सरोकार : हमारे नाम में बहुत कुछ रखा है
शेक्सपीयर ने भले कहा हो कि नाम में क्या रखा है-लेकिन नाम हमारी पहचान ही तो होते हैं। यह बात और है कि शेक्सपीयर के ही देश में लगभग सभी शादीशुदा औरतें यानी 90 फीसद औरतें अपना ओरिजिनल सरनेम छोड़कर अपने पति का सरनेम अपना लेती हैं।
सरोकार : हमारे नाम में बहुत कुछ रखा है |
2016 के एक सर्वे में कहा गया था कि 18 से 34 साल के बीच की युवतियां भी शादी के बाद ऐसा ही करती हैं। बहुत-सी तो ऐसा भी सोचती हैं कि पति का नाम अपने नाम से जोड़ना कानूनन जरूरी है। पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में भी औरतें ऐसा ही करती हैं। नार्वे को स्त्री पुरु ष समानता की दृष्टि से चौथे स्थान पर रखा जाता है, पर वहं भी महिलाएं पतियों का नाम अपना लेती हैं। भारत में तो खैर, ऐसा ज्यादातर किया ही जाता है।
यूं महिलाओं की पहचान का बदलना पितृसत्ता की ही देन है। औरतों को मदरे की संपत्ति माना जाता है। एक मर्द यानी पिता से छूटी तो दूसरे मर्द यानी पति के कब्जे में आई। हिंदू धर्म में तो कन्या का दान ही होता है। बस, इसी से यह परंपरा भी चल निकली है। दुनिया के ज्यादातर देश इसी परंपरा को घसीट रहे हैं। अमेरिका में 2011 के एक अध्ययन में 72 फीसद वयस्कों ने कहा था कि औरतों को शादी करने के बाद अपने मेडन नेम यानी माता-पिता का सरनेम छोड़ देना चाहिए और आधे से ज्यादा लोगों ने कहा था कि यह कानूनी तौर से वैध होना चाहिए, सिर्फ जरूरी नहीं। वहां सत्तर के दशक तक कई राज्यों में शादीशुदा औरतें अपने मेडन नेम के साथ वोट नहीं कर सकती थीं। अमेरिका में 2018 के एक सर्वे में 877 हेट्रोसेक्सुअल शादीशुदा पुरु षों से बातचीत की गई-उनमें से तीन फीसद से भी कम ने अपनी बीवी का नाम अपनाया था।
यूं मध्यकालीन इंग्लैंड में अमीर औरतों से शादी करने वाले पुरु ष अक्सर बीवी का नाम इस्तेमाल करने लगते थे। वॉशिंगटन के एवरग्रीन स्टेट कॉलेज के प्रोफेसर स्टेफनी कूंट्स के हिसाब से 12वीं से 15वीं शताब्दी के दौरान जेंडर से बड़ी क्लास होती थी। यूं भारत की अलग ही विद्रूपताएं हैं। यहां औरत पति का सरनेम इस्तेमाल तो करने लगती है, पर पति का नाम नहीं लेती। 2017 में एक एनजीओ ने वीडियो डायरीज बनाई। पुणो के एक गांव में औरतों के एक समूह से कहा कि वे अपने पतियों के नाम लें। गुस्से से-प्यार से-उलाहना देते हुए। फिर उनसे कहा गया कि घर जाकर भी वह अपने पति को नाम से बुलाएं। इस प्रयोग का खमियाजा भी कई औरतों को उठाना पड़ा। एक का पति तो उसे मारने ही दौड़ा। एक को नाम लेने पर ससुराल वालों से माफी मांगनी पड़ी। एक ने पति का नाम लेने के बाद गिड़िगड़ाकर कहा कि उसे किसी ने बरगलाया था। इसीलिए शेक्सपीयर महोदय जो भी कहें, नाम में बहुत कुछ रखा है। उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में पति को मालिक कहने की परंपरा है। तो, देशज भाषा में पति शब्द के मायने ही मालिक या स्वामी है। तभी लखपति यानी लाखों का स्वामी और अरबपति यानी अरबों का स्वामी। तो जो पत्नी का स्वामी या मालिक है, वह पति। मालिक के सामने आप दासी हैं-तो आप उसका नाम आप कैसे ले सकते हैं। एक कॉमेडी सीरियल में हीरोइन का पति गायब हो जाता है। हीरोइन उसे ढूंढने थाने जाती है, वहां जाकर कहती है-‘. के पापा’ का कुछ पता नहीं है-आप पता लगाएं। वह पति का नाम नहीं लेती। अपने नाम के बाद ‘. के पापा ‘कहती है, फिर सरनेम बोलती है। ऑडियंस उसके भोलेपन पर हंस पड़ती है। वह इसी भोलेपन के साथ पितृसत्ता का बिगुल बजाती रहती है और सीरियल हिट होता रहता है।
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