जहरीली शराब : राह नहीं आसान

Last Updated 07 Aug 2020 12:22:23 AM IST

चीन के साथ होने वाली झड़प में जब देश ने अपने 20 जवान खोए तो पूरे देश में आक्रोश की एक लहर पैदा हो गई थी और आज जब पंजाब के 100 से अधिक लोग जहरीली शराब से मर गए तो सरकार और समाज, दोनों मौन हैं।


जहरीली शराब : राह नहीं आसान

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और असम के बाद पंजाब की घटना देश के लिए चिंता का विषय है। इस प्रकार की घटनाओं से कोई भी प्रदेश अछूता नहीं है। कच्ची शराब से होने वाली मौतों को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया जाता। हमेशा की तरह इस बार भी कुछ लोगों को निलम्बित कर, जांच टीम का गठन कर और मृतकों के परिवारों को मुआवजा देकर सरकार ने अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री मान ली है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली और गुजरात में जिस जहरीली शराब से सैकड़ों लोग मारे गए थे, वह शराब दवा कंपनियां शराब की बोतलों पर दवा कंपनी का लेबल लगाकर बेच रही थीं। बिहार और गुजरात में मद्य निषेद्य के बावजूद जहरीली शराब से लोगों की मृत्यु सरकार और समाज के समक्ष अनेक यक्ष प्रश्न खड़े करती है, जिसका जवाब आज हमें तलाशना ही होगा। आखिर, गांवों में जहरीली कच्ची शराब कहां से आती है? इसके लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं? नशामुक्ति के लिए चलाए जा रहे महिलाओं के अभियान बेअसर क्यों हो रहे हैं? पुलिस एवं आबकारी विभाग द्वारा इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता है? क्या इसके लिए लचर न्याय व्यवस्था दोषी है? कठोर दंड के प्रावधानों के बावजूद अवैध शराब का व्यापार का प्रतिदिन क्यों फल-फूल रहा है? क्या समाज की उदासीनता इसके लिए जिम्मेदार है? ऐसे अनेक यक्ष प्रश्नों के उत्तर यदि आज नहीं तलाशे गए तो नशे से होने वाले प्रभावों से समाज को कोई नहीं बचा पाएगा। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी राष्ट्र की नींव उस देश की युवा शक्ति होती है, जो नशे के कारण खोखली होती जा रही है। महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह भी है कि आखिर, लोग कच्ची शराब पीते क्यों हैं?

दरअसल, सरकार अधिक राजस्व के लिए शराब पर अत्यधिक कर लगा देती है, जिससे शराब मंहगी हो जाती है। परिणामस्वरूप कच्ची शराब को बढ़ावा मिलता है। कच्ची शराब की कीमत को कम करने के लिए मिथेनॉल अथवा स्प्रिट को मिलाया जाता है, जिससे यह शराब काफी सस्ती एवं तेज असर वाली हो जाती है। कच्ची शराब के उत्पादन में पूरा रैकेट काम करता है, जिसमें राजनेता, पुलिस एवं अपराधियों का गठजोड होता है। कभी-कभी जहरीले मिथेनॉल की मात्रा अधिक हो जाने से कच्ची शराब जानलेवा साबित हो जाती है। अवैध कच्ची शराब के बढ़ते व्यापार के कारण एक तरफ सरकार को राजस्व की हानि होती है, तो दूसरी तरफ ग्रामीण कच्ची शराब के विषय में पूर्ण जानकारी एवं जागरूकता के अभाव में सस्ती शराब के चक्कर में अपनी जान गंवा देते हैं। विश्व व्यापार संगठन के अनुसार भारत में कुल शराब उपभोग का लगभग 45 प्रतिशत अवैध व्यापार से पूरा होता है।

यदि सरकार अवैध शराब पर कड़ाई से प्रतिबंध लगा दे तो जहरीली शराब से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। ठोस नीति बनाकर आबकारी एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों को अवैध शराब की रोकथाम के लिए जिम्मेदार बनाना होगा। मौत के सौदागरों के लिए त्वरित एवं कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। शराब की कीमत को नियमित कर सरकार राजस्व को भी बढ़ा सकती है। शराब के कारण खोखले होते जा रहे समाज को बचाने के लिए सामुदायिक सहयोग द्वारा एक राष्ट्रीय सोच को विकसित करना होगा। इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार, नीति नियंता, एनजीओ, पुलिस, राजनेता, एकेडमिशियन आदि समाज में जागरूकता लाने के लिए मिलकर कार्य करेंगे तभी जहरीली शराब पर रोक लग पाएगी।
देश में कानूनों की कमी नहीं है, बल्कि कानूनों को सख्ती से लागू किए जाने की आवश्यकता है। गांधी जी ने यंग इंडिया में लिखा था कि यदि मुझे केवल एक घंटे के लिए भारत का सर्वशक्तिमान शासक बना दिया जाए तो पहला काम यह करूंगा कि शराब की सभी दुकानें बिना कोई मुआवजा दिए तुरंत बंद करा दूंगा।

डॉ. सुरजीत सिंह गांधी


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