिक और सैनिक गठबंधन के रूप में देखता है, जबकि भारत इसे एशिया प्रशांत क्षेत्र में संवाद और सहयोग का माध्यम मानता है। भारत, अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के चतुर्गुट (क्वाड) के बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर इसे बार बार स्पष्ट कर चुके हैं।

दुनिया भर के नेता और रणनीतिक विशेषज्ञ इस बात का लेखा-जोखा ले रहे हैं कि जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद व्हाइट हाउस में क्या बदलाव आएगा। विदेश नीति के क्षेत्र में वो कौन सी बातें होंगी जिन्हें बाइडेन अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति ट्रंप की नीति का अनुसरण करेंगे। आम धारणा यह है कि बाइडेन दुनिया के विभिन्न देशों के साथ बने गठबंधनों को फिर से सक्रिय करेंगे। ट्रंप की ‘अमेरिका फस्र्ट’ नीति के कारण इन गठबंधनों में शिथिलता आई थी। यह भी अनुमान है कि बाइडेन अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों के बारे में अधिक लचीला रवैया अपनाएंगे। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बाइडेन आर्थिक मोचरे पर डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का अनुसरण करेंगे। कोविड-19 महामारी के कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसका असर रोजगार सहित विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ा है। ट्रंप को यह श्रेय जाता है कि उन्होंने अमेरिकी जनता का यह विास जीता कि उनकी आर्थिक नीतियां बाइडेन से बेहतर हैं।
हाल के दिनों में अमेरिका की अर्थव्यवस्था में अप्रत्यशित उछाल आया, जिसका ट्रंप ने भरपूर श्रेय लिया तथा सात करोड़ से अधिक मतदाताओं ने  इसपर मोहर लगाई। बाइडेन अर्थयवस्था की इन उपलब्धियों को गंवाने का जोखिम नहीं उठा सकते। खासकर तब जब ट्रंप अमेरिकी राजनीति में एक केंद्रीय भूमिका में बने हुए हैं तथा सीनेट में उनकी रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत बन हुआ है। एशिया और चीन के बारे अमेरिका की नीति में कोई बदलाव नहीं आएगा। इसका एक संकेत यह था कि चुनाव की गहमागहमी के बीच भी भारत और अमेरिका ने रक्षा सहयोग के क्षेत्र में एक नया समझौता किया। देश की दोनों राजनीतिक पार्टयिों के बीच चीन से उत्पन्न खतरे और इसका मुकाबला करने में भारत की केंद्रीय भूमिका को लेकर एक राय  है। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में बाइडेन संयुक्त राष्ट्र और उससे जुड़ी संस्थाओं के साथ अमेरिका के संबंधों को फिर बहाल करेंगे, इसकी आशा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और ऐसी ही अन्य संस्थाओं के साथ अमेरिका संबंध बहाल करने के साथ ही इनमें अधिक सक्रिय भूमिका निभाएगा।
जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतरराष्ट्रीय समझौतों के बारे में अमेरिका अवरोधक  बनने के बजाये सहयोगी बनेगा। बाइडेन और कमला हैरिस कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति तथा भारत में नागरिक स्वतंत्रता को लेकर ऐसे बयान दे चुके हैं, जिन्हें मोदी सरकार पसंद नहीं  करती। हालांकि इस बात की संभावना कम है कि बाइडेन प्रशसन कश्मीर और भारत में नागरिक स्वतंत्रता की स्थिति के बारे में कोई मुखर विरोध करे। मोदी सरकार इन मामलों में किसी बाहरी देश, चाहे वो अमेरिका ही क्यों न हो, की नसीहत स्वीकार नहीं करेगी।

डॉ. दिलीप चौबे


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