कृषि विधेयक : सुधार का दिखेगा असर!

Last Updated 22 Sep 2020 03:55:16 AM IST

सितम्बर 20 को राज्य सभा में किसानों को सरकारी मंडियों से बाहर कृषि उत्पाद बेचने की अनुमति देने और अनुबंध आधारित कृषि को बढ़ावा वाले दो कृषि सुधार विधेयक ध्वनि मत से पारित हुए हैं।


कृषि विधेयक : सुधार का दिखेगा असर!

इसके पहले ये दोनों विधेयक लोक सभा से पारित हो चुके हैं। यद्यपि अब राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ये विधेयक कानून का रूप लेंगे, लेकिन इस समय जहां सरकार के द्वारा नये कृषि सुधार विधेयकों को ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी बताया जा रहा है, वहीं विपक्षी दलों के द्वारा इसका विरोध भी किया जा रहा है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के मुताबिक देश में पहली बार कृषि सुधार के ऐतिहासिक निर्णय लिये गए हैं। कृषि सुधारों से संबंधित नये कानून किसानों के लिए लाभप्रद होंगे। खासतौर से  देश में जो 86 प्रतिात छोटे किसान हैं, वे अधिक लाभान्वित होंगे। नये कानून के बाद कृषि उपज खुली प्रतिस्पर्धा के माध्यम से बिकेगी। व्यापक प्लेटफार्म होने से बड़ी संख्या में खरीदार रहेंगे और इससे किसानों को फायदा होगा, क्योंकि वे अपनी पसंद के अनुरूप उपज बेचेंगे। किसानों पर कोई दबाव नहीं रहेगा कि वे उपज तुरंत या कम दाम पर बेच दें। जब किसान अपनी फसल को तकनीक एवं वितरण नेटवर्क के सहारे देश और दुनिया भर में कहीं भी बेचने की स्थिति में होंगे, तो इससे निश्चित रूप से किसानों को उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा।

निश्चित रूप से नये विधेयकों के कारण प्रतिस्पर्धात्मक माहौल के चलते मंडियों में इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जितने विकल्प खुले होंगे, उतनी ही प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे किसान को वाजिब दाम मिलेगा। मंडी की परिधि में किसान अब तक बंधा था, नये कानून किसान को आजादी दिलाने वाले होंगे।
इससे मंडी खत्म नहीं होंगी। राज्य मंडियों में आय बढ़ाने योग्य प्रतिस्पर्धा व सुविधाजनक इंफ्रास्ट्रक्टर बनाएंगे तो मंडियों की आय बनी रहेगी। चूंकि नये कृषि सुधार कानून स्वतंत्र व खुले कारोबार से संबंधित होंगे। अतएव इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। एमएसपी के लाभ मिलते रहेंगे। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सरकार स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के अनुरूप जो लागत किसान को आती है, उस पर 50 फीसद मुनाफा जोड़कर एमएसपी घोषित कर रही हैं। मोटे अनाज, दलहन एवं खाद्य तेलों की एमएसपी उच्चतर स्तर पर निर्धारित की गई है ताकि किसानों को इनके और अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। निसंदेह नये कृषि सुधार कानून का एक बड़ा फायदा यह भी होगा कि जब किसान अपने छोटे-छोटे खेतों से निकली फसल को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे, तो इससे जहां एक ओर बंपर फसल होने पर भी फसल की बर्बादी या फसल की कम कीमत मिलने की आशंका नहीं होगी, वहीं दूसरी ओर फसल के निर्यात की संभावना भी बढ़ेगी।
इसी तरह किसानों को अनुबंध पर खेती की अनुमति मिलने से किसान बड़े रिटेल कारोबारियों, थोक विक्रेताओं तथा निर्यातकों के साथ समन्वय करके अधिकतम और लाभप्रद फसल उत्पादित करते हुए दिखाई दे सकेंगे। लेकिन विपक्षी दलों ने नये कृषि सुधारों के माध्यम से सरकार पर एमएसपी प्रणाली की व्यवस्था समाप्त करने का आरोप लगाया है। विपक्षी दलों ने कहा कृषि सुधार के नये कानून से छोटे किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा और बड़ी कंपनियां अपनी शतरे पर उनसे कृषि उत्पाद खरीदेंगी। कुछ किसान समूहों ने भी इसका विरोध किया है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों में किसान समूहों ने विरोध प्रदर्शन भी किए हैं और कहा है कि सरकार एमएसपी आधारित खरीद प्रणाली खत्म करने के लिए यह नया कानून लेकर आ रही है। निसंदेह देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास की जो नई संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं, उनमें नये कृषि कानून और अधिक सार्थक भूमिका निभाते हुए दिखाई दे सकेंगे। रिजर्व बैंक अफ इंडिया और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित विभिन्न आर्थिक संगठनों की नई रिपोटरे के मुताबिक कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भारत के लिए कृषि एवं ग्रामीण विकास की अहमियत बढ़ गई है। ज्ञातव्य है कि देश में रबी की बंपर पैदावार के बाद फसलों के लिए किसानों को लाभप्रद एमएसपी मिला है।
यह कोई छोटी बात नहीं है कि हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जून 2020 की तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में -23.9 फीसद की भारी बड़ी गिरावट आई है। इस बड़ी गिरावट के बीच कृषि ही एकमात्र ऐसा सेक्टर है, जिसमें 3.4 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि सेक्टर की विकास दर बढ़ाने में रबी फसलों के उत्पादन, खासतौर से गेहूं की भारी पैदावार ने प्रभावी भूमिका निभाई है। ज्ञातव्य है कि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि 3 फीसद ही थी। नये कृषि सुधार कानूनों से कृषि विकास दर में वृद्धि के साथ कृषि निर्यात की तस्वीर के चमकीले होने की भी नई संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि अब तक शुरू हुई दो किसान ट्रेन कृषि एवं ग्रामीण विकास को नया आयाम देते हुए दिखाई दे सकेगी। इसी तरह 10 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए जिस एक लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा को लांच किया है।
उससे भी कृषि एवं ग्रामीण विकास का नया अध्याय लिखा जा सकेगा, लेकिन नये कृषि कानूनों के बाद भी हमें ग्रामीण भारत और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजूबत बनाने के लिए कई बातों पर विशेष ध्यान देना होगा। ग्रामीण क्षेत्र के छोटे और कुटीर उद्योगों को सरल ऋण मिलना भी सुनिश्चित किया जाना होगा। खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे फलों ओर सब्जियों के लिए लॉजिस्टिक्स सुदृढ़ किया जाना होगा। खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी ऋण मुहैया कराया जाना होगा, जिससे वे कच्चे माल की खरीद कर सकें। हम उम्मीद करें कि संसद से स्वीकृत कृषि सुधारों से संबंधित विधेयकों के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से कानून बनने के बाद किसान अवश्य लाभांवित होंगे। नये कृषि सुधार किसानों को उद्यमिता के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसे में मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद बनते हुए दिखाई दे सकेगी।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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