वैश्विकी : तिब्बत पर होगा विवाद

Last Updated 20 Sep 2020 12:46:34 AM IST

चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में एक वरिष्ठ पत्रकार राजीव शर्मा की गिरफ्तारी ने भारत-चीन के बीच चल रहे मौजूदा विवाद में एक नया आयाम जोड़ दिया है।


वैश्विकी : तिब्बत पर होगा विवाद

इससे यह भी खुलासा हुआ है कि चीन ने भारत में खुफिया सूचनाएं एकत्र करने के लिए एक नेटवर्क खड़ा किया है। विदेशी एजेंसियों द्वारा भारत में खुफिया नेटवर्क खड़ा करने का यह नया मामला नहीं है। अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की एजेंसियों की भारतीय शासन तंत्र में घुसपैठ के कई मामले अतीत में प्रकाश में आ चुके हैं। चीन भी ऐसा कर रहा है, यह बात संभवत: पहली बार प्रकाश में आई है।
जहां तक भारत-चीन सीमा का संबंध है, दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध जारी है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों ओर हजारों की संख्या में भारी सैन्य उपकरणों के साथ सैनिकों की तैनाती है। विपरीत शीत काल की परवाह न करते हुए दोनों देशों ने सैन्य लामबंदी कर रखी है। चीन इस बात पर आमादा है कि तनाव को लंबा खिंचा जाए तथा भारत के लिए समस्या पैदा की जाए। कुछ रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार सीमा पर इतनी तनावपूर्ण स्थिति है कि छोटे या बड़े पैमाने का सैन्य संघर्ष कभी भी शुरू हो सकता है। यह आश्चर्य की बात है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ताओं के अनेक चक्र होने के बावजूद चीन अपनी हठधर्मिता पर कायम है। चीन की इस मानसिकता को प्रधानमंत्री मोदी ने विस्तारवादी मानसिकता की संज्ञा दी है।

भारत और चीन के मौजूदा घटनाक्रम में अब तिब्बत और ताइवान का मुद्दा भी शामिल हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर ताइवान के प्रधानमंत्री साई इंग-वेन ने शुभकामना संदेश भेजा। यह स्पष्ट नहीं है कि मोदी ने शुभकामना संदेश के लिए उन्हें अपनी ओर से धन्यवाद का संदेश भेजा है या नहीं।
ताइवानी नेता ने अपने संदेश के जरिये यह संकेत दिया कि चीन के आक्रामक रवैये के विरुद्ध उनका देश भारत का समर्थन करता है। इसी तरह पूर्वी लद्दाख में पिछले दिनों विशेष तिब्बत बल के एक जवान नाइमा तेनजिन की मौत ने यह रहस्योद्घाटन भी किया कि भारतीय सेना में एक ऐसी यूनिट है, जिसमें तिब्बत के लोग शामिल हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि पूर्वी लद्दाख में इस यूनिट के कितने जवानों को तैनात किया गया है। चीन के लिए यह अप्रत्यक्ष संदेश है कि आने वाले दिनों में भारत तिब्बत कार्ड खेल सकता है।
 चीन तिब्बत को अपना स्वायत्तशासी प्रदेश कहता है तथा भारत भी ‘एक चीन नीति’ के तहत ताइवान के साथ ही तिब्बत को चीन का हिस्सा स्वीकार करता है। आने वाले दिनों में यह स्थिति बहुत बदल सकती है। तिब्बत के धर्मगुरु दुनियाभर में तिब्बती शरणार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि चीन के आधिपत्य वाले तिब्बत के लोगों के लिए भी पूजनीय हैं। तिब्बत पर चीन के शिकंजे के बावजूद तिब्बती लोगों ने बौद्ध धर्म और दलाईलामा के प्रति अपनी श्रद्धा बरकरार रखी है। चीन पंचेन लामा के माध्यम से तिब्बती बौद्ध धर्मावलंबियों का समर्थन हासिल करना चाहता है, लेकिन तिब्बती संस्कृति और समाज में पंचेन लामा का वह सवरेपरि स्थान नहीं है, जो दलाईलामा का है।
पूर्वी लद्दाख की स्थिति से अलग हटकर यह भी विचारणीय मुद्दा है कि दलाईलामा का उत्तराधिकारी कौन बनता है? चीन की यह कोशिश है कि वह पंचेन लामा के माध्यम से चीन में दलाईलामा का उत्तराधिकारी खोजे और उसे इस धर्मपथ पर स्थापित करे। दूसरी ओर, दलाईलामा कह चुके हैं कि उनका उत्तराधिकारी भारत या किसी अन्य देश में अवतरित हो सकता है। भविष्य में जब ऐसा होगा तब भारत, चीन और तिब्बत के संबंधों में एक निश्चित मोड़ आएगा। फिलहाल आशा की जानी चाहिए कि लद्दाख में तनाव किसी संघर्ष में परिवर्तित न हो। चीन के नेतृत्व को अपने देश और एशिया के हितों का ध्यान रखते हुए भारत के प्रति अपना आक्रामक रवैया त्यागना होगा।
राजीव शर्मा की गिरफ्तारी के घटनाक्रम से केंद्र सरकार द्वारा चीनी एप्स पर प्रतिबंध, चीन के कन्फूशियस संस्थानों पर निगरानी और चीनी कंपनियों पर अंकुश लगाने के फैसलों का औचित्य भी सिद्ध होता है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चीन की कंपनियों के भारत में कामकाज के अवसर सिकुड़ते जा रहे हैं। मोदी सरकार का चीन के विरुद्ध यह असैनिक स्ट्राइक है।

डॉ. दिलीप चौबे


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