एमएसएमई : इन्हें देनी होंगी सुविधाएं

Last Updated 11 Aug 2020 12:06:06 AM IST

यद्यपि देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) में नई जान फूंकने के लिए सरकार के द्वारा एक के बाद एक नई राहत और सुविधाओं की घोषणाएं की जा रही हैं, लेकिन अब यह जरूरी है कि सरकार के द्वारा क्रियान्वयन पर ध्यान देते हुए एमएसएमई की मुट्ठियों में नई राहत और सुविधाएं पहुंचाने के अधिकतम प्रयास किए जाएं।


एमएसएमई : इन्हें देनी होंगी सुविधाएं

हाल ही में 6 अगस्त को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने कोविड-19 महामारी से एमएसएमई के लिए ऋणों के पुनर्गठन की बड़ी राहत दी है। इस योजना का लाभ 1 मार्च 2020 तक गैर-निष्पादित आश्वस्तियों (एनपीए) से बचे रहे ऐसे एमएसएमई को मिलेगा, जो जीएसटी के तहत पंजीकृत हैं और 25 करोड़ रु पये तक की ऋण की सीमा में है। एमएसएमई सेक्टर के ऋणों के पुनर्गठन की यह योजना इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय एमएसएमई ऋण खातों के एनपीए में फंसने की आशंका काफी बढ़ गई है तथा एमएसएमई को आपूर्ति श्रृंखला और कारोबारी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। गौरतलब है कि इन दिनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो रही विभिन्न रिपोटरे में कहा जा रहा कि देश में निगेटिव विकास दर की चुनौती के बीच एमएसएमई को मजबूत बनाकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है। ज्ञातव्य है कि देश में करीब 6.30 करोड़ से अधिक की विशाल संख्या वाला एमएसएमई सेक्टर है। देश के कुल निर्यात में इस सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 48 फीसद है और देश की जीडीपी में इस सेक्टर का योगदान करीब 29 फीसद का है। साथ ही एमएसएमई के तहत करीब 12 करोड़ लोग रोजगार से जुड़े हैं। 

अतएव इस समय एमएसएमई सेक्टर में नई जान फूंकने के लिए इस समय तीन अहम कदम तत्काल उठाए जाने जरूरी हैं। एक, एमएसएमई के लिए घोषित नई ऋण पुनर्गठन योजना तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित राहतों को एमएसएमई की मुट्ठियों में शीघ्रतापूर्वक कारगर तरीके से पहुंचाया जाए। दो, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए गैर जरूरी उत्पादों पर उपयुक्त आयात प्रतिबंध लगाए जाएं। तीन, सरकार के द्वारा एमएसएमई के बकाया का भुगतान शीघ्र किए जाएं। गौरतलब है कि देश के कोने-कोने में चुनौतियों का सामना कर रहे एमएसएमई सेक्टर को बचाने के लिए सरकार के द्वारा मई 2020 में 3 लाख 70 हजार करोड़ रुपये के अभूतपूर्व राहतकारी प्रावधान घोषित किए गए हैं, जिनमें से इस क्षेत्र की इकाइयों को 3 लाख करोड़ रु पये की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसी कई राहतें शामिल हैं, लेकिन ऐसी राहतों के लिए उपयुक्त क्रियान्वयन न होने के कारण एमएसएमई गंभीर चुनौतियों के दौर में से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। एमएसएमई आपूर्तिकर्ताओं से भुगतान प्राप्त न होने से परेशान हैं। विभिन्न मुश्किलों के कारण लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी आधे से अधिक एमएसएमई इकाइयां उत्पादन शुरू नहीं कर पाई हैं, जिनमें काम शुरू हुआ है, वे भी काफी कम क्षमता के साथ परिचालन कर रही हैं। यद्यपि सरकार ने एमएसएमई की इकाइयों के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बैंकों के जरिये बगैर किसी जमानत के आसान ऋण सहित कई राहतों का पैकेज घोषित किया है, लेकिन अधिकांश बैंक ऋण डूबने की आशंका के मद्देनजर ऋण देने में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक ईसीएलजीएस में से 3 अगस्त तक करीब 1.38 लाख करोड़ रुपए के कर्ज को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें से करीब 92 हजार करोड़ रु पये का कर्ज वितरित किया जा चुका है। इस साल जनवरी से जून तक एमएसएमई को जारी कुल कर्ज मार्च 2020 की तुलना में जून 2020 में घट गया है। चूंकि देश में कार्यरत एमएसएमई के में से करीब 99 फीसद सूक्ष्म श्रेणी में हैं और उनमें से अधिकांश औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था के अधीन नहीं है, अतएव उन्हें सरकारी राहतों के मिलने में कठिनाई आ रही है। ऐसे में एक ओर ऐसी सुसंगत व्यवस्था बनाई जानी चाहिए, जिसके तहत सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयों सहित सभी एमएसएमई को आर्थिक पैकेज का लाभ मिल सके।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आयात पर निर्भरता घटाने और स्थानीय सामान के उत्पादन तथा मांग को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। इसी परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार ने सरकारी विभागों और मंत्रालयों को चीन के आपूर्तिकर्ताओं के किसी सामान के चयन या खरीदारी से दूर रहने का अनौपचारिक निर्देश दिया है। ऐसे में देश के उद्योग-कारोबार संगठनों के द्वारा चीन से आयात किए जाने वाले तथा देश के एमएसएमई पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे 350 से अधिक चिह्नित उत्पादों के आयात पर सख्त गैर-शुल्क प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। यह भी जरूरी है कि उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय तथा नीति आयोग के द्वारा गैर जरूरी आयात कम करने की रणनीति को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जाए। साथ ही भारतीय मानक ब्यूरो के द्वारा भी उत्पादों के लिए कड़े मानक जल्द सुनिश्चित किए जाएं। कोविड-19 के बीच एमएसएमई को विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकालने के लिए यह भी जरूरी है कि एमएसएमई की केंद्र सरकार विभिन्न केंद्रीय विभागों तथा राज्य सरकारों के पास जो बकाया धनराशि है, उसका भुगतान एमएसएमई को जल्द किया जाए। साथ ही यह भी जरूरी है कि दिवालिया संकट का सामना कर रही एमएसएमई को राहत देने के लिए केंद्र सरकार शीघ्र ही इंसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत स्पेशल स्कीम को मूर्तरूप दे।
हम उम्मीद करें कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के द्वारा 6 अगस्त को एमएसएमई के लिए ऋणों के पुनर्गठन की राहत तथा आत्मनिर्भर अभियान के तहत सरकार ने एमएसएमई के लिए जो घोषणाएं की है, उनका कारगर क्रियान्वयन एमएसएमई में नई जान फूंक सकेगा। इसके साथ-साथ चीन से आयात किए जा रहे गैरजरूरी उत्पादों पर प्रतिबंध तथा सरकार के द्वारा एमएसएमई को बकाया भुगतान सुनिश्चित किया जाना एमएसएमई इकाइयों के लिए संजीवनी का काम करेगा। इससे निश्चित रूप से इस समय ठप पड़ी देश की अर्थव्यवस्था गतिशील हो सकेगी।

जयंतीलाल भंडारी


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