वैश्विकी : तुर्की का खतरनाक इस्लामीकरण
तुर्की में एतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व के हागिया सोफिया संकुल को एक मस्जिद के रूप में बदलने के तुर्की के फैसले को लेकर दुनियाभर में विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं सामने आ रहीं हैं।
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इस सोफिया की पहचान किस रूप में की जाए, इसे लेकर भी विभिन्न पक्षों में अलग-अलग राय हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से वास्तुकला के एक बेहतरीन उदाहरण का निर्माण रोमन साम्राज्य के दौरान छठी शताब्दी में बाइजेंटाइन सम्राट जस्टिनियन ने बनवाया था। ईसाइ राज्य और इस्लामी राज्य के बीच सैन्य संघर्ष के बाद इंस्तांबुल पर मुस्लिम शासकों का आधिपत्य हो गया और 1453 में हागिया सोफिया चर्च को मस्जिद में बदल दिया गया। संकुल के ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाया गया बल्कि इसके चारों ओर मीनारें खड़ी कर उसे मस्जिद का रूप दे दिया गया। इसी रूप में यह संकुल बीसवीं शताब्दी के आरंभ तक जारी रहा।
ऑटोमन साम्राज्य के पतन के बाद तुर्की ने कमाल पाशा अतातुर्क के रूप में एक चमत्कारी नेता उभरकर सामने आया। उन्होंने अपनी जनता को पराजय के मनोभाव से मुक्त किया तथा देश का कायाकल्प कर दिया। कभी विव्यापी इस्लामी साम्राज्य के रूप में देखा जाने वाला तुर्की आधुनिकीकरण और धर्मनिरपेक्षता का मजबूत प्रतीक बन गया। अतातुर्क ने वर्ष 1934 में हागिया सोफिया को एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया। दुनिया भर के पुरातत्वविदों ने इस संकुल के संरक्षण और उसे संवारने का काम किया। मुख्य भवन के अंदर की ईसाइ चित्रकारी को सजीव बनाया गया। पिछले 86 वर्षो से हागिया सोफिया दुनियाभर के पर्यटकों और कलाप्रेमियों के लिए एक आकषर्क स्थल बन गया।
हागिया सोफिया ईसाइ धर्म के तीसरे बड़े संप्रदाय आथरेडक्स चर्च के लिए तीर्थस्थान की तरह है। दुनिया में आथरेडक्स के अनुयायी मुख्यतया रूस, ग्रीस और अन्य स्लाव देशों में रहते हैं। भारत में केरल राज्य में भी आथरेडक्स चर्च के कुछ मतावलंबी हैं। रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट चर्च की तरह आथरेडक्स चर्च का उतना राजनीतिक प्रभाव नहीं है। यही कारण है कि हागिया सोफिया के स्वरूप में बदलाव का दुनिया में सरकारी स्तर पर ज्यादा विरोध नहीं हुआ। सबसे मुखर विरोध ग्रीस की सरकार की ओर से किया गया। इतना ही नहीं आथरेडक्स चर्च से जुड़े सबसे बड़े देश रूस ने भी सरकारी स्तर पर तुर्की की आलोचना की गई। अलबत्ता रूस के शक्तिशाली आथरेडक्स चर्च के प्रमुख ने तुर्की के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने भी हागिया सोफिया के स्वरूप में बदलाव की आलोचना की है। संस्था ने भवन के अंदर की कलाकृतियों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाने का आग्रह किया है। सरकारी स्तर पर क्रेमलिन के प्रवक्ता ने इसे तुर्की का आंतरिक मामला बताया।
तुर्की के राष्ट्रपति आदरेगन ने शुक्रवार 24 जुलाई को हागिया सोफिया में नमाज अता की। आदरेगन सत्ता में आने के बाद से ही तुर्की ने धीरे-धीरे इस्लामीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। अतातुर्क ने धर्मनिरपेक्ष आधुनिक तुर्की का जो ढांचा खड़ा किया था, उसे योजनाबद्ध ढंग से तोड़ा जा रहा है। तुर्की में अतातुर्क को अभी भी एक आदर्श नायक माना जाता है तथा देश में धर्मनिरपेक्षता के समर्थक बड़ी संख्या में रहते हैं। आदरेगन के लिए यह संभव नहीं है कि वे अतातुर्क की शख्सियत और उनकी विरासत पर सीधा हमला करें। आदरेगन तुर्की में इस्लामीकरण की प्रक्रिया को कितना आगे बढ़ाएंगे इसे लेकर दुनियाभर में चर्चा हो रही है।
वास्तव में पिछले कुछ वर्षो के दौरान उन्होंने दुनिया के विभिन्न देशों में मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद की है। भारत में जम्मू-कश्मीर के घटनाक्रम, नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के बारे में तुर्की ने सरकारी स्तर पर आलोचना की है। वास्तव में आदरेगन ऑटोमन साम्राज्य के सपने का दोबारा साकार करने की कवायद में हैं। वह तुर्की को इस्लामी दुनिया का नेता बनाने की फिराक में हैं। इस काम में उन्हें अभी तक केवल पाकिस्तान और मलेशिया का समर्थन हासिल हुआ है। आदरेगन की समस्या यह है कि एक ओर वह देश में इस्लामीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाना चाहते हैं वहीं दूसरी ओर यूरोपीय समुदाय का हिस्सा बनना चाहते हैं। हागिया सोफिया की घटनाक्रम के बाद अब तुर्की और यूरोप के बीच दूरी और बढ़ने की संभावना है।
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