धोनी : अब संन्यास के फैसले से चौंकाया
दुनिया के सफलतम कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी ने देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से आजादी ले ली।
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हम सभी जानते हैं कि महेंद्र सिंह धोनी को मैदान पर ठंडे दिमाग के साथ संयत व्यवहार की वजह से मिस्टर कूल कहा जाता है। व्यवहार की यह सादगी उनके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा के समय भी नजर आई।
धोनी अपने पूरे कॅरियर के दौरान जिस अनोखे अंदाज के लिए जाने जाते रहे, उसी अंदाज को उन्होंने संन्यास की घोषणा के समय भी दिखाया। उन्होंने 16 शब्दों वाला 4.07 सेकेंड का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर डाला, जिसके बैकग्राउंड में मुकेश का गाना..मैं पल दो पल का शायर हूं..बज रहा था, जिसमें उन्होंने लिखा कि अब तक आपके प्यार और सहयोग के लिए शुक्रिया। सात बजकर 29 मिनट के बाद से मुझे रिटायर समझिए। धोनी उस युग की देन हैं, जिस समय छोटे शहरों से क्रिकेटरों ने निकलना शुरू कर दिया था। वह ‘फैब फोर’ यानी सचिन, द्रविड़, गांगुली और कुंबले का जमाना था। यह सभी बड़े शहरों के अंग्रेजी बोलने वाले खिलाड़ी थे।
सही मायनों में टीम की योजना बनाने में इन खिलाड़ियों का ही दबदबा हुआ करता था, लेकिन धोनी ने छोटे शहरों के खिलाड़ियों की टीम में अहमियत बढ़ाने का काम किया और धीरे-धीरे टीम में हिंदी बोलने वाले छोटे शहरों के खिलाड़ियों का दबदबा बनाया। गांगुली को टीम में जीत का जज्बा बनाने वाला माना जाता है। तो धोनी ने उनके ही काम को आगे बढ़ाते हुए टीम की सोच को ही एकदम से बदलकर रख दिया। असल में टीम में जुझारूपन लाने वाले हैं वह। उन्होंने तमाम मौकों पर टीम को मुश्किल से निकालकर विजयी लक्ष्य तक पहुंचाकर टीम खिलाड़ियों में यह सोच विकसित की कि यदि विकेट पर ठंडे दिमाग के साथ डटे रहा जाए तो किसी भी मुश्किल से पार पाई जा सकती है। विराट कोहली के देश के सफलतम टेस्ट कप्तान बनने से पहले धोनी के नाम ही यह रिकॉर्ड था। पर धोनी अब भी तमाम मामलों में विराट से मीलों आगे नजर आते हैं। वह आईसीसी की तीनों चैंपियनशिपों को जीतने वाले दुनिया के इकलौते कप्तान हैं। उन्होंने 2007 में टी-20 विश्व कप जीतकर पहली बार अपनी कप्तानी की छाप छोड़ी। सही मायनों में यह विश्व कप उनके कॅरियर का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। टी-20 विश्व कप में भारत की बेहतर संभावनाओं की किसी को उम्मीद नहीं थी। इसलिए कई सीनियर खिलाड़ियों ने इसमें भाग लेने से मना कर दिया था। इस वजह से धोनी को कप्तानी करने का मौका दिया गया। उन्होंने भारत को विश्व चैंपियन बनाकर सभी को अचरज में डाल दिया। उन्होंने 2011 में भारत को आईसीसी विश्व कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी का चैंपियन बनाया। विराट को अभी इन तीनों उपलब्धियों को हासिल करना बाकी है।
हर खिलाड़ी अपने कॅरियर के अंतिम पल को यादगार बनाना चाहता है। पर धोनी को अपना अंतिम पल हमेशा खलता रहेगा। वह यदि न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में मात्र एक इंच क्रीज से दूर रहकर आउट नहीं हुए होते, तो शायद वह भारत को जीत दिलाने में सफल हो सकते थे। उनके ऊपर पूरे कॅरियर में लगा बेस्ट फिनिशर के टैग पर यह एक ऐसा धब्बा है, जो उन्हें हमेशा सालता रहेगा। पर धोनी के इस अंतिम पल को ठीम उसी तरह याद किया जाएगा, जैसे महान क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन की आखिरी पारी को याद किया जाता है। ब्रैडमैन को अपने आखिरी पारी में अपने टेस्ट कॅरियर औसत को 100 रखने के लिए इस पारी में सिर्फ चार रन बनाने थे पर वह इस पारी में शून्य पर आउट हो गए थे। इसी तरह रिकॉर्ड के बादशाह सचिन तेंदुलकर आमतौर पर 50-60 से ऊपर निकल जाने पर शतक ठोककर ही दम लेते थे, लेकिन वह भी अपनी अंतिम पारी में 75 रन बनाने के बाद अनियमित गेंदबाज की गेंद पर आउट हो गए थे।
धोनी से वैसे तो 2019 के आईसीसी विश्व कप के बाद ही संन्यास लेने की उम्मीद की जा रही थी। पर उन्होंने जब संन्यास की घोषणा नहीं की तो लगा कि उनके जेहन में 2020 के आखिर में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप में खेलने की बात कहीं-न-कहीं रही होगी। धोनी ने अभी आईपीएल में खेलने की बात कही है, मगर बहुत संभव है कि वह अब इस आईपीएल में टीम इंडिया में स्थान बनाने वाले दवाब से मुक्त होकर खेलेंगे और बेजोड़ प्रदर्शन करने के बाद क्रिकेट को ही अलविदा भी कह सकते हैं।
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