सरोकार : नया अध्याय लिखेगा महिला विश्व कप

Last Updated 12 Jul 2020 03:32:24 AM IST

खबर आए दो हफ्ते हो गए हैं कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड फीफा-2023 के महिला विश्व कप की मेजबानी करने वाले हैं।


सरोकार : नया अध्याय लिखेगा महिला विश्व कप

पहली दफा होगा कि दो अलग-अलग देशों के फुटबॉल परिसंघ इस कप की मेजबानी करेंगे। वैसे दोनों इस तरह की पार्टनरशिप पहले भी कर चुके हैं-2015 का क्रिकेट विश्व कप और 2017 का रग्बी लीग विश्व कप, लेकिन कोविड-19 के प्रकोप और ऑस्ट्रेलिया की मंदी के चलते कई सवाल उठ रहे हैं। क्या इस दौर में यह अच्छा अवसर माना जा सकता है। फिर भी खेलों में महिलाओं की स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञ इसे दोनों देशों के लिए अच्छा सौदा मान रहे हैं।
बड़े पैमाने पर खेल आयोजनों के सामाजिक लाभ क्या होते हैं, इसका आकलन मुश्किल है- खासकर महिलाओं के खेलों पर, लेकिन कुछ उदाहरणों से इसे समझा जा सकता है। जैसे 2019 में फ्रांस में आयोजित विश्व कप के दौरान लगभग एक बिलियन दर्शकों ने टीवी पर मैच देखे थे। इससे चार साल पहले आयोजित खेलों को टीवी पर देखने वाले दशर्कों की संख्या 750 मिलियन थी। जाहिर सी बात है, यह प्रवृत्ति 2023 में भी जारी रहेगी। इसके अलावा मेजबान देशों में इसका जमीनी स्तर पर भी असर होगा जिसे अंग्रेजी में ‘ट्रिकल डाउन इफेक्ट’ कहते हैं। इसका अर्थ है कि एलीट स्तर पर खेलों में सफलता का असर अमेचर यानी शौकिया तौर से खेलने वालों पर पड़ता है। लोग खुद भी खेलों में भाग लेने लगते हैं।

फीफा प्रेजिडेंट क्रिस निकू का मानना है कि विश्व कप से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में महिला फुटबॉल सुपरचार्ज होगा। न्यूजीलैंड में तो महिला प्रधानमंत्री ही हैं-जेसिंडा अर्डर्न जोखेलों को लेकर उत्साहित रहती हैं। ऑस्ट्रेलिया में भी महिला खिलाड़ियों के फैन्स बढ़ रहे हैं। इस साल के शुरू में टी 20 महिला विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेट टीम ही जीती थी। इस मैच को 86,000 से अधिक दर्शकों ने स्टेडियम में देखा था। कुछ ही हफ्तों बाद ऑस्ट्रेलिया को फीबा 2022 के महिला बास्केटबॉल विश्व कप की मेजबानी करने के अधिकार मिले थे। बहरहाल, अध्ययनों से पता चलता है कि लैंगिक असमानता अब भी महिला खिलाड़ियों की सफलता में बड़ी बाधा है। पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया की महिला सॉकर टीम मडिल्डा को पुरुषों की टीम सोकरूज के बराबर मेहनताना मिलना शुरू हुआ है।
इसके अलावा, दूसरे कई मोर्चे भी हैं। ऑस्ट्रेलिया के खेल संगठनों में अब भी प्रबंधकीय पदों पर औरतें नहीं हैं। दूसरी तरफ, विश्व कप की मेजबानी के लिए बोली लगाने वाले देशों में न्यूजीलैंड के फुटबॉल परिसंघ की अध्यक्ष जोहाना वुड अकेली महिला हैं। साथ ही, फुटबॉल विश्व कप में जीत की राशि भी महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग है। अक्टूबर, 2018 में फीफा ने कहा था कि वह महिला विश्व कप की प्राइज मनी को दोगुना कर रहा है-15 मिलियन डॉलर से 30 मिलियन डॉलर। चूंकि पुरुषों के लिए विश्व कप के जीतने का मतलब 400 मिलियन डॉलर की राशि जीतना है, इसलिए अभी भी इस खेल मे जेंडर गैप 370 मिलियन डॉलर का है। लैंगिक समानता ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड की बोली का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा। दोनों देशों ने वचन दिया है कि फुटबॉल के प्रशासकीय निकायों में महिलाओं को 40% प्रतिनिधित्व देने के लिए विश्व कप जैसे आयोजन का इस्तेमाल करेंगे। अब देखा जाना है कि इस आयोजन का महिलाओं के खेल के भविष्य पर कितना असर होता है।

माशा


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