ड्रग्स : माफिया के साए में बॉलीवुड

Last Updated 16 Oct 2020 12:15:40 AM IST

सुशांत सिंह राजपूत के मामले में जिस तरह से ड्रग्स का विषय अन्वेषित हुआ है, बॉलीवुड जिस तरह नारकोटिक्स माफिया के साए में फंसा हुआ है, यह पूरे देश में चर्चा का विषय है।


ड्रग्स : माफिया के साए में बॉलीवुड

सुशांत सिंह राजपूत की प्रेमिका रिया चक्रवर्ती और उसके भाई शोविक चक्रवर्ती तथा उनके मैनेजर, इन सबको किस तरह नारकोटिक्स ब्यूरो ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, जिस अंदाज में जांच का दायरा करण जौहर, दीपिका पादुकोण, सारा अली खान और श्रद्धा कपूर तक पहुंचा, उससे पूरे बॉलीवुड के बारे में जानकर संपूर्ण देश अवाक रह गया। मामला संसद में गूंजा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद एवं फिल्म स्टार रवि किशन ने मामले को लोक सभा में उठाया। रवि किशन द्वारा मामला लोक सभा में उठाए जाने के बाद जिस तरह से राज्य सभा में मशहूर अदाकार एवं समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने प्रतिक्रिया व्यक्त की, उससे विवाद ने और तूल पकड़ लिया। जया बच्चन ने रवि किशन के बारे में कहा कि वह जिस थाली में खाते हैं, उसी थाली में छेद करते हैं, निश्चित तौर पर उसकी प्रतिक्रिया होनी थी और पूरा बॉलीवुड दो खेमों में बंट गया। एक, जो ड्रग्स माफिया और ड्रग्स का  सेवन करने वालों के प्रति सहानुभूति रखता था तो दूसरा, पूरे बॉलीवुड को जो ड्रग्स के चंगुल से मुक्त कराने के पक्ष में था। पूरे देश में ड्रग्स माफिया का प्रभाव है।

विशेषकर पंजाब में जब पिछला विधानसभा चुनाव हुआ तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने वहां ड्रग्स के सेवन को मुद्दा बनाया तब कांग्रेस के इशारे पर अनुराग कश्यप ने ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म का निर्माण किया। उस समय शिरोमणि अकाली दल के जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि ‘उड़ता पंजाब’ के नाम से पंजाब की अस्मिता को ठेस पहुंचाई गई। ‘उड़ता पंजाब’ के निर्देशक अनुराग कश्यप भी आज ड्रग्स सेवन के मामले में संदेह के घेरे में हैं, जिस तरह से उनके ऊपर पायल घोष नामक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है, उससे वह भी विवाद के घेरे में हैं। ड्रग्स माफिया के बारे में नार्को ड्रग्स को लेकर पहले से भी इस देश में चिंता व्यक्त की जाती रही है। आतंकवाद की फंडिंग नार्को मनी से होती रही है, 1980 के दशक में जब अमेरिका और यूरोप बड़े पैमाने पर नशीले पदाथरे के चंगुल में आए, जब वहां पर हिप्पी कल्चर बढ़ी और हिप्पी कल्चर में जिस तरह से आध्यात्मिक ऊर्जा के नाम पर ड्रग्स के सेवन का प्रचार-प्रसार हुआ, तब अमेरिका और यूरोप ने संयुक्त राष्ट्र में दबाव बनवा कर तमाम देशों में नशीले पदाथरे को प्रतिबंधित करवाने का कड़ा कानून तैयार करवाया। भारत में भी एनडीपीएस एक्ट 1985 में बनाया गया और उसमें समय-समय पर संशोधन भी हुए। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का गठन ड्रग्स के प्रचार-प्रसार पर रोक लगाने के लिए हुआ। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने बड़े पैमाने पर भारत में ड्रग्स को नियंत्रित करने का कार्य किया।

भारत में ड्रग्स का सबसे बड़ा जरिया अफगानिस्तान और पाकिस्तान के माध्यम से होता है। इसका सबसे बड़ा उपयोग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बड़े पैमाने पर किया। आतंकवादियों के गोला-बारूद खरीदने और उसके भुगतान का जरिया नारकोटिक्स बनी थी। दाऊद इब्राहिम गिरोह 1980 के दशक से ड्रग्स मनी में आया, 1993 में जब बम कांड हुआ तो बम कांड के लिए सारा धन तत्कालीन तस्करों ने दिया था, टाइगर मेमन और दाऊद इब्राहिम का ड्रग्स और सोने-चांदी की तस्करी का जो गिरोह था, उसी के माध्यम से कोंकण और गुजरात के समुद्र तट से बड़े पैमाने पर हथियारों को भारत में लाया गया और योजनाबद्ध तरीके से मुंबई के 12 स्थानों पर बम धमाके कराए गए। जांच के दौरान कई कस्टम के अधिकारियों को भी धमाके को लेकर अभियुक्त बनाया गया। पूरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चाहे ओसामा बिन लादेन रहा हो, तालिबान हो, इन सबकी फंडिंग का सबसे बड़ा जरिया या तो ड्रग्स हैं, या डायमंड का अवैध व्यापार। डायमंड में भी हवाला पेमेंट के लिए डायमंड का प्रयोग किया जाता था तथा हवाला पेमेंट के जरिए ड्रग्स का कारोबार होता रहा है।

जब से नरेन्द्र मोदी की सरकार केंद्र में आई, मोदी ने 2015 में ड्रग्स के बारे में राष्ट्रीय कानून बनाया और उसके कारण ड्रग्स की रोकथाम में लाभ हुआ। हॉलीवुड पूरी तरह से ड्रग्स माफिया के शिकंजे में था और उसको साफ करने के लिए अमेरिका में विशेष प्रावधान लाने पड़े, आज वही दशा बॉलीवुड की भी है। बॉलीवुड को जब तक माफिया से मुक्त नहीं कराया जाता तब तक बॉलीवुड में भारतीय संस्कार और संस्कृति को बिगाड़ने वाले कार्य ही होते रहेंगे।

चूंकि इन कलाकारों को लोग अपने रोल मॉडल के रूप में देखते हैं, तो ऐसे में तमाम फिल्में ऐसी बनती हैं, जिनमें हिंदू आस्थाओं पर प्रहार होता है, भारत विरोधी गतिविधियों को समर्थन मिलता है, ये सब गतिविधियां बॉलीवुड के बाहर बैठे माफिया द्वारा संचालित होती हैं।  
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के कार्यकाल में 2005 में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर एमके नारायणन ने स्वयं स्वीकारा था कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज तथा बॉलीवुड में बड़े पैमाने पर दाऊद इब्राहिम और माफिया का पैसा लगा हुआ है। जिस तरह से ड्रग्स का मामला सामने आया है, उससे सिद्ध होता है कि बॉलीवुड किस तरह से ड्रग्स और माफिया के चंगुल में है। ऐसे में रवि किशन ने जो मांग की है, उसके आधार पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और अन्य जांच एजेंसियों को मिलकर ड्रग्स को पूरे तरीके से समाप्त करने की आवश्यकता है, लेकिन जिस तरह से बॉलीवुड के ही कुछ सितारे और मीडिया का एक बड़ा वर्ग ड्रग्स लेने वालों के प्रति सहानुभूति का भाव रखता है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।

आचार्य पवन त्रिपाठी


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