मुद्दा : कोरोना काल में भारत-अरब संबंध
चीन के वुहान शहर में अज्ञात कारणों से निमोनिया होने की पुष्टि 31 दिसंबर 2019 को हुई। 11 फरवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे कोविड-19 का नाम दिया।
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13 जनवरी 2020 को चीन के बाहर पहला मामला थाईलैंड में पाया गया। भारत में कोविड-19 संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को वुहान से केरल आई एक छात्रा में पाया गया। तब से इस वैश्विक महामारी से संक्रमित लोगों की संख्या भारत में 1.4 लाख से अधिक हो चुकी है। वहीं, अरब देशों में कोविड-19 का पहला मामला 29 जनवरी 2020 को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में सामने आया। वहां भी इस संक्रमण का कारण वुहान से आया चार सदस्यों का एक परिवार ही था।
यूएई में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या लगभग 28 हजार और सऊदी अरब में 64 हजार से अधिक है। इस महामारी से हर जगह दहशत फैल गई है। अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। इस वैश्विक महामारी से हो रही क्षति का ठीक से अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है। इस मुश्किल दौर में भी भारत का अरब देशों से परस्पर सहयोग और संबंध जारी है। वैश्विक महामारी की गंभीरता एवं पड़ोसियों की आवश्यकताओं को समझते हुए 11 अप्रैल 2020 को भारत ने कुवैत में आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति और स्वास्थ्य कर्मिंयों को भेजा और आगे भी मदद की बात कही। भारत के प्रधानमंत्री ने सभी छह देशों के प्रमुखों से बातचीत के बाद कुवैत के अलावा बहरीन तथा खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) समूह के बाकी सदस्यों के लिए भी चिकित्सा दल के साथ-साथ पेशेवर चिकित्सकों, उपचार सामग्री, दवाइयां एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं को भेजकर यथासंभव सहायता की। भारत के इस कदम की दुनिया ने सराहना की है। भारत तथा संयुक्त अरब अमीरात के बीच भी आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति का आदान-प्रदान हुआ है। भारत सरकार के तत्वावधान में 10 मई 2020 को 88 भारतीय डॉक्टरों और हेल्थकेयर पेशेवरों का एक समूह यूएई भेजा गया। रियाद के अनुरोध पर भारत सरकार ने 835 स्वास्थ्य पेशेवरों को सऊदी अरब जाने की व्यवस्था की है। डॉक्टरों और नसरे का पहला जत्था 13 मई, 2020 को विशेष विमान द्वारा केरल से रवाना हुआ। यूएई के बाद सऊदी अरब दूसरा पश्चिम एशियाई देश है, जिसे भारत सरकार ने डॉक्टरों और हेल्थकेयर पेशेवरों को कोविड -19 महामारी के विरुद्ध हो रहे प्रयास के लिए यात्रा करने की अनुमति दी है।
कोरोना वायरस से निपटने और वैश्विक समुदाय के स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए भारत का अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एकीकृत प्रयास में बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। सऊदी अरब ने भी अपने यहां काम कर रहे करीब 35 लाख प्रवासी भारतीयों की स्वास्थ्य रक्षा एवं खाद्य सुरक्षा के लिए बेहतर प्रबंधन किया है। इन सबके साथ-साथ सऊदी अरब के जनरल डायरेक्टोरेट ऑफ पासपोर्ट ने बिना किसी शुल्क के 25 फरवरी से 24 मई, 2020 के बीच समाप्त होने वाले निकास और वापसी वीजा की वैधता को बढ़ाने का फैसला किया है। आवश्यकता पड़ने पर यह विस्तार अतिरिक्त तीन महीनों के लिए भी जारी रहेगा। इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि इस वैश्विक महामारी के बीच भारतीय सरकार ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की नीति पर चलते हुए सहायता और सहयोग का दायरा अमेरिका, अफ्रीका तथा अन्य देशों के साथ-साथ अरब एवं पड़ोसी देशों तक बढ़ाया है।
पिछले कुछ वर्षो के दौरान, भारत ने कई अरब देशों के साथ स्वास्थ्य संबंधी कई द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें ओमान, इजराइल, जॉर्डन और सऊदी अरब प्रमुख हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक अप्रैल से ही अरब देशों के प्रमुखों से संपर्क बनाए हुए हैं। ज्ञात हो कि अरब देशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों की संख्या करीब 85 लाख है, जिनसे कुल अनुमानित आमदनी 15.8 लाख करोड़ प्रतिवर्ष है। भारत का अरब देशों से व्यापारिक संबंध भी हजारों साल पुराना है। आज भी द्विपक्षीय व्यापार के संबंध में संयुक्त अरब अमीरात (4.55 लाख करोड़) और सऊदी अरब (2.59 लाख करोड़) दुनिया में तीसरा और चौथा स्थान रखता है। पूरे अरब देशों की अगर बात की जाए तो सिर्फ छह खाड़ी देशों से ही भारत का व्यापारिक रिश्ता 9 लाख करोड़ से भी ज्यादा है। ऐसा नहीं है कि भारत-अरब संबंध केवल संकट के समय ही अस्तित्व में आया है बल्कि इनका पारस्परिक संबंध युग-युगांतर से सतत प्रगतिशील है। कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत का अरब देशों से संबंध ‘अर्थ के साथ-साथ आत्मा’ का भी रहा है और आज भी बदस्तूर जारी है।
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