जम्मू-कश्मीर : निशाने पर मोस्ट वांटेड

Last Updated 19 May 2020 12:16:20 AM IST

कोविड 19 प्रकोप के भयभीत माहौल के बीच देश में थो़ड़ा उत्साह पैदा करने वाली जो खबर आई वह थी, कश्मीर के पुलवामा में खूंखार आतंकवादी रियाज नायकू और उसके एक साथी ओवैस हिज्बी का मारा जाना।


जम्मू-कश्मीर : निशाने पर मोस्ट वांटेड

उसके पांच दिनों पूर्व हंदवाड़ा में दो स्थानों पर आठ जवानों के बलिदान के गम और गुस्से पर यह संतोष के फुहाड़े जैसा साबित हुआ है।
रियाज नायकू ए++ श्रेणी का आतंकवादी था। उसकी आठ वर्षो से तलाश थी और उसके ऊपर 12 लाख रुपये का इनाम था। नायकू केवल एक आतंकवादी नहीं, आतंकवाद की दुनिया का प्रवृत्ति स्थापक तथा नई पीढ़ी को आतंकवादी बनाने एवं जनता की सहानुभूति एवं समर्थन मिलने का स्रोत था। नायकू घाटी में सबसे ज्यादा लंबे समय तक सक्रिय और जीवित रहने वाला आतंकवादी था। नायकू ने पुलिस वालों और उनके परिवारों के अपहरण और हत्या को अंजाम दिया तो आतंकवादियों के जनाजे में बंदूकों से सैल्यूट देने की फिर से शुरुआत कर दी। 2016 में आतंकवादी शरीक अहमद बट के जनाजे में वह एके-47 से सैल्यूट देता नजर आया था। इसके बाद कई बार नायकू बंदूक लहराते हुए आतंकवादियों के जनाजे में गन सैल्यूट देते दिखा था। जब कश्मीर में आतंकवाद शुरू हुआ था तब आतंकवादी साथियों के मारे जाने के बाद हवाई फायरिंग करते थे। वस्तुत: 8 जुलाई 2016 को बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हिज्बुल को पोस्टर ब्वॉय के रूप में एक तेजतर्रार कश्मीरी युवक की आवश्यकता थी। नायकू उन कसौटियों पर खरा उतरता था। जाकिर मूसा के हिज्बुल छोड़ने के बाद नायकू जम्मू-कश्मीर के पुलिस बलों से सरकारी नौकरी छोड़कर आतंकवाद में शामिल होने का आह्वान करने लगा था।

नायकू पुलिस वालों का अपहरण भी कर रहा था क्योंकि उसकी अपील पर वे नौकरी नहीं छोड़ रहे थे। यह आतंकवाद का नया और भयानक रूप था, जिसने पुलिसवालों के परिवार में दहशत पैदा कर दिया। उसने सोशल मीडिया पर लंबे-लंबे ऑडियो और वीडियो संदेश पोस्ट किए। अपनी वक्तृत्व कला की बदौलत उसने न केवल युवाओं बल्कि किशोरों को भी आतंकवादी बनाने का अभियान आरंभ कया। तो ऐसे आतंकवादी का खात्मा आतंकवाद के समूल अंत के लक्ष्य से चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ के लिए कितनी बड़ी सफलता है यह बताने की आवश्यकता नहीं।
वैसे इसका दूसरा महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि नायकू के साथ ही बुरहान के साथ दिखे आतंकवादियों का तो अंत हो ही गया, इस बीच उभरे सारे मोस्ट वांटेड यानी सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों का भी सफाया हो गया। आज की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाइए कि 2012 से 2017-19 के दौरान ऐसा समय आया जब आतंकवादियों ने दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां जिलों को आजाद इलाका घोषित करना आरंभ कर दिया था। बुरहान के साथ वायरल तस्वीर में दिखे गिरोह के सारे 10 चेहरों को एक-एक खत्म कर दिया गया- सबजार अहमद भट्ट (मई, 2017), वसीम माला (अप्रैल, 2015), नसीर अहमद पंडित (अप्रैल, 2016), अफाकुल्ला भट्ट (अक्टूबर, 2015), आदिल अहमद खांडे (अक्टूबर 2015), सद्दाम पद्दार-मोहम्मद रफी भट्ट (मई, 2018) के अलावा वसीम शाह और अनीस शामिल हैं। बुरहान ग्रुप का तारिक पंडित 2016 में ही गिरफ्तार किया जा चुका था।
इनने विदेशी आतंकवादियों को पृष्ठभूमि में धकेल दिया। कश्मीरी होने के कारण ये स्थानीय युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर ले जाने में लगातार कामयाबी हासिल करने लगे थे। कई पढ़े-लिखे कश्मीरी युवकों के लिए आतंक की राह चुनना जीवन का बड़ा लक्ष्य बन गया। स्थानीय पुलिसकर्मिंयों को टॉर्चर करने के साथ उनके परिवारों को तंग करना तथा कई बार मार देना इनका शगल हो गया था। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का नया दौर आरंभ हुआ। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को 1990 के दशक में झोंक देने की पूरी योजना पर काम करने लगा। आतंकवादी इतने निर्भय हो गए कि वे गावों में बिना डर के पार्टयिां मनाने लगे थे। सुरक्षा बलों ने पूरे बुरहान गैंग को खत्म करने की साजिश रची और इसमें बुरहान के साथ तस्वीर में दिखने और न दिखे साथियों को भी शामिल कर लिया। बुरहान का बेहद करीबी लतीफ टाइगर हिज्बुल का टॉप कमांडर था, लेकिन जो तस्वीर वायरल थी उसमें वह नहीं था। 3 मई, 2019 को टाइगर समेत तीन आतंकवादी मार गिराए गए। ये वानी के आखिरी साथी थे। बस, नाइकू बचा था।
जून 2017 में लश्कर आतंकवादी जुनैद अहमद मट्टू कुलगाम के एक मुठभेड़ में मारा गया। 2017 के अगस्त महीने में लश्कर आतंकवादी अबू दुजाना भी मारा गया। नवम्बर 2018 में 5 साथियों के साथ मारे गए हिज्बुल का मोस्ट वांटेड आतंकवादी उमर माजिद पर 10 लाख का इनाम था। सुरक्षा बलों ने 9 अक्टूबर, 2017 को जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी और वरिष्ठ कमांडर उमर खालिद को मार गिराया। अप्रैल 2017 में बशीर वानी को सुरक्षा बलों ने अनंतनाग में मुठभेड़ में मार गिराया। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नवम्बर 2018 में हिज्बुल मुजाहिदीन के 28 वर्षीय आतंकवादी अंसार-उल-हक को दिल्ली हवाई अड्डे गिरफ्तार कर लिया था। उस पर पुलवामा में सीआईडी के सब इंस्पेक्टर इम्तियाज अहमद मीर की हत्या का आरोप है।
इस पूरी योजना में अंसार-उल की गर्लफ्रेंड सादिया शेख जो सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रही थी, की भूमिका थी। वानी के बाद जाकिर मूसा का भी दौर आया। उसके सिर पर 15 लाख का इनाम था। 23 मई 2019 को उसे मार डाला गया। जाकिर ने कश्मीर लड़ाई का आधार इस्लामी राज स्थापना घोषित कर ‘अंसार-उल-गजवात-ए-हिंद’ की स्थापना की तथा कश्मीर के आतंकवाद को शायद पहली बार खुला मजहबी वैचारिक धारा बताकर वैश्विक जेहाद के साथ जोड़ा। अबु दुजाना, आरिफ ललहारी जैसे कुख्यात आतंकवादी तक उसके साथ आ गए। उनके मारे जाने के साथ उसके संगठन का भी अंत हो गया। 22 दिसम्बर 2018 को कश्मीर घाटी में छह आतंकवादियों के मारे जाने के साथ सेना ने घोषणा की कि जाकिर मूसा गिरोह का खात्मा हो चुका है। केवल जाकिर बच गया था, जिसे पांच महीने बाद मार गिराया गया। इस वर्ष करीब 66 आतंकवादी मारे जा चुके हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने कहा आतंकवादी संगठनों के ऐसे सभी सरगनाओं का खात्मा करना हमारी प्राथमिकता है। इसलिए हमें उम्मीद बनाए रखनी चाहिए कि आतंकवाद का नाश होकर रहेगा।

अवधेश कुमार


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