सरोकार : लोकप्रिय संगीत सेक्सिज्म को देने लगता है बढ़ावा

Last Updated 22 Nov 2020 01:15:31 AM IST

संगीत को उस समाज का प्रतिबिंब कहा जाता है, जिसमें उसकी रचना की जाती है। हिप हॉप संगीत की दुनिया की ऐसी ईजाद है, जोकि किसी भौगोलिक दायरे में बंधा हुआ नहीं है।


स्टोरी फॉर द गॉड

इसकी पहुंच विश्वव्यापी हो रही है। हिप हॉप हर देश की परिस्थितियों को मुखर रूप भी देता है। रैप म्यूजिक के कई सकारात्मक पहलू हैं, लेकिन इसमें अपराध, हिंसा, मादक पदार्थों और मिसॉजनी के भी तत्व हैं। कई हिप हॉप गानों में औरतों के प्रति पूर्वाग्रह नजर आते हैं। उन्हें वस्तु के तौर पर पेश किया जाता है। कई अकादमिशियन यह मानते भी हैं कि हिप हॉप को दमन और सेक्सिज्म का पितृसत्तात्मक हथियार बनाया जा रहा है।
इस सिलसिले में नाइजीरिया की फेडरल यूनिवर्सिटी ओये इकरिती में लेक्चरर पॉल एनानूगा ने हिप हॉप गानों के लिरिक्स और वीडियो पर एक अध्यन किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ऐसे गाने किस तरह लोगों के जेहन में रह जाते हैं। उन्होंने तीन लोकप्रिय गानों को लिया है-‘स्टोरी फॉर द गॉड’, ‘इन माय बेड’ और ‘जेसी’। इन तीनों गानों को मेल आर्टिस्ट ने गाया है और इन गानों को केंद्र में औरतें ही हैं। उनके हिसाब से नाइजीरिया के हिप हॉप में औरतों को तीन तरह से पेश किया गया है। ‘स्टोरी ऑफ द गॉड्स’ में औरत वस्तु की तरह दिखाई गई है जोकि पुरुषों की सनक की गुलाम है। दौलत की तरफ खिंची चली आती है। ‘जेसी’ में औरतों को पार्टियों की शौकीन बताया गया है और अय्याशी करना उन्हें खास तौर से पसंद है। इसका वीडियो भी बहुत भद्दा है।

पॉल के अध्ययन में कहा गया है कि समाज में महिलाओं की स्थिति पर ऐसे गानों का क्या असर होता है। अगर औरतों को सिर्फ  सेक्सुअलाइज्ड रूप में दिखाया जाएगा तो लोगों में पहले से कायम धारणाएं ही पुष्ट होंगी। रेप और लिंग आधारित हिंसा को बढ़ावा मिलेगा। नाइजीरिया के कई हिप हॉप गानों को रेप को बढ़ावा देना वाला बताया ही गया है। यूं भारत में भी कोई अलग कहानी नहीं है। यहां भोजपुरी और पंजाबी संगीत औरतों को इसी तरह से पेश करते हैं। इसके अलावा बॉलिवुडिया गाने लगातार गैर जिम्मेदाराना तरीके से रचे जाते रहे हैं। अक्षय कुमार की ‘टॉयलेट- एक प्रेमकथा’ का गाना ‘हंस मत पगली, प्यार हो जाएगा’ स्टॉकिंग को बढ़ावा देता है। 2013 में स्टॉकिंग को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 डी के तहत अपराध घोषित किया जा चुका है जिसके लिए एक से तीन साल तक की सजा हो सकती है। बीते जमाने के गाने भी ऐसे ही रहे हैं। अपने समय के रोमांटिक हीरो देवानंद ‘मुनीमजी’ में ‘जीवन के सफर में राही..’ और ‘पेइंग गेस्ट’ में ‘माना जनाब ने पुकारा नहीं..’ गाते-गाते निलनी जयवंत और नूतन को परेशान ही करते रहते हैं। राज कपूर ‘संगम’ में वैजयंती माला के पीछे पड़ते हैं और गाते हैं- ‘बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं।’
‘शोले’ में धर्मेंन्द्र तांगे पर जबरन सवार होकर हेमा मालिनी के लिए गाते रहते हैं-‘कोई हसीना जब रूठ जाती है तो और भी हसीन हो जाती है। ‘अमिताभ बच्चन ‘हम’ में जुम्मा बनी किमी काटकर का चुम्मा लेकर ही छोड़ते हैं। इसी तरह शाहिद कपूर ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ में इलियाना डी क्रूज को साफ हिदायत देते हैं-‘तेरा पीछा करूं तो टोकने का नहीं।’ सलमान ‘किक’ के गाने ‘जुम्मे की रात’ में जैक्लीन का स्कर्ट उड़ाते हैं, लेकिन क्या इन सभी फिल्मों में कोई हीरो जेल जाता है? उसे तो पुरस्कार के तौर पर हिरोइन का प्यार मिल जाता है। संगीत के जरिए स्त्रियों को निशाना बनाना, क्या किसी कला की खासियत हो सकती है? चाहे वह नाइजीरिया हो या भारत।

माशा


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