पुण्यतिथि : युवाओं के रॉल मॉडल डॉ. कलाम

Last Updated 27 Jul 2020 12:58:04 AM IST

पांच साल पहले आज ही के दिन देश ने अपने सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति, ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में विख्यात भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, को खो दिया था।


पुण्यतिथि : युवाओं के रॉल मॉडल डॉ. कलाम

डॉ. कलाम प्रख्यात वैज्ञानिक थे। निष्ठा, प्रतिबद्धता और लगनशीलता के लिए जाने जाते थे। शिक्षण कार्य को सर्वाधिक पसंद करते थे और छात्रों को शिक्षा देते हुए ही अंतिम सांस ली।
प्रखर राष्ट्रवादी, बेजोड़ प्रेरक और बेहतरीन लेखक थे। बेहद साधारण परिवार से आए डॉ. कलाम ने तमाम बाधाओं से पार पाते हुए शिक्षा ग्रहण की और ऊंचा मुकाम बनाया। चाहते थे कि 2020 तक भारत विकसित राष्ट्र बने। अपनी विभिन्न भूमिकाओं-भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार और बाद में राष्ट्रपति (2002-07)-में उन्होंने अनथक कार्य किया। शिलांग में अंतिम सांस लेने तक भारत को विकसित देशों की कतार में देखने के लिए प्रयासरत रहे। आज हम 2020 में हैं और हमारे लिए जरूरी हो जाता है मंथन करना कि डॉ. कलाम के सपनों के भारत की दिशा में हम कितना बढ़े हैं।

क्या विकसित राष्ट्र बन गए हैं, या अभी भी विकासशील राष्ट्र के रूप में संघषर्रत हैं, जिसकी 25 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीने को विवश है। डॉ. कलाम ने मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का सपना देखा था और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अंतिम समय तक प्रयासरत रहे। दबे-कुचले और हाशिये पर पड़े लोगों के लिए सदा चिंता करने वाले डॉ. कलाम का मानना था कि बच्चे भारत का भविष्य हैं। उनके विकास के लिए वह सदा तत्पर रहे। डॉ. कलाम ने हमें पुरा-प्रोवाइडिंग अर्बन अपरेच्यूनिटीज इन रूरल एरियाज-अवधारणा दी। इसके तहत उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करके शहरी-ग्रामीण के बीच की खाई को पाटते हुए राष्ट्र का विकास करने का सपना देखा था। वह चाहते थे कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी वैसी ही सुविधाएं मुहैया कराई जाएं जो शहरी  लोगों को उपलब्ध हैं ताकि ग्रामीणों को बेहतर जीवन जीने की ललक पूरी करने लिए शहरों की ओर पलायन न करना पड़े। वे सांसदों को कहा करते थे कि राष्ट्र के विकास के लिए रोजगार सृजन, ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर संपर्क सुविधाएं, कारगर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और अच्छी शिक्षा प्रणाली जरूरी है। उनका मानना था कि हमारी संसद और विधानसभाओं से ऐसा प्रभावी नेतृत्व उभरना चाहिए जो इन कार्यों में सक्रियता से अपना योगदान दे। डॉ. कलाम की अवधारणा-पुरा-जैसी योजना हाल में सरकार ने गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत आरंभ की है। यह योजना देश के 116 जिलों में क्रियान्वित की जाएगी। इसके तहत कोशिश होगी कि ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा रोजगार अवसरों का सृजन किया जाए। डॉ. कलाम ने भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता और राजनीति में अपराधीकरण का हमेशा मुखर विरोध किया। उनका मानना था कि धर्मनिरपेक्षता को भारतीय मूल्यों में निहित है। वह  कहते थे कि उदार मन और सहिष्णु चेतना भारतीय सभ्यता की खासियत रहे हैं। वह जोर देकर कहते थे कि भारत भाग्यशाली है कि यहां विश्व के छह प्रमुख धर्मो का उद्गम हुआ है। हमारे लिए जरूरी है कि इन धर्मो में परस्पर सद्भाव का भाव जगा कर सांप्रदायिकता को शिकस्त दें।
डॉ. कलाम चाहते थे कि एक जागरूक समाज के निर्माण में  मीडिया महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाए। वे कहते थे कि मीडिया को सनसनीखेज खबरें देने से बचना चाहिए। खबरें पूरी छानबीन और तथ्यों को जान-परख लेने के पश्चात दी जानी चाहिए। वे कहते थे कि राष्ट्रीय मिशन में मीडिया प्रमुख भागीदार है। इस कोरोनाकाल में आज डॉ. कलाम होते तो यकीनन देश उनके मार्गदर्शन से लाभान्वित हो रहा होता। एचआईवी एड्स की वैक्सीन के विकास कार्यक्रमों में उन्होंने सक्रियता से रुचि ली थी। तकनीक के उपयोग के वे हामी थे। मिसाइल टेक्नोलॉजी में उन्होंने काफी कार्य किया। इस कदर शानदार कि उन्हें ‘मिसाइलमैन’ कहा जाने लगा। अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में भी उन्हें याद किया जाता है। दुनिया की नजरों में डॉ. कलाम धन-दौलत नहीं छोड़ गए, लेकिन ज्ञान का विशाल भंडार और भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा जरूर छोड़ गए हैं ताकि वे एक नये राष्ट्र का निर्माण कर सकें।
(लेखक डा. कलाम के प्रेस सचिव थे)

एस.एम. खान


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