सरोकार : महिला बॉस के गुस्से पर आपकी प्रतिक्रिया!
महिला बॉस की किसी भी टिप्पणी पर आपकी प्रतिक्रिया क्या होती है? और पुरुष बॉस की.. यह ऐसा सवाल है जो शीर्ष पदों पर महिलाओं की मौजूदगी को प्रभावित करता है।
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अमेरिका के मिडिलबरी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मार्टनि एबेल के एक अध्ययन में कहा गया है कि अक्सर महिला बॉस का फीडबैक देना लोगों को बुरा लगता है। और यही शीर्ष पदों पर महिलाओं के पहुंचने को मुश्किल बनाता है।
शीर्ष पदों पर पहुंचने पर वे दब्बू बनी रहती हैं, प्रभावशाली प्रबंधन नीतियां नहीं बनातीं या लीडरशिप वाले पदों पर काम करने से कतराती हैं। दिलचस्प बात यह है कि अध्ययन अमेरिका में किया गया है। लेकिन जितना सच अमेरिका के लिए है, उससे कहीं अधिक भारत पर लागू होता है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका की 500 टॉप की कंपनियों में 45 फीसद महिला कर्मचारी हैं, लेकिन मिडिल लेवल के मैनेजर्स में उनकी हिस्सेदारी 37 फीसद और सीनियर लेवल पर 27 फीसद है। सीईओ तो सिर्फ छह फीसद ही हैं। यह अंतर तब भी है जब महिलाओं की शैक्षणिक योग्यता पुरुषों से ज्यादा है। अध्ययन के लिए ऑनलाइन 2700 लोगों को रसीदों को टाइप करने का काम दिया गया और इसके बाद उनके प्रदशर्न पर फीडबैक दिए गए। फीडबैक देने वाली कोई महिला थी, तो लोगों की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी नहीं थी। पुरुष बॉस की प्रतिक्रियाओं को लोग गंभीरता से ले रहे थे। इससे यह भी पता चलता था कि पुरुष बॉस की तुलना में महिला बॉस की आलोचना से लोग अपनी नौकरियों से ज्यादा जल्दी असंतुष्ट होते हैं। भविष्य में ऐसी कंपनियों में काम करने से भी बचते हैं, जहां उनकी बॉस कोई महिला हो।
अध्ययन में और कई बातें भी सामने आई। आम तौर पर लोग पुरुषों को कॅरियर और महिलाओं को परिवार से जोड़कर देखते हैं। प्रबंधन की कार्यशैली को लैंगिक चश्मे से देखा जाता है यानी महिलाएं विनम्र होनी चाहिए-पुरुष रफ और टफ। दूसरे कई अध्ययनों से यह पता चलता है कि महिला मैनेजरों से लोग तारीफ सुनना चाहते हैं, पुरुषों से ठोस आलोचना। दरअसल, महिलाओं को लोग अब भी सहायक के तौर पर देखते हैं, बॉस या प्रशासक के तौर पर नहीं। बेंगलुरू की कंपनी स्मार्टवर्क्स ने मित्री नाम की एक रोबोट को रिसेप्शनिस्ट बनाया है। वह रिसेप्शन संभालने के अलावा हाउसकीपिंग का भी काम करती है। इस फीमेल रोबोट को बनाने वाले इंजीनियर की एक दूसरी ईजाद मित्र यानी मेल रोबोट किसी कार डीलर की दुकान में कारें बेचता है। सही बात तो यह है कि अधिकारयुक्त काम पुरुषों के जिम्मे होता है, मदद का काम औरतों के मत्थे। इसी से सारे वर्चुअल असिस्टेंट्स फीमेल जेंडर को रिफ्लेक्ट करते हैं-सीरी से लेकर अलेक्सा और कोरटाना तक..सभी औरतों जैसा साउंड करते हैं।
बाकी एक अच्छा अध्ययन भारत से। साइकी रिसर्च की एक रिपोर्ट कहती है कि महिला बॉस, पुरुष बॉस के मुकाबले अच्छा काम करती हैं। इनमें लगभग 6.56 फीसद महिलाएं प्रोफेशनल्स संगठनात्मक विकास और कोचिंग प्रतिभा में अच्छा साबित हुई हैं, जबकि पुरुषों में यह दर 3.26 फीसद है। रिपोर्ट कहती है कि इससे मालूम चलता है कि महिलाएं अपने साथियों और जूनियर्स से अच्छा कनेक्ट करती हैं। यह बात और है कि हर 10 में से छह महिलाएं भावनात्मक तनाव से गुजरती है, जबकि इस तकलीफ से गुजरने वाले पुरुषों की संख्या हर 10 में से चार है। जाहिर है, इसमें कर्मचारियों का रवैया भी मायने रखता है।
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