स्ट्रीट वेंडर्स : सपने होंगे साकार
किसी भी राष्ट्र की उन्नति उस राष्ट्र के लोगों की समृद्धि व खुशहाली पर निर्भर करती है। समृद्धि व खुशहाली का सीधा संबध आत्मनिर्भरता से है।
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कोई भी राष्ट्र तब तक आत्मनिर्भर नहीं हो सकता जब तक उस राष्ट्र का छोटे से छोटा व्यक्ति आत्मनिर्भर नहीं होगा। आत्मनिर्भर भारत को लेकर प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी की जो दृष्टि है उसके मूल में देश की खुशहाली व समृद्धि ही है।
देश के आर्थिक विकास में यदि बड़े उद्योगों, कृषि व लघु उद्योगों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है तो सड़कों के किनारे रेहड़ी ठेली लगाकर अपना जीवन-यापन करने वाले स्ट्रीट वेंडर्स की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। यह वह वर्ग है, जो केवल अपनी आर्थिक आवश्यकताओं की ही पूर्ति नहीं करता बल्कि आम जनमानस की तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। करोड़ों रुपये का कारोबार प्रतिदिन देश भर में इन स्ट्रीट वेंडर्स द्वारा किया जाता है। जब भी देश के विकास की बात की जाती रही है तो विकास के नाम पर स्ट्रीट वेंडर्स के उत्थान की कोई बड़ी पहल दिखाई नहीं दी है। नतीजतन आजादी के 70 वर्ष बाद भी यह वर्ग अपने जीवन-यापन व अस्तित्व के लिए संघर्ष करता दिखाई देता है। प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत पहली बार देशवासियों की सेवा करने वाले इस वर्ग को अपने पैरों पर खड़ा कर स्वावलंबी बनाने की कोशिश की गई है।
प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में शहरी क्षेत्रों के पथ विक्रेताओं, जिन्हें स्ट्रीट वेंडर, हॉकर, ठेलेवाला, रेहड़ीवाला, ठेलीफाड़वाला इत्यादि नामों से जाना जाता है; इन सभी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार की एक नई योजना ‘पीएम स्वनिधि’ 1 जून, 2020 को शुरू की गई है। शहरी अर्थव्यवस्था में सब्जियां, फल-फूल, फास्ट फूड, चाय-पकौड़ा, पावरोटी-अंडा, पावभाजी, आइसक्रीम-कुल्फी, पान, कपड़े, जूते-चप्पल, हस्तशिल्प, कॉपी-किताबें आदि अथवा नाई, लांड्री, जूता-चप्पल मरम्मत आदि की सेवा सुविधा प्रदान करने वाले अत्यन्त लघु उद्यमी (नैनो इंटरप्रेन्योर्स) को आसान किस्तों में कार्य पूंजी ऋणदायी संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराने की भारत सरकार की यह आजादी के बाद की पहली योजना है। इस योजना के तहत एक वर्ष में 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को आसान किस्तों व आसान शतरे पर ऋण उपलब्ध कराकर आत्मनिर्भर बनाने की योजना है। योजना का लाभ वास्तविक स्ट्रीट वेंडर्स को मिले इसके लिए लाभार्थियों का चयन, ऋण प्रक्रिया एवं प्रबंध सूचना प्रौद्योगिकी के Information Technology के माध्यम से बहुत आसान किया गया है ताकि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें। इस योजना को स्ट्रीट वेंडर्स से जोड़ने और उन तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए ‘वेब पोर्टल (pmsvanidhi.mohua.gov.in) सहज-सुविधायुक्त ‘मोबाइल एप’ भी शुरू किया गया है। लगभग एक माह में ही अब तक विगत लगभग 30 दिनों में 8 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स ने ऋण के लिए आवेदन किया है, जिनमें से लगभग 2 लाख स्ट्रीट वेंडर्स के ऋण आवेदन स्वीकृत भी हो चुके हैं तथा 71,500 हजार ऋण वितरित भी कर दिए गए हैं।
इस योजना की एक खासियत यह भी है कि इसका लाभ शहरी क्षेत्रों में काम करने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को तो मिलेगा ही, आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को भी इसका लाभ मिलेगा। समूचे देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के स्ट्रीट वेंडर्स के लिए यह अनोखी पहल है। दरअसल, स्ट्रीट वेंडर्स व गरीब रेहड़ी पटरी वालों के सामने बैंक में प्रतिभूति के रूप में जमा करने के लिए कुछ नहीं होता, यही कारण है कि इस योजना में कार्य पूंजी ऋण के लिए किसी भी प्रकार की प्रतिभूति (collateral security) की आवश्यकता नहीं है। कोई भी स्ट्रीट वेंडर एक साल की अवधि का 10,000 रुपये का ऋण प्राप्त कर सकता है। स्ट्रीट वेंडर्स को प्रोत्साहन के लिए इस योजना में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि ऋण लेने वाला स्ट्रीट वेंडर समय पर या समय से पहले जमा कर देता है तो 7 फीसद वाषिर्क ब्याज की दर से त्रैमासिक ऋण अनुदान ऋण लेने वाले स्ट्रीट वेंडर्स के सीधे खाते में जमा हो जाएगा। और इसके बाद वह इससे बड़ी पूंजी यानी 20,000 रुपये और फिर 50,000 के ऋण भी प्राप्त कर सकेगा।
आजकल सभी के हाथ में मोबाइल है ऐसे में इस योजना के अंतर्गत लाभान्वित वेंडर्स यदि डिजिटल पेमेंट करते हैं तो 200 से ज्यादा ट्रांजेक्शन पर उन्हें अधिकतम 100 रुपये प्रति माह नकद उनके खाते में वापस किया जाएगा। इस योजना में बैंकों का भी ख्याल रखा गया है। योजना में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) की क्रेडिट गारंटी के द्वारा बैंकों को बिना किसी प्रवेश शुल्क के 5 प्रतिशत तक नुकसान पर 100 प्रतिशत एवं 5-15 प्रतिशत नुकसान पर 75 प्रतिशत पोर्टफोलियो की क्रेडिट गारंटी दी गई है। ऋण की सुविधा सीधे स्ट्रीट वेंडर को उसके दरवाजे पर मिलेगी यानी बैंकों के बिजनेस प्रतिनिधि या एनबीएफसी के एजेंट द्वारा ऋण आवेदन लेना, ऋण स्वीकृत करना, धनराशि मुहैया कराना एवं किस्तों की धनराशि वापस लेने आदि सारे कार्य सीधे वेंडर के दरवाजे पर किए जाएंगे।
सरकार ने 30 सितम्बर, 2020 तक 108 शहरों को योजना से 100 शत प्रतिशत लागू करने के विशेष प्रयास शुरू किए हैं। कोरोना संकट व लॉकडाउन के कारण जिन स्ट्रीट वेंडर्स को नुकसान हुआ है वह शहरी स्थानीय निकाय या बैंक से संपर्क करके योजना का लाभ लेकर कार्य पूंजी का प्रयोग कर दोबारा अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकते हैं। निश्चित रूप से यह गरीब स्ट्रीट वेंडर्स के जीवन को बदलने की एक कोशिश है। उम्मीद है कि इस योजना से देश के लाखों स्ट्रीट वेंडर्स का जीवन संवरेगा और वह आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करेंगे।
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